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दुती का जन्म तीन फरवरी, 1996 को ओडिशा के जाजपुर शहर में हुआ था। वह देश को कई खेलों में पदक दिला चुकी हैं। दुती ने 2018 जकार्ता एशियन गेम्स में 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट में रजत पदक जीता था। इसके अलावा वह एशियन चैंपियनशिप में चार पदक जीत चुकी हैं। इसमें 2013 में पुणे में हुए एशियन चैंपियनशिप में 200 मीटर रेस में कांस्य, 2017 में भुवनेश्वर में हुए एशियन चैंपियनशिप में 100 मीटर और 4*100 मीटर रिले में कांस्य और 2019 में दोहा एशियन गेम्स में 200 मीटर रेस में भी कांस्य पदक शामिल है।
इसके अलावा दुती 2016 में दोहा में हुए एशियन इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 60 मीटर रेस में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। 2016 में गुवाहाटी में हुए साउथ एशियन गेम्स में दुती 100 मीटर रेस में रजत और 200 मीटर रेस में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। दुती एशियन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी दो स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। अब पढ़िए दुती चंद से बातचीत के प्रमुख अंश-
2018 एशियन गेम्स में रजत पदक जीतने के बाद दुती चंद
2017 एशियन चैंपियनशिप के दौरान एक्शन में दुती चंद (बाएं)
दुती: कोविड की वजह से 2021 ओलंपिक के लिए तैयारियां नहीं कर पाई थी। 2022 में कोरोना का इतना असर नहीं है। इसलिए राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयारियां अच्छी चल रही हैं। सबसे ज्यादा मैं 4*100 मीटर रिले के ऊपर फोकस कर रही हूं, क्योंकि रिले में पदक का चांस है। वहीं, 100 मीटर और 200 मीटर की बात करें तो इसमें चुनौती कठिन रहेगी, क्योंकि जमैका के जो एथलीट्स आते हैं, उनका पर्सनल बेस्ट 10.8 या 10.9 सेकंड है। ऐसे में इनके सामने पदक जीतने मुश्किल चुनौती होगी। हां, लेकिन रिले में हमारे पदक का चांस है। रिले में जो हमारे चार सदस्य हैं- मैं, हिमा दास, श्रबनी नंदा और धनलक्ष्म, उनकी तैयारी अच्छी चल रही है। हम प्रैक्टिस में शानदार प्रदर्शन कर रहे और बेटन एक्सेंज भी बहुत अच्छे से हो रहा है। मेडल की उम्मीद है, इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा फोकस रिले में किया।
2018 एशियन गेम्स के दौरान दुती
दुती: यूरोपीय देशों और जमैका-ऑस्ट्रेलिया से काफी चुनौती मिलेगी।
दुती: दौड़ में सात या आठ एथलीट्स जा रहे हैं। ऐसे में जो-जो एथलीट पर्सनल बेस्ट के साथ गए हैं, उनके पदक जीतने का चांस है।
दुती: अभी मिलकर आई हूं। परिवार के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं। सबने मुझे आशीर्वाद दिया है कि तुम अच्छा प्रदर्शन करोगी। यहां से हम त्रिवेंद्रम जाएंगे। वहां भी ट्रेनिंग होगी।
दुती: नए एथलीट्स जो हैं वह हमें देख कर मोटिवेट होते हैं। उन्हें मैं बताती रहती हूं कि कहां-कहां गलती हो रही है या हुई है। उन्हें बताते हैं कि किस तरह से दौड़ना है। स्प्रिंट में दौड़ना तो सबको होता है, लेकिन किस तरह से दौड़ना है इसके बारे में सबको पता नहीं होता। ज्यादा अनुभव की जरूरत होती है। मुझे खुशी है कि जो भी नए एथलीट्स हैं, उनसे मैं पांच साल से जुड़ी हुई हूं। मुझे उम्मीद है कि वह भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
2022 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारत की 4*100 मीटर रिले टीम (बाएं से- हिमा दास, दुती चंद, धनलक्ष्मी और श्रबनी नंदा)
दुती: हमें खुद को मजबूत बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है। हर दिन मेहनत करना पड़ता है। मेरा ये सौभाग्य रहा कि जिस भी संस्था से जुड़ी रही, चाहे वह केआईटी यूनिवर्सिटी हो या ओडिशा सरकार हो, उन्होंने मुझे हमेशा समर्थन दिया है। मुझे स्पॉन्सर किया है। इसलिए मैं ट्रेनिंग को जारी रख पाई। ट्रेनिंग जारी रखा है, इसलिए मेरा प्रदर्शन और अच्छा होता जा रहा है। हां कभी-कभी इसमें गिरावट भी आती है, लेकिन मैं वापसी करती हूं और हमेशा बेहतर करने का कोशिश करती हूं।
दुती: मैं हर साल अपने समय को कम करने की कोशिश करती हूं। चाहे वह रियो ओलंपिक हो या टोक्यो ओलंपिक, एशियन गेम्स हो या कॉमनवेल्थ गेम्स, मैं हमेशा अपनी टाइमिंग को सुधारने की कोशिश करती हूं। मैंने 11.31 सेकंड से रिकॉर्ड शुरुआत की थी और पिछले साल इसे 11.17 किया है। इस बार मैंने 11.15 से 11.20 का लक्ष्य रखा है। यह टाइमिंग मुझे कहीं पर मौका मिलेगा तो करके दिखाऊंगी। मेडल जीतना या न जीतना अलग बात है, लेकिन खुद में सुधार की हमेशा कोशिश रहती है। टाइमिंग को लेकर जो लक्ष्य रखा है उसे पूरा जरूर करूंगी।
एक्शन में दुती चंद
दुती: पूरे साल से रिले की ही ट्रेनिंग चल रही है। मैं राष्ट्रमंडल खेलों में इंडिविजुअल का ट्रेनिंग कभी नहीं किया था, क्योंकि उसमें पदक के बेहद कम चांस है। इसलिए सबने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में इंडिविजुअल में पदक का कम चांस है तो इसकी तैयारी मत करो। हम एशियन गेम्स की तैयारी करेंगे और उसमें पक्का मेडल जीतेंगे। पर कोविड की वजह से एशियन गेम्स स्थगित हो गया। इसलिए पिछले कुछ समय में सिर्फ रिले पर फोकस किया और इसमें हमारी तैयारी काफी अच्छी है।
दुती: मैं किसी भी टूर्नामेंट में जब हिस्सा लेने जाती हूं तो देश का झंडा साथ ले जाती हूं। इसके अलावा मैं जिस भगवान को मानती हूं उस भगवान की तस्वीर लेकर जाती हूं।
अपने सभी पदकों के साथ दुती चंद
विस्तार
भारतीय दल बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए रवाना हो चुकी है। इस बार 215 एथलीट्स का भारतीय दल बर्मिंघम रवाना हुआ है। इस साल भारतीय टीम कई पदक की उम्मीद कर रही है। इसमें एथलेटिक्स में भी कई पदक जीतने की उम्मीद है। राष्ट्रमंडल खेलों में स्प्रिंट में महिलाओं में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व दिग्गज धाविका दुती चंद कर रही हैं। सीनियर होने के नाते पर उन पर पदक जीतने और दूसरे एथलीट्स को प्रेरित करने की जिम्मेदारी होगी। अमर उजाला की टीम ने बर्मिंघम रवाना होने से पहले दुती से बातचीत की। उन्होंने खेलों में अपना बेस्ट देने की बात कही और साथ ही चुनौतियों के बारे में भी बताया।
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