Heroes Of Haifa Movie: मुट्ठी भर जांबाजों की कहानी, जिन्होंने भालों, बरछों से इस्राइल में मशीनगनों से जीती जंग


अगर आपको आधुनिक इतिहास में जरा भी दिलचस्पी है तो आपने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हाइफा की लड़ाई के बारे में जरूर सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो हम बताए देते हैं। ये लड़ाई हुई थी 23 सितंबर 1918 को इस्राइल की मशहूर जगह हाइफा में। जर्मनी, ऑस्ट्रिया और उनकी सहयोगी सेनाओं ने इस्राइल के शहर हाइफा पर कब्जा करने की ठान ली थी। लेकिन, हिंदुस्तान के जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद से पहुंचे घुड़सवारों ने केवल ढाल, बरछों और बल्लम के सहारे पहाड़ी की चढ़ाई चढ़ते हुए न सिर्फ इन आक्रांताओं को मार भगाया बल्कि हाइफा पर हिटलर का कब्जा होने से भी बचा लिया। इसी लड़ाई पर अब भारत और इस्राइल मिलकर एक मेगा बजट फिल्म बनाने जा रहे हैं। इसका एलान इस युद्ध की पूर्व संध्या पर इस्राइल में किया गया।

हाइफा युद्ध की पूर्व संध्या पर इस्राइल के शहर हाइफा में भारतीय फिल्म निर्माताओं पीयूष सिंह, अश्विनी चौधरी, मितेन शाह और अतुल पांडे ने इस्राइली अधिकारियों के साथ एक मेगा बजट फिल्म ‘हीरोज ऑफ हाइफा’ की घोषणा की। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान 23 सितंबर 1918 के दिन भारतीय घुड़सवार फौजियों के अदम्य साहस को लेकर इस मौके पर एक खास समारोह आयोजित किया गया और इन जांबाजों के शौर्य को याद करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

आधुनिक इतिहास के सबसे गौरवशाली युद्धों में गिने जाने वाले बैटल ऑफ हाइफा के बारे में बताते हैं कि उस दिन हिंदुस्तानी फौजियों ने दुनिया को अपना मनोबल, रणनीति और कौशल दिखा दिया था। हुआ यूं था कि इस्राइल में हाइफा की पहाड़ियों पर स्थित किले पर कब्जा करने जर्मनी, ऑस्ट्रिया और उनकी सहयोगी सेना पहुंच चुकी थीं। सैकड़ों की तादाद में जुटे इन सैनिकों के पास आधुनिक मशीन गन, तोपें और तमाम असलाह बारूद था। उधर, इजराइल की मदद के लिए पहुंची भारतीय टुकड़ी में जोधपुर लांसर्स, मैसूर लांसर्स और हैदराबाद लांसर्स के घुड़सवार फौजियों के पास हथियारों के नाम पर सिर्फ बरछे और भाले ही थे।

इन मुट्ठी भर घुड़सवार फौजियों ने इस व्यूह रचना के साथ पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया कि ऊपर से बरसाई जा रही गोलियों से ये लगातार बचते बचाते ऊपर तक पहुंच गए। अपने भालों और बरछों से इन्होंने तमाम दुश्मनों को मार गिराया और बाकियों को वहां से खदेड़ दिया। हाइफा शहर के सबसे महत्वपूर्ण चौक पर अब भी इन घुड़सवार फौजियों की याद में एक स्मारक बना हुआ। बैटल ऑफ हाइफा की कहानी इजराइल की स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी तभी से शामिल रही है।

भारत से संचालित होने वाली फिल्म कंपनी गोल्डन रेशियो फिल्म्स बैटल ऑफ हाइफा पर जो फिल्म ‘हीरोज ऑफ हाइफा’ बनाने जा रही है, उसमें हंड्रेड फिल्म्स के अतुल पांडे और येएलस्टार फिल्म्स के मितेन शाह ने भी हाथ मिलाया है। गोल्डन रेशियो फिल्म्स की निवेशक कंपनी विस्टास मीडिया कैपिटल के सह संस्थापक और ग्रुप सीओओ पीयूष सिंह कहते हैं, ‘इस साझेदारी से हम खुद को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। फिल्म ‘हीरोज ऑफ हाइफा’ उन जांबाज फौजियों की कहानी है जो इतिहास के पन्नों में कहीं खो गए थे।’



Source link

Enable Notifications OK No thanks