IPL 2022: टीम में नजरअंदाज, नीलामी में भी जैसे-तैसे मिले खरीदार, अब ‘बैकअप’ से मैच विनर बने 5 खिलाड़ी


नई दिल्ली. आईपीएल 2022 को शुरू हुए एक महीना हो गया है. सभी 10 टीमों ने अपने आधे लीग मैच खेल लिए हैं. इस दौरान कई ऐसे खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया, जिन्हें फ्रेंचाइजी ने बैकअप खिलाड़ी के तौर पर अपने साथ जोड़ा था. इनके प्लेइंग-XI में भी खेलने की बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं. लेकिन आधा सीजन बीत जाने के बाद यही खिलाड़ी टीम के लिए मैच विनर बनकर उभरे हैं या यूं कहें कि जिन्हें कमजोर कड़ी माना जा रहा था, वो ही सबसे मजबूत हथियार साबित हुए हैं, तो गलत नहीं होगा.

इसमें सबसे बड़ा नाम कुलदीप यादव है. इस चाइनामैन गेंदबाज के करियर के बीते कुछ साल अच्छे नहीं रहे. टीम इंडिया से तो टिकट कटा ही, कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए भी 2 साल में बमुश्किल 4-5 मुकाबले ही खेल पाए. वरुण चक्रवर्ती के केकेआर में आने के बाद से ही कुलदीप नजरअंदाज होना शुरू हो गए थे. उनकी गेंद में पहले जैसी धार नजर भी नहीं दिख रही थी. धीरे-धीरे वो केकेआर के प्लेइंग-XI से भी बाहर हो गए. आईपीएल 2022 के मेगा ऑक्शन से पहले केकेआर ने उन्हें रिलीज कर दिया. इससे यह बात साबित हो गई कि वो अब ऐसे गेंदबाज नहीं थे, जिनके लिए टीमें तरसती हों.

मेगा ऑक्शन में भी कुलदीप पर दो टीमों ने दांव लगाया और बाजी दिल्ली कैपिटल्स ने मारी और 2 करोड़ में इस गेंदबाज को खरीद लिया. इस सीजन में वो दिल्ली के अब तक हुए सभी मुकाबलों में प्लेइंग-XI का हिस्सा रहे हैं

कुलदीप मैच विनर बनकर उभरे

दिल्ली कैपिटल्स में कुलदीप का विश्वास लौट आया है. इसका असर उनके प्रदर्शन में भी दिख रहा है और वो पर्पल कैप की रेस में शामिल हैं. वो अब तक 13 विकेट ले चुके हैं. उनकी गेंद पहले के मुकाबले ज्यादा स्पिन हो रही है. अब वो गेंद को फ्लाइट देने और छक्का खाने से नहीं डर रहे हैं. इसी वजह से गेंद उनके हाथ से अच्छे से निकल रही है. अपनी पुरानी टीम केकेआर के खिलाफ 4 विकेट लेने उन्होंने इसे साबित भी किया और पहली पसंद का गेंदबाज न होने के बावजूद अपने प्रदर्शन से इस सीजन में दिल्ली कैपिटल्स के सबसे बड़े हथियार बनकर उभरे हैं.

उमेश पावरप्ले में चमके

उमेश यादव: इस सीजन में यह भारतीय तेज गेंदबाज कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए पावरप्ले के स्पेशलिस्ट गेंदबाज के रूप में उभरा है. लेकिन, वो नीलामी में किसी भी टीम की पहली पसंद नहीं थे. इसका सबूत है कि वो ऑक्शन के आखिरी दौर में जाकर बिके. उन्हें 2 करोड़ की बेस प्राइस पर केकेआर ने खरीदा. जिस टीम के साथ उन्होंने 2014 में आईपीएल जीता था और 2017 तक रहे थे. लेकिन उनके प्लेइंग-XI में चुने जाने की उम्मीद कम ही थी. क्योंकि दिल्ली कैपिटल्स में, जहां अनकैप्ड होने के बावजूद आवेश खान को एनरिक नॉर्खिया और कैगिसो रबाडा के बाद तीसरे पेसर के रूप में तरजीह मिली और उमेश नजरअंदाज हुए.

केकेआर ने शिवम मावी को अपनी पहली पसंद के पेसर के रूप में चुना था. लेकिन पैट कमिंस और टिम साउदी की अनुपलब्धता की वजह से उमेश का प्लेइंग-XIमें चुने जाने का रास्ता खुला और उन्होंने इस मौके का पूरा फायदा और पावरप्ले में अपनी गेंदबाजी से सबको चौंका दिया. शुरुआती पांच मुकाबलों में उन्होंने पावरप्ले में 5.77 की इकोनॉमी रेट से 6 विकेट लिए और इस अवधि में सबसे अधिक विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज भी बने. पिछले 3 मुकाबलों में उनकी गेंदबाजी में धार नहीं दिखी है. लेकिन एक बैकअप गेंदबाज से आगे बढ़कर उमेश केकेआर की तेज गेंदबाजी आक्रमण के अहम हथियार बन गए हैं.

शिवम दुबे: पावर हिटर के रूप में इस सीजन में तीन अहम पारियां. इसमें से एक 95 रन की पारी, अपनी पुरानी टीम आरसीबी के खिलाफ. शिवम दुबे के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता था? उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने मेगा ऑक्शन में मोटी कीमत में खरीदा. इस सीजन में उनके खेल को देखकर यही लग रहा है कि बतौर बल्लेबाज अब उनकी सोच साफ है, जो पिछले आईपीएल तक गायब थी. वो तीन सीजन में तीसरी फ्रेंचाइजी के लिए खेल रहे हैं. इससे पता चलता है कि एक खिलाड़ी के तौर पर वो अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और न ही फ्रेंचाइजी उनकी उपयोगिता समझ पा रही थी. आरसीबी में उनका रोल मैच फिनिशर का था. उनसे यह उम्मीद थी कि वो एबी डिविलियर्स पर से दबाव कम करेंगे.

राजस्थान रॉयल्स में उन्हें मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज की भूमिका में रखा गया.लेकिन, चेन्नई सुपर किंग्स में उन्हें ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की खुली छूट मिली और ऐसा लगता है कि यह उनके रास आ रहा है. उनका शॉट सेलेक्शन शानदार रहा है. हालांकि, गेंदबाजी में वो अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं. खासतौर पर डेथ ओवर में. लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ 19वें ओवर में 25 रन लुटाना इसका सबूत है. वर्ना शिवम के लिए यह सीजन और भी यादगार हो जाता.

शाहबाज अहमद: बंगाल की तरफ से घरेलू क्रिकेट खेलने वाला यह खिलाड़ी ऐसा बल्लेबाज है, जो बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी कर लेता है. उनकी बल्लेबाजी को करीब से देखने वाले खेल के जानकारों का मानना है कि वो रेड बॉल क्रिकेट में छठे नंबर के बल्लेबाज के रूप में आसानी से किसी भी टीम का हिस्सा हो सकते हैं. लेकिन उन्हें इसके मौके कम ही मिले हैं. वो पावरप्ले में एक-दो अच्छे ओवर फेंक सकते हैं. अगर पिच से स्पिन गेंदबाजों को मदद मिल रही है तो फिर बीच के ओवर में भी शहबाज का इस्तेमाल हो सकता है.

वो 2020 में आरसीबी से जुड़े थे. लेकिन खेलने के मौके कम ही मिले हैं. लेकिन इस साल ऑक्शन में दोबारा आरसीबी ने इस खिलाड़ी पर दांव खेला. उनके साथ भी यही सवाल था कि क्या वो नियमित तौर पर आरसीबी के प्लेइंग-XI का हिस्सा बनेंगे? लेकिन अब तक इस खिलाड़ी को जो मौके मिले हैं, उसने अपने सेलेक्शन को सही साबित किया है और फर्स्ट चॉइस खिलाड़ी नहीं होने के बावजूद मैच विनर बनकर उभरे हैं. दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ 21 गेंद में 32 रन की पारी इसका सबूत है.

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एडेन मार्करम: दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज की अपने देश की टेस्ट टीम में जगह खतरे में थी. उन्हें कप्तान डीन एल्गर ने अल्टीमेटम तक दे दिया था. उनका आत्मविश्वास हिला हुआ था. लेकिन फॉर्मेट बदलते ही मार्करम का खेल ही बदल गया. वो इस सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए नंबर-4 के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में उभरे हैं. वो इस नंबर पर 150 के स्ट्राइक रेट से 190 रन बना चुके हैं. सनराइजर्स ने जो अपने पिछले 5 मुकाबले जीते हैं, उसमें इस बल्लेबाज का रोल अहम रहा है.

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मार्करम के कारण ही सनराइजर्स का इस सीजन में बाकी सभी टीमों के मुकाबले मिडिल ऑर्डर (4 से 7 नंबर) में सबसे बेहतर (49.85) का औसत है. टीम में किसी विशेषज्ञ स्पिनर के न होने और अब वॉशिंगटन सुंदर के चोट के कारण टीम से बाहर होने की सूरत में मार्करम ने विलियमसन को स्पिन गेंदबाजी में भी एक विकल्प दिया है.

Tags: Aiden Markram, IPL, IPL 2022, Kuldeep Yadav, Shivam Dube, Umesh yadav

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