आर्थिक संकट: श्रीलंकाई सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने दी चेतावनी, कहा-अंतरिम सरकार का हो गठन नहीं तो हो सकता है खून-खराबा


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 05 Apr 2022 10:23 PM IST

सार

सांसदों ने संसद अध्यक्ष से सभी दलों के साथ चर्चा करने का आग्रह किया ताकि अधिकांश विधायकों के समर्थन से एक अंतरिम प्रधान मंत्री का चयन किया जा सके।
 

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दशकों के सबसे बुरे आर्थिक संकट को झेल रहे श्रीलंका में सासंदों के एक समूह ने अंतरिम सरकार का गठन करने का समर्थन किया है। इन सांसदों का कहना है कि अगर जल्दी से जल्दी अंतरिम सरकार का गठन नहीं किया जाएगा तो देश में हिंसा और रक्तपात फैल सकता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, सांसदों के इस समूह में रविवार को इस्तीफा देने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द बहुमत समर्थित अंतरिम सरकार का गठन नहीं किया जाता है तो ‘हिंसा’ और ‘अराजकता’ फैल सकती है। वहीं इस आर्थिक संकट के बीच श्रीलंकाई संसद के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसके साथ ही सांसदों ने संसद अध्यक्ष से सभी दलों के साथ चर्चा करने का आग्रह किया ताकि अधिकांश विधायकों के समर्थन से एक अंतरिम प्रधान मंत्री का चयन किया जा सके।

पूर्व कैबिनेट सदस्य विमल वीरावांसा ने मंगलवार को कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए इस सरकार को सत्ता छोड़नी होगी और इसके स्थान पर एक अंतरिम सरकार होनी चाहिए। साथ ही सत्तारूढ़ दल के सांसद विजयादास राजपक्षे ने भी रक्तपात और हिंसा की चेतावनी दी। सांसदों की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब विरोध प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद मंगलवार को पहली बार संसद की बैठक हुई। 

वहीं आज राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने विपक्ष की मांग पर पद छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह संसद में 113 सदस्यों का बहुमत साबित करने वाले किसी भी दल को सत्ता सौंपने को तैयार हैं। इस बीच नवनियुक्त वित्त मंत्री अली साबरी ने दूसरे ही दिन इस्तीफा दे दिया।

श्रीलंका के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की थी, जिसे राजपक्षे ने ठुकरा दिया है। देश के राजनीतिक दलों में तनातनी बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राजपक्षे की उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने विपक्ष से एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया था। 

गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक और ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका में ईंधन-गैस, खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की किल्लत की वजह से महंगाई आसमान छू रही हैं। जिसके कारम जनता विद्रोह पर उतर आई है। 

विस्तार

दशकों के सबसे बुरे आर्थिक संकट को झेल रहे श्रीलंका में सासंदों के एक समूह ने अंतरिम सरकार का गठन करने का समर्थन किया है। इन सांसदों का कहना है कि अगर जल्दी से जल्दी अंतरिम सरकार का गठन नहीं किया जाएगा तो देश में हिंसा और रक्तपात फैल सकता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, सांसदों के इस समूह में रविवार को इस्तीफा देने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द बहुमत समर्थित अंतरिम सरकार का गठन नहीं किया जाता है तो ‘हिंसा’ और ‘अराजकता’ फैल सकती है। वहीं इस आर्थिक संकट के बीच श्रीलंकाई संसद के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसके साथ ही सांसदों ने संसद अध्यक्ष से सभी दलों के साथ चर्चा करने का आग्रह किया ताकि अधिकांश विधायकों के समर्थन से एक अंतरिम प्रधान मंत्री का चयन किया जा सके।

पूर्व कैबिनेट सदस्य विमल वीरावांसा ने मंगलवार को कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए इस सरकार को सत्ता छोड़नी होगी और इसके स्थान पर एक अंतरिम सरकार होनी चाहिए। साथ ही सत्तारूढ़ दल के सांसद विजयादास राजपक्षे ने भी रक्तपात और हिंसा की चेतावनी दी। सांसदों की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब विरोध प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद मंगलवार को पहली बार संसद की बैठक हुई। 

वहीं आज राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने विपक्ष की मांग पर पद छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह संसद में 113 सदस्यों का बहुमत साबित करने वाले किसी भी दल को सत्ता सौंपने को तैयार हैं। इस बीच नवनियुक्त वित्त मंत्री अली साबरी ने दूसरे ही दिन इस्तीफा दे दिया।

श्रीलंका के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की थी, जिसे राजपक्षे ने ठुकरा दिया है। देश के राजनीतिक दलों में तनातनी बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राजपक्षे की उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने विपक्ष से एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया था। 

गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक और ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका में ईंधन-गैस, खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की किल्लत की वजह से महंगाई आसमान छू रही हैं। जिसके कारम जनता विद्रोह पर उतर आई है। 



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