COVID-19: बीए.4 के बाद भारत में कोरोना का बीए.5 वैरिएंट भी मिला, जानें क्यों हो सकती है चिंता बढ़ाने वाली बात


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 22 May 2022 10:45 PM IST

सार

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए चिह्नित लैबों के कंसोर्शियम INSACOG ने रविवार को इसकी पुष्टि की।

ओमिक्रॉन के दोनों वैरिएंट्स के बारे में पूरी जानकारी।

ओमिक्रॉन के दोनों वैरिएंट्स के बारे में पूरी जानकारी।
– फोटो : अमर उजाला।

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विस्तार

भारत में कोरोना के बीए.4 वैरिएंट के बाद अब बीए.5 वैरिएंट मिलने की खबर सामने आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए चिह्नित लैबों के संगठन INSACOG ने रविवार को इसकी पुष्टि की। कंसोर्शियम ने बयान जारी कर कहा कि तमिलनाडु की एक 19 साल की लड़की को कोरोना के बीए.4 वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है। मरीज में हल्के लक्षण देखे गए और उसे कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका से लौटने वाले हैदराबाद के एक व्यक्ति को भी इसी वैरिएंट से संक्रमित पाया गया था। 

इन्साकॉग का कहना है कि अब कोरोना के बीए.5 वैरिएंट का भी एक मामला सामने आया है। यह केस तेलंगाना से आया है। बीए.5 से संक्रमित मरीज में भी हल्के लक्षण पाए गए हैं और उसे भी टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं। मरीज का यात्रा का पिछला रिकॉर्ड नहीं है। कंसोर्शियम ने कहा कि मरीजों के मिलने के बाद एहतियात के तौर पर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम शुरू कर दिया गया है।

क्या हैं बीए.4 और बीए.5 वैरिएंट, पिछले स्वरूपों से कितना अलग?

यूरोप के सेंटर फॉर डिजीज एंड कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कोरोना के इन दो सब-वैरिएंट्स- बीए.4 और बीए.5 को वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न करार दिया गया है। दरअसल, यह दोनों वैरिएंट्स असल में ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही विकसित रूप हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इन दोनों सब-वैरिएंट्स को लेकर अलर्ट जारी कर चुका है। 

इन दोनों सब-वैरिएंट्स की पहचान पहली बार दक्षिण अफ्रीका में इसी साल जनवरी में की गई थी। तब भारत कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर रहा था। अब जब इस सब-वैरिएंट के भारत में पहले केस मिले हैं, तब दक्षिण अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में तो यह स्वरूप कोरोना के 55 फीसदी केसों के लिए जिम्मेदार है। 

कितने खतरनाक हैं ये दोनों सब-वैरिएंट्स?

कोरोना के ये दोनों सब-वैरिएंट्स अब तक दुनियाभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा चुके हैं। इन्हीं दोनों स्वरूपों की वजह से दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पांचवीं लहर आई थी। वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिंता इन दोनों सब-वैरिएंट्स के दो म्यूटेशंस हैं। इन बदलावों में वायरस के स्पाइक का एक बदलाव भी शामिल है, जो इंसानों की कोशिकाओं से जुड़कर शरीर में घुसने में स्वरूप की मदद करता है। 

स्टडीज के मुताबिक, बीए.4 और बीए.5 में मिलने वाला एफ486वी म्यूटेशन ओमिक्रॉन के सभी स्वरूपों में सबसे मजबूत वैरिएंट है। अपने इन्हीं बदलावों के चलते यह वायरस एंटीबॉडीज से बच निकलने में भी काफी कारगर साबित होता है। 

एक और एल452आर म्यूटेशन, जो कि पहले डेल्टा वैरिएंट में ही पाया गया था, उसे मानवीय कोशिकाओं में प्रवेश करने की अपनी क्षमताओं के लिए जाना जाता है। चीन की एक लैब स्टडी के मुताबिक, इस म्यूटेशन से चूहों के फेफड़े ज्यादा जल्दी संक्रमित हो जाते हैं। भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट ने ज्यादातर लोगों की ऊपरी श्वास नली को नुकसान पहुंचाया, लेकिन फेफड़ों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसकी वजह से तीसरी लहर उतनी खतरनाक साबित नहीं हुई। 

अब तक कितने खतरनाक दिखे हैं दोनों सब-वैरिएंट्स?

फिलहाल एक सुकून वाली बात यही है कि बीए.4 और बीए.5 को लेकर दक्षिण अफ्रीका से ऐसा कोई भी डेटा सामने नहीं आया, जिसमें कहा गया हो कि इन दोनों सब-वैरिएंट्स की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या मौतों की दर बढ़ी हो। यहां कोरोना की लहर पहले ही अपने उच्च स्तर को छू चुकी है और मौतों और गंभीर बीमारों की संख्या भी कम ही रही है। दक्षिण अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रिस्पॉन्स के वैज्ञानिक टूलियो डी ओलिविएरा के मुताबिक, जिन देशों ने बीए.2 सबवैरिएंट की लहर देखी है, उनमें बीए.4 और बीए.5 का कोई खास असर नहीं देखा गया और केसों के बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी पाई गई। 



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