टीकाकरण: एमआरएनए तकनीक से कोविड-19 वैक्सीन बनाएगी बायोलॉजिकल ई, डब्ल्यूएचओ ने दी मंजूरी  


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 04 Apr 2022 05:58 PM IST

सार

अभी भारत के पास एमआरएनए प्लेटफॉर्म पर कोई कोविड-19 वैक्सीन नहीं बनी है। इस लिहाज से इसे टीकाकरण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 

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वैक्सीन निर्माता बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने सोमवार को कहा कि कंपनी को विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोविड-19 टीके बनाने के लिए एमआरएनए (mRNA) तकनीक के प्राप्तकर्ता के रूप में चुना गया है। बीई लिमिटेड की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वैक्सीन उत्पाद विकास (एसीपीडीवी) पर डब्ल्यूएचओ की सलाहकार समिति ने वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र से एमआरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) प्रौद्योगिकी प्राप्तकर्ता के रूप में भारत के कई प्रस्तावों की जांच करने के बाद फर्म को चुना। 

एमआरएनए टीके को विकसित करने की क्षमता पर ध्यान
बीई लिमिटेड की प्रबंध निदेशक महिमा दतला ने कहा, बीई पिछले साल से एमआरएनए प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहा है। यह नई तकनीक निश्चित रूप से भविष्य में और अधिक टीकों के विकास और निर्माण के हमारे संकल्प को मजबूत करेगी। डब्ल्यूएचओ के साथ यह साझेदारी अगली पीढ़ी के एमआरएनए टीके को और विकसित करने की हमारी क्षमता को बढ़ाएगी जो विश्व स्तर पर अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और दुनिया भर में टीकों की उपलब्धता की पहुंच का विस्तार कर सकते हैं। 

डब्ल्यूएचओ और उसके सहयोगी भारत सरकार और बायोलॉजिकल ई के साथ मिलकर एक रोडमैप विकसित करेंगे और वैक्सीन निर्माता को जल्द से जल्द एमआरएनए वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और सुविधा देंगे। मुख्य रूप से कोविड-19 आपातकाल से निपटने के लिए स्थापित डब्ल्यूएचओ एमआरएनए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र में उपचार सहित अन्य उत्पादों के लिए विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और अन्य प्राथमिकताओं को तय करने की क्षमता है।

शरीर में प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा वायरस से लड़ेगी
एमआरएनए टीके मानव कोशिकाओं को यह सिखाने के लिए प्रयोगशाला में बनाए गए एक मैसेंजर आरएनए का उपयोग करते हैं कि प्रोटीन का उत्पादन कैसे किया जाता है, जो बदले में एक विशेष बीमारी के खिलाफ शरीर के अंदर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करता है। शरीर में प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वास्तविक वायरस से लड़ेगी। अभी भारत के पास एमआरएनए प्लेटफॉर्म पर कोई कोविड-19 वैक्सीन नहीं बनी है। पिछले महीने केंद्र ने बायोलॉजिकल ई के कॉर्बेवैक्स को देश भर में 12-14 वर्ष आयु वर्ग को लगाने की मंजूरी दी थी।

विस्तार

वैक्सीन निर्माता बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने सोमवार को कहा कि कंपनी को विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोविड-19 टीके बनाने के लिए एमआरएनए (mRNA) तकनीक के प्राप्तकर्ता के रूप में चुना गया है। बीई लिमिटेड की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वैक्सीन उत्पाद विकास (एसीपीडीवी) पर डब्ल्यूएचओ की सलाहकार समिति ने वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र से एमआरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) प्रौद्योगिकी प्राप्तकर्ता के रूप में भारत के कई प्रस्तावों की जांच करने के बाद फर्म को चुना। 

एमआरएनए टीके को विकसित करने की क्षमता पर ध्यान

बीई लिमिटेड की प्रबंध निदेशक महिमा दतला ने कहा, बीई पिछले साल से एमआरएनए प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहा है। यह नई तकनीक निश्चित रूप से भविष्य में और अधिक टीकों के विकास और निर्माण के हमारे संकल्प को मजबूत करेगी। डब्ल्यूएचओ के साथ यह साझेदारी अगली पीढ़ी के एमआरएनए टीके को और विकसित करने की हमारी क्षमता को बढ़ाएगी जो विश्व स्तर पर अधिक उपयुक्त हो सकते हैं और दुनिया भर में टीकों की उपलब्धता की पहुंच का विस्तार कर सकते हैं। 

डब्ल्यूएचओ और उसके सहयोगी भारत सरकार और बायोलॉजिकल ई के साथ मिलकर एक रोडमैप विकसित करेंगे और वैक्सीन निर्माता को जल्द से जल्द एमआरएनए वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और सुविधा देंगे। मुख्य रूप से कोविड-19 आपातकाल से निपटने के लिए स्थापित डब्ल्यूएचओ एमआरएनए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र में उपचार सहित अन्य उत्पादों के लिए विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और अन्य प्राथमिकताओं को तय करने की क्षमता है।

शरीर में प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा वायरस से लड़ेगी

एमआरएनए टीके मानव कोशिकाओं को यह सिखाने के लिए प्रयोगशाला में बनाए गए एक मैसेंजर आरएनए का उपयोग करते हैं कि प्रोटीन का उत्पादन कैसे किया जाता है, जो बदले में एक विशेष बीमारी के खिलाफ शरीर के अंदर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करता है। शरीर में प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वास्तविक वायरस से लड़ेगी। अभी भारत के पास एमआरएनए प्लेटफॉर्म पर कोई कोविड-19 वैक्सीन नहीं बनी है। पिछले महीने केंद्र ने बायोलॉजिकल ई के कॉर्बेवैक्स को देश भर में 12-14 वर्ष आयु वर्ग को लगाने की मंजूरी दी थी।



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