हर लहर में संक्रमित : एक ही स्वास्थ्य कर्मी पर कोरोना के तीन वार, टीके की ताकत से सारे बेकार


सार

एक ही स्वास्थ्य कर्मी का हर लहर में अलग-अलग वैरिएंट से संक्रमित होने के मामला काफी चौंकाने वाला है। इसे लेकर आईसीएमआर ने अध्ययन भी किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि उक्त स्वास्थ्य कर्मी को अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने के बावजूद भी अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा। इधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना के दैनिक मामलों में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है।

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आप सुनकर हैरान होंगे मगर यह सच है कि पहली बार देश में एक ही स्वास्थ्यकर्मी कोरोना महामारी की हर लहर में संक्रमित मिला। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने जब अध्ययन किया तो पता चला कि साल 2020 में स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना के एल्फा वैरिएंट से संक्रमित हुआ। इसके बाद साल 2021 के दौरान वह डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आया और इस साल 2022 में वह ओमिक्रॉन संक्रमित भी पाया गया।

एक ही स्वास्थ्य कर्मचारी में कोरोना के तीन सबसे गंभीर वैरिएंट मिलने के बाद नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने मिलकर जब अध्ययन किया तो पता चला कि तीनों बार संक्रमित होने के बाद भी स्वास्थ्य कर्मचारी को टीका लगा होने की वजह से अस्पताल नहीं जाना पड़ा।

  • जर्नल ऑफ इंफेक्शन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार रोगी कुछ दिन घर में रहकर ठीक हुआ। एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया, 38 वर्षीय एक ही व्यक्ति में उन्हें प्राइमरी, ब्रेक थ्रू व री-इंफेक्शन मिले हैं। डेल्टा से मरीज को ब्रेक थ्रू इंफेक्शन हुआ था, जबकि ओमिक्रॉन को री-इंफेक्शन कैटेगरी में रखा गया। अभी तक ओमिक्रॉन री-इंफेक्शन का पहला मामला भी है। डॉ. यादव ने बताया कि तीन बार संक्रमित कर्मी की जांच में पता चला कि एंटीबॉडी में कमी आई है, लेकिन टीकाकरण के कारण संक्रमण से बचाव हो पाया।

चौथी खुराक भी हो सकती है जरूरी

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में टीके की चौथी खुराक भी ली जा सकती है। इनके अनुसार, अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि टीकाकरण के जरिये कोरोना के नए नए वैरिएंट को बेअसर किया जा सकता है।
  • यह एंटीबॉडी के स्तर पर भी निर्भर करता है। तीन तीन खुराक लेने के बाद एंटीबॉडी कितने समय तक शरीर में रहती है, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है लेकिन इसके बाद भी एंटीबॉडी का स्तर कम रहता है तो भविष्य में चौथी खुराक भी ली जा सकती है।

कोरोना के मामलों में 40 फीसदी की गिरावट,1,247 नये मामले आए सामने
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना के दैनिक मामलों में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि सोमवार को 90 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया था। बीते एक दिन में 1,247 नये मामले आए हैं। इस दौरान एक मरीज की मौत हो गई है। वहीं, 18 अप्रैल को 2,183 नये मामले आए थे और 214 मरीजों की मौत हो गई थी। इसी के साथ ही देश में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 4,30,45,537 हो गई है। अब तक कुल 5,21,966 मरीजों की मौत हो चुकी है।

केंद्र ने कोरोना योद्धाओं की बीमा योजना छह माह बढ़ाई
केंद्र सरकार ने कोरोना योद्धाओं की बीमा योजना को छह माह आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज को इस साल अक्तूबर तक बढ़ा दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर जान गंवाने वाले योद्धाओं के परिवारों को योजना के तहत 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है।

इस योजना को आगामी 180 दिन के लिए आगे बढ़ाया गया है ताकि कोरोना संक्रमण से लड़ने वाले योद्धाओं को सम्मान दिला सकें। सभी राज्यों के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी है कि बीमा योजना की अवधि बढ़ाने का फैसला तत्काल लागू कर दिया गया है।

दरअसल, कोरोना महामारी आने के बाद सरकार ने 30 मार्च 2020 को यह योजना शुरू करते हुए कोरोना का सामना कर रहे स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर्स को बीमा सुरक्षा दिया। अब तक इस योजना के तहत 1905 स्वास्थ्य कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सहायता दिलाई जा चुकी है, जिनकी मौत कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से हुई थी।

विस्तार

आप सुनकर हैरान होंगे मगर यह सच है कि पहली बार देश में एक ही स्वास्थ्यकर्मी कोरोना महामारी की हर लहर में संक्रमित मिला। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने जब अध्ययन किया तो पता चला कि साल 2020 में स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना के एल्फा वैरिएंट से संक्रमित हुआ। इसके बाद साल 2021 के दौरान वह डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आया और इस साल 2022 में वह ओमिक्रॉन संक्रमित भी पाया गया।

एक ही स्वास्थ्य कर्मचारी में कोरोना के तीन सबसे गंभीर वैरिएंट मिलने के बाद नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने मिलकर जब अध्ययन किया तो पता चला कि तीनों बार संक्रमित होने के बाद भी स्वास्थ्य कर्मचारी को टीका लगा होने की वजह से अस्पताल नहीं जाना पड़ा।

  • जर्नल ऑफ इंफेक्शन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार रोगी कुछ दिन घर में रहकर ठीक हुआ। एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया, 38 वर्षीय एक ही व्यक्ति में उन्हें प्राइमरी, ब्रेक थ्रू व री-इंफेक्शन मिले हैं। डेल्टा से मरीज को ब्रेक थ्रू इंफेक्शन हुआ था, जबकि ओमिक्रॉन को री-इंफेक्शन कैटेगरी में रखा गया। अभी तक ओमिक्रॉन री-इंफेक्शन का पहला मामला भी है। डॉ. यादव ने बताया कि तीन बार संक्रमित कर्मी की जांच में पता चला कि एंटीबॉडी में कमी आई है, लेकिन टीकाकरण के कारण संक्रमण से बचाव हो पाया।

चौथी खुराक भी हो सकती है जरूरी

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में टीके की चौथी खुराक भी ली जा सकती है। इनके अनुसार, अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि टीकाकरण के जरिये कोरोना के नए नए वैरिएंट को बेअसर किया जा सकता है।
  • यह एंटीबॉडी के स्तर पर भी निर्भर करता है। तीन तीन खुराक लेने के बाद एंटीबॉडी कितने समय तक शरीर में रहती है, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं है लेकिन इसके बाद भी एंटीबॉडी का स्तर कम रहता है तो भविष्य में चौथी खुराक भी ली जा सकती है।



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