सस्ता हुआ खाने का तेल! सरसों को छोड़कर ज्यादातर तिलहन कीमतों में आई गिरावट, जानें क्या है वजह?


हाइलाइट्स

शादी-विवाह में मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल की कीमतों में सुधार आया.
पिछले साल के मुकाबले इस साल बिनौला तेल के भाव कम हैं.
किसान मंडियों में कम सरसों ला रहे हैं और रोक-रोक कर बिकवाली कर रहे हैं.

नई दिल्ली. देश में सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ने की उम्मीद के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई. इस गिरावट का असर बाकी तेल-तिलहन कीमतों पर भी दिखा और सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सीपीओ और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई. दूसरी ओर सर्दी के साथ-साथ शादी-विवाह में मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया.

सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल बिनौला तेल के भाव कम हैं, जिसकी वजह से किसान नीचे भाव पर बिकवाली करने से बचने के लिए मंडियों में कम माल ला रहा है. इस वजह से बिनौला तेल कीमतों में तेजी आई है. किसान मंडियों में कम सरसों ला रहे हैं और वे रोक-रोक कर बिकवाली कर रहे हैं. इसलिए सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सोयाबीन और मूंगफली की आवक मंडियों में धीरे-धीरे बढ़ेगी. इस वजह से सोयाबीन और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई है.

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मंडियों में इन तेलों की बिक्री कम
सूत्रों ने कहा कि कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के आयात भाव के मुकाबले कांडला बंदरगाह पर इन तेलों का भाव अधिक है. इसकी वजह से मंडियों में इन तेलों की बिक्री कम हो रही है. कम बिक्री की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई है. खाद्य तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की छूट का कोटा निर्धारित किये जाने से बाकी आयात लगभग रुक गया, क्योंकि बाकी आयात के लिए आयातकों को आयात शुल्क का भुगतान करना होगा. इससे बाजार में कम आपूर्ति की स्थिति बन गई है. सूत्रों ने कहा कि तेल संगठनों की जिम्मेदारी बनती है कि सरकार के कोटा निर्धारित करने के फैसले के दुष्प्रभावों के संबंध में सरकार को अवगत कराये.

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शॉर्ट सप्लाई की स्थिति बन रही
सरकार की तरफ से 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट देने के बाद आयातकों द्वारा नये सौदे नहीं खरीदने के कारण बाजार में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हो गई है. सूत्रों ने कहा कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करते हुए या तो शुल्क-मुक्त आयात की सीमा को हटा देना चाहिये या पहले की तरह सभी आयात पर शुल्क लगा देना चाहिये. इस कदम से कोई आंतरिक प्रतिस्पर्धा नहीं रह जायेगी और आयात बढ़ेगा जिससे प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्य तेल उपलब्ध होगा.

कितना कम हुआ भाव
बीते सप्ताह मूंगफली तिलहन का भाव 50 रुपये घटकर 6,820-6,885 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. इसके अलावा कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 8,750 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये घटकर 10,500 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 300 रुपये घटकर 9,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. दूसरी तरफ बिनौला तेल 100 रुपये बढ़कर 13,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ.

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