दिल्ली मास्टर प्लान- 2041 में यमुना डूब क्षेत्र को लेकर ये है DDA की तैयारी, जानें सबकुछ


नई दिल्ली. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने केंद्र सरकार (Central Government) से मास्टर प्लान 2041 (Delhi Master Plan- 2041) में यमुना डूब क्षेत्र (Yamuna Floodplain Area) का दायरा कम करने की सिफारिश की है. पिछले दिनों ही डीडीए ने यह प्रस्ताव केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय (Union Urban Development Ministry) को भेजा है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलते ही दिल्ली में यमुना डूब क्षेत्र का दायरा कम कर दिया जाएगा. डीडीए की इस सिफारिश को अगर केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिलती है तो यमुना किनारे 2015 से पहले बसी कॉलोनियों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी. आपको बता दें कि डीडीए ने मास्टर प्लान 2041 में यमुना के डूब क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. इसमें यमुना के करीब 1 किमी के दायरे में किसी भी प्रकार के निर्माण की इजाजत नहीं होगी.

आपको बता दें कि साल 2021 तक के मास्टरप्लान में यह दायरा 3 किलोमीटर तक थी. लेकिन, बीते कुछ सालों में यमुना किनारे तेजी से निर्माण कार्य हुए हैं. दिल्ली के नए मास्टरप्लान में इन इलाकों को छूट देने की बात लगातार उठती रही है. डूब क्षेत्र को मान्यता देने की बात बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के द्वारा भी की जाती रही हैं.

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इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बहुत बड़ी आबादी को राहत मिलेगी.

क्या यमुना डूब क्षेत्र का दायरा घटेगा?
अब इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बहुत बड़ी आबादी को राहत मिलेगी. डीडीए अधिकारियों के मुताबिक केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद पूरे यमुना तट की मैपिंग की जाएगी. इसके बाद सभी कालोनियों या अन्य पक्के निर्माणों की जिओ लोकेशन तैयार की जाएगी. डीडीए इसके बाद सभी सरकारी विभागों से मंजूरी के लिए फाइल भेजेगी. इसके बाद कालोनियों को नियमित या कालोनियों में मालिकाना हक देने का काम शुरू किया जाएगा.

5 लाख की आबादी को मिल सकता है लाभ
डीडीए के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में वक्त लगेगा, लेकिन एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद 5 लाख से भी अधिक लोगों को राहत मिलेगी. खासकर पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली में यमुना के किनारे बड़ी संख्या में जो कालोनियों बसी हुई हैं. इन कालोनियों में रहने वाले लोगों को सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता है. अगर डीडीए के द्वारा मंजूरी मिल जाती है तो यहां सड़क, पानी, बिजाली के साथ-साथ सफाई, शौचालय, समुदायिक भवन जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी लाभ मिलने लगेगा.

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गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से दिल्ली के एलजी के निर्देश पर डीडीए यमुना खादर क्षेत्र में अतिक्रमण और अनधिकृत गतिविधियां रोकने के लिए लगातार कार्रवाई भी की जा रही है. साथ ही डीडीए यमुना किनारों के सुंदरीकरण कार्य को गति देने का काम भी कर रही है. डीडीए वजीराबाद और ओखला बैराज के बीच 22 किलोमीटर लंबे शहरी रिवरफ्रंट का विकास कर रहा है. इस परियोजना का उद्देश्य साइकलिंग ट्रैक, वॉकवे, इको-ट्रेल्स टू वेटलैंड्स और एक बाढ़ के जंगल जैसी सुविधाएं बनाना है.

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