बजरंग पूनिया बोले- मैच के दौरान सिर की चोट के लिए टेप के इस्तेमाल से मेरा ध्यान भटका


उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी पहलवान के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह मैं और मेरी टीम टेप से निजात पाने में व्यस्त रहे। दो मुकाबलों के बीच मेरे पास 20-25 मिनट का समय था और यह सारा समय टेप हटाने में निकल गया।’ बजरंग से उनके व्यक्तिगत फिजियो डॉ. आनंद दुबे ने कहा कि आदर्श रूप से डॉक्टरों को हलका चिपकने वाला टेप इस्तेमाल करना चाहिए था।

ओलंपिक पदक विजेता भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में अमेरिका के जॉन माइकल दियाकोमिहालिस के खिलाफ मुकाबले के दौरान सिर की चोट के लिए चिकित्सकों के द्वार इस्तेमाल किये गये ‘कठोर टेप’ से नाराज है।
बजरंग ने गुरुवार को कहा कि इस टेप के इस्तेमाल के बाद उन्हें अपने मुकाबले पर ध्यान बनाये रखने में परेशानी हुई।
विश्व कप में अपना पहला खिताब जीतने की कोशिश में लगे बजरंग को बेलग्रेड में अपने शुरुआती मुकाबले के पहले ही मिनट में क्यूबा के एलेजांद्रो एनरिक व्लादेस टोबियर के खिलाफ सिर में चोट के कारण खून निकलने लगा था।

वहां मौजूद चिकित्सकों ने उनकी चोट के ऊपर ‘कठोर टेप’ लगाया था, जिसका उपयोग वास्तव में घुटने और टखने को स्थिर करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ी ऐसे टेप का इस्तेमाल करते हैं।
बजरंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘भगवान जाने उन्होंने ऐसा क्यों किया? मुझे इससे काफी परेशानी हुई हुई क्योंकि टेप में मेरे सिर के बाल फंस गये थे। उन्होंने जख्म पर रूई का इस्तेमाल किये बिना टेप चिपका दिया। टेप हटाने के लिए मुझे एक स्थान से अपने बालों को काटना पड़ा। इसे हटाने में 20 मिनट से अधिक का समय लग गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी पहलवान के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह मैं और मेरी टीम टेप से निजात पाने में व्यस्त रहे।  दो मुकाबलों के बीच मेरे पास 20-25 मिनट का समय था और यह  सारा समय टेप हटाने में निकल गया।’’
बजरंग से उनके व्यक्तिगत फिजियो डॉ. आनंद दुबे ने कहा कि आदर्श रूप से डॉक्टरों को हलका चिपकने वाला टेप इस्तेमाल करना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘कठोर टेप के कारण सिर में सूजन आ जाती है। इससे व्यक्ति के सिर में दर्द भी रहता है। आप जानते हैं कि पहलवान प्रतिद्वंद्वी के सिर पर अपना हाथ कैसे डालते हैं। इसलिए हमने इसे हटाने का फैसला किया और हलका चिपकने वाला टेप लगाया।’’

बजरंग अमेरिका के खिलाड़ी से तकनीकी श्रेष्ठता से हारकर स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर हो गए। उन्होंने हालांकि बाद में रेपचेज दौर के जरिए कांस्य पदक जीता।
चार विश्व पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान बजरंग ने कहा कि दियाकोमिहालिस से तकनीकी श्रेष्ठता से हारने की उन्हें उम्मीद नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं 2019 में इस पहलवान से 10-9 से हार गया था। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं उसे आसानी से हरा देता, लेकिन मैं कम से कम एक करीबी मुकाबले की उम्मीद कर रहा था। पहले, सिर में चोट और फिर इस टेप के मुद्दे ने वास्तव में मुझे परेशान किया।’’

बजरंग ने रेपेचेज दौर में आर्मेनिया के वाजेन तेवानयान को 7-6 से हराकर कांस्य प्ले-ऑफ में प्यूर्टो रिको के सेबेस्टियन सी रिवेरा को 11-9 से मात दी।
बजरंग हालांकि अपने अभियान के दौरान पूरे लय में नहीं दिखे। उन्होंने विरोधी पहलवानों को काफी अंक बनाने दिये और ज्यादातर मैचों को पिछड़ने के बाद जीते।
बजरंग के कोच सुजीत मान ने इसे चिंताजनक करार देते हुए कहा, ‘‘ कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां बजरंग को सुधार करने की जरूरत है और ‘लेग डिफेंस’ उनमें से एक है। मुझे उनकी ताकत, गति और आक्रामक तरीके से कोई शिकायत नहीं है। लेकिन आप अपने पैर पर इतनी आसानी से पकड़ बनाने नहीं दे सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ विश्व चैम्पियनशिप और ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा लगभग एक समान है। यह 65 किग्रा में और मुश्किल है। आपने देखा होगा कि हाजी अलाइव (अजरबैजान) एक ओलंपिक पदक विजेता है, लेकिन बेलग्रेड से खाली हाथ लौटा है।’’
बजरंग हालांकि अपने प्रदर्शन से संतुष्ठ है। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप आक्रमण करते हैं, तो आपको कुछ अंक गंवाने के लिए तैयार होना चाहिये। अगर मैंने अंक गंवाए हैं तो उससे भी ज्यादा बनाया भी है। आप रक्षात्मक रह कर दूसरे खिलाड़ी को अंक लेने से रोक सकते है लेकिन खुद अंक बनाने के लिए मैं आक्रामक खेल पर विश्वास करता हूं।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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