Congress President Election: अध्यक्ष पद के चुनाव के साथ शुरू हुई यह बड़ी लड़ाई! राज्यों में खेमेबंदी की चर्चा


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कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के होने वाले चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। इस नोटिफिकेशन के साथ-साथ कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई भी उभर कर सामने आने लगी है। कांग्रेस के नाराज नेताओं के ग्रुप जी-23 से खबर निकल कर आ रही है कि एक और वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में जोर-आजमाइश कर सकते हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से कांग्रेस की इकाइयों से राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास होकर आ रहा है। जबकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा हो चुकी है। कांग्रेस के नेता खुलकर शशि थरूर का विरोध करने लगे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की है कि चुनाव से पहले ही जब कांग्रेस की राजनीति इतनी चरम पर है, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में कितनी खेमेबंदी रहेगी। इन सबके साथ आगामी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं।

गहलोत के नाम पर कई राज्य इकाइयों को आपत्ति

कांग्रेस में जैसे-जैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नजदीक आता जा रहा है, पार्टी में अलग-अलग मोर्चों पर नए फ्रंट खुलते जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जबसे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए पार्टी शीर्ष नेतृत्व की ओर से अशोक गहलोत को प्रत्याशी बनाए जाने की बात सामने आई है, तो कांग्रेस के अलग-अलग राज्यों की इकाई से आने वाले राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव का निहितार्थ जरूर निकालना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषक डी दिनेश कुमार कहते हैं कि अगर राज्यों की ओर से राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है और पार्टी शीर्ष नेतृत्व अशोक गहलोत पर दांव लगा रहा है। ऐसे में एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि राज्य इकाइयां अशोक गहलोत को अपना नेता फिलहाल चुनाव से पहले नहीं मान रही हैं। सिर्फ यही नहीं राज्य की इकाइयां तो बाकायदा प्रस्ताव पास करके केंद्रीय नेतृत्व को भेज रही हैं कि राहुल गांधी को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए। कुमार कहते हैं कि जिस तरीके से राष्ट्रीय नेतृत्व अशोक गहलोत पर दांव लगाकर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाह रहा है और राज्य इकाइयां प्रस्ताव बनाकर उसका विरोध कर रही हैं, तो इससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में अगर अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो उनके लिए कितनी बड़ी चुनौतियां सामने आने वाली हैं। हालांकि अगर कोई गैर गांधी परिवार से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है और वह गांधी परिवार की अनुमति से ही सब करेगा, तो उसके लिए कोई भी चुनौतियां नहीं होंगी।

गौरव वल्लभ ने थरूर पर साधा निशाना

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ तो खुलकर शशि थरूर का विरोध करने लगे हैं। गौरव वल्लभ ने ट्वीट करके कहा अगर राहुल गांधी अपने फैसले पर तटस्थ हैं तो सार्वजनिक चर्चा में जिन दो नामों की बात हो रही है उनमें से किसी एक को चुनना हो, तो उसकी कोई तुलना ही नहीं हो सकती। प्रोफेसर बल्लभ ने अशोक गहलोत के पूरे राजनीतिक कैरियर और मिलने वाली जिम्मेदारियों का जिक्र करते हुए न सिर्फ उनके समर्थन की बात कही, बल्कि शशि थरूर को निशाने पर भी रखा। वह कहते हैं कि शशि थरूर ने बीते 8 सालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तब-तब चिट्ठियां भेजीं, जब-जब वह अस्पताल में भर्ती रहीं। ऐसे हालात में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को शशि थरूर की ओर से बहुत कष्ट भी पहुंचा है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चयन बहुत सरल और स्पष्ट हो गया है। गौरव वल्लभ ही नहीं बल्कि कांग्रेस के कई और वरिष्ठ नेता इस बात की चर्चा करते हैं कि शशि थरूर तो जी-23 के नेताओं के तौर पर पहचाने जाते रहे हैं।

मनीष तिवारी दाखिल कर सकते हैं पर्चा

वहीं चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ चर्चा इस बात की भी होने लगी कि कांग्रेस के नाराज नेताओं के गुट से कुछ और नेता भी चुनाव में भागीदारी कर सकते हैं। एक नाम कांग्रेस के सांसद और पंजाब के नेता मनीष तिवारी का भी चर्चा में आने लगा। सूत्रों के मुताबिक सांसद मनीष तिवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए अपना पर्चा भर सकते हैं। सिर्फ मनीष तिवारी ही नहीं बल्कि कुछ अन्य नेता जो की पार्टी में लंबे समय से नाराज बताए जा रहे हैं, अपना पर्चा दाखिल कर सकते हैं। हालांकि इस बारे में पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान और ऐसे नेताओं की ओर से कोई भी बयान तो नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा बहुत जोरों से चल रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस तरीके से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वन मैन शो की तरह पूरे देश में चर्चा में है, वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बड़ी हैसियत वाली चर्चा मानी जा रही है। चंद्र कुमार कहते हैं कि ऐसे में एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई भी बने, लेकिन पार्टी में बड़ी हैसियत राहुल गांधी की आने वाले दिनों में रहने वाली है।

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कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के होने वाले चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। इस नोटिफिकेशन के साथ-साथ कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई भी उभर कर सामने आने लगी है। कांग्रेस के नाराज नेताओं के ग्रुप जी-23 से खबर निकल कर आ रही है कि एक और वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में जोर-आजमाइश कर सकते हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से कांग्रेस की इकाइयों से राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास होकर आ रहा है। जबकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा हो चुकी है। कांग्रेस के नेता खुलकर शशि थरूर का विरोध करने लगे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की है कि चुनाव से पहले ही जब कांग्रेस की राजनीति इतनी चरम पर है, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में कितनी खेमेबंदी रहेगी। इन सबके साथ आगामी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं।

गहलोत के नाम पर कई राज्य इकाइयों को आपत्ति

कांग्रेस में जैसे-जैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नजदीक आता जा रहा है, पार्टी में अलग-अलग मोर्चों पर नए फ्रंट खुलते जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जबसे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए पार्टी शीर्ष नेतृत्व की ओर से अशोक गहलोत को प्रत्याशी बनाए जाने की बात सामने आई है, तो कांग्रेस के अलग-अलग राज्यों की इकाई से आने वाले राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव का निहितार्थ जरूर निकालना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषक डी दिनेश कुमार कहते हैं कि अगर राज्यों की ओर से राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है और पार्टी शीर्ष नेतृत्व अशोक गहलोत पर दांव लगा रहा है। ऐसे में एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि राज्य इकाइयां अशोक गहलोत को अपना नेता फिलहाल चुनाव से पहले नहीं मान रही हैं। सिर्फ यही नहीं राज्य की इकाइयां तो बाकायदा प्रस्ताव पास करके केंद्रीय नेतृत्व को भेज रही हैं कि राहुल गांधी को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए। कुमार कहते हैं कि जिस तरीके से राष्ट्रीय नेतृत्व अशोक गहलोत पर दांव लगाकर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाह रहा है और राज्य इकाइयां प्रस्ताव बनाकर उसका विरोध कर रही हैं, तो इससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में अगर अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो उनके लिए कितनी बड़ी चुनौतियां सामने आने वाली हैं। हालांकि अगर कोई गैर गांधी परिवार से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है और वह गांधी परिवार की अनुमति से ही सब करेगा, तो उसके लिए कोई भी चुनौतियां नहीं होंगी।

गौरव वल्लभ ने थरूर पर साधा निशाना

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ तो खुलकर शशि थरूर का विरोध करने लगे हैं। गौरव वल्लभ ने ट्वीट करके कहा अगर राहुल गांधी अपने फैसले पर तटस्थ हैं तो सार्वजनिक चर्चा में जिन दो नामों की बात हो रही है उनमें से किसी एक को चुनना हो, तो उसकी कोई तुलना ही नहीं हो सकती। प्रोफेसर बल्लभ ने अशोक गहलोत के पूरे राजनीतिक कैरियर और मिलने वाली जिम्मेदारियों का जिक्र करते हुए न सिर्फ उनके समर्थन की बात कही, बल्कि शशि थरूर को निशाने पर भी रखा। वह कहते हैं कि शशि थरूर ने बीते 8 सालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तब-तब चिट्ठियां भेजीं, जब-जब वह अस्पताल में भर्ती रहीं। ऐसे हालात में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को शशि थरूर की ओर से बहुत कष्ट भी पहुंचा है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चयन बहुत सरल और स्पष्ट हो गया है। गौरव वल्लभ ही नहीं बल्कि कांग्रेस के कई और वरिष्ठ नेता इस बात की चर्चा करते हैं कि शशि थरूर तो जी-23 के नेताओं के तौर पर पहचाने जाते रहे हैं।

मनीष तिवारी दाखिल कर सकते हैं पर्चा

वहीं चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ चर्चा इस बात की भी होने लगी कि कांग्रेस के नाराज नेताओं के गुट से कुछ और नेता भी चुनाव में भागीदारी कर सकते हैं। एक नाम कांग्रेस के सांसद और पंजाब के नेता मनीष तिवारी का भी चर्चा में आने लगा। सूत्रों के मुताबिक सांसद मनीष तिवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए अपना पर्चा भर सकते हैं। सिर्फ मनीष तिवारी ही नहीं बल्कि कुछ अन्य नेता जो की पार्टी में लंबे समय से नाराज बताए जा रहे हैं, अपना पर्चा दाखिल कर सकते हैं। हालांकि इस बारे में पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान और ऐसे नेताओं की ओर से कोई भी बयान तो नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा बहुत जोरों से चल रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस तरीके से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वन मैन शो की तरह पूरे देश में चर्चा में है, वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बड़ी हैसियत वाली चर्चा मानी जा रही है। चंद्र कुमार कहते हैं कि ऐसे में एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई भी बने, लेकिन पार्टी में बड़ी हैसियत राहुल गांधी की आने वाले दिनों में रहने वाली है।



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