भूल जाना! सामान्‍य है या गंभीर बीमारी, एम्‍स की डॉक्‍टर बोलीं, इन 10 पॉइंट से करें जांच


नई दिल्‍ली. रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सी चीजों को भूल जाना एक आम बात है. ऐसा शायद ही कोई व्‍यक्ति होगा जिसे हमेशा अपनी सभी चीजें याद रहती हैं और जो कोई भी जरूरी काम करना नहीं भूलता. न केवल बुजुर्ग बल्कि छोटे बच्‍चे और युवा भी अक्‍सर अपनी चीजें, काम और जरूरी बातें भूल जाते हैं. भुलक्‍कड़पन वैसे तो सामान्‍य बात है लेकिन कभी-कभी यही गंभीर बीमारी भी बन जाती है. डिमेंशिया संबंधी मेंटल डिसऑर्डर्स, अल्‍जाइमर आदि ऐसी ही बीमारियां हैं जो हल्‍के भुलक्‍कड़पन से शुरू होकर गंभीर मतिभ्रम और मानसिक संतुलन के गड़बड़ होने तक पहुंच जाती हैं. ऐसे में अगर आप भी कुछ चीजें भूलते हैं या अक्‍सर ही भूल जाते हैं तो ये जानना जरूरी है कि ये कहीं किसी बीमारी की आहट तो नहीं.

आपका भुलक्‍कड़पन सामान्‍य है या आपको किसी गंभीर रोग की ओर ले जा रहा है. इसकी जांच आप घर बैठे ही कर सकते हैं. अल्‍जाइमर्स व रिलेटेड डिसऑर्डर्स सोसायटी ऑफ इंडिया दिल्‍ली शाखा की ओर से 10 पॉइंट का एक टेस्‍ट तैयार किया गया है, जिसके माध्‍यम से आप अपने भूलने की स्थिति का पता लगा सकते हैं.

सामान्‍य लक्षण                                                    अल्‍जाइमर्स के लक्षण
1. सहकर्मी का नाम अस्‍थाई रूप से भूल                 बाद में भी नाम का याद न आना.
जाना.
2. चाबियां रखकर भूल जाना.                                भूल जाना क‍ि खाना खाया है या नहीं, चूल्‍हे पर पकता                                                                            हुआ छोड़कर भूल जाना.
3. सही शब्‍द भूलने पर पर्यायवाची का                    सही सही न बोल पाने पर बड़बड़ाना
प्रयोग करना.
4. पलभर को भूल जाना क‍ि आप कहां पर हैं           जाने-पहचाने रास्‍तों पर भी भटक जाना.
5. बातों-बातों में मुख्‍य विषय को भूल जाना              भूले हुए विषय को याद ही न कर पाना.
6. चैक बुक के हिसाब में असंतुलन होना                 नहीं समझ पाना क‍ि उसमें लिखे अंकों से क्‍या संख्‍या                                                                            बनती है
7. घड़ी या चश्‍मा रखकर भूल जाना फिर                 घड़ी को गलत जगह रख देना, चश्‍मे को धोने के लिए   वापस सोचने पर पा जाना                                     पानी के गिलास में रख देना
8. कोई दिन बुरा गुजरना                                       दिन भर मूड में अनेकों बदलाव आने से बे मजा दिन                                                                             गुजरना
9. व्‍यक्तित्‍व में धीरे-धीरे बदलाव होना                      अचानक ही व्‍यक्तित्‍व में लगातार प्रबल बदलाव                                                                                   आना
10. घरेलू काम-काज से ऊब जाना लेकिन               घरेलू काम काज से बेपरवाह हो जाना, मानो वह गैर
फिर से करने लगना.                                             जरूरी है.

इस बारे में दिल्‍ली ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के न्‍यूरोसाइंस सेंटर में डिपार्टमेंट ऑफ न्‍यूरोलॉजी की प्रोफेसर और एआरडीएसआई की प्रेसिडेंट डॉ. मंजरी त्रिपाठी कहती हैं क‍ि अल्‍जाइमर हो या डिमेंशिया ये सब हमारे दैनिक भुलक्‍कड़पन से शुरू होकर गंभीर हो जाने के दौरान पनपते हैं. अगर घर में किसी को भूलने की समस्‍या है तो व्‍यक्ति इन 10 पॉइंट के माध्‍यम से खुद ये जांच कर सकते हैं कि क्‍या वे बीमारी की चपेट में तो नहीं आने वाले. इसके बाद न केवल वे जागरुक हो सकते हैं और परिजन का खास ख्‍याल रख सकते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर डॉक्‍टर के पास भी जा सकते हैं. अल्‍जाइमर्स हो या डिमेंशिया इन्‍हें लेकर जन जागरुकता बेहद जरूरी है ताकि इन रोगों से बचाव किया जा सके.

Tags: Mental diseases, Mental health, Mental Health Week

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