हाइलाइट्स
गृह मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ यह मुद्दा उठाया.
ये ऐप्स डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर जरिए लोगों तक पहुंच रहीं.
कर्ज लेने वाले को आवश्यक रूप से निजी जानकारियां देनी होती हैं.
नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कर्ज देने वाले मोबाइल ऐप के खिलाफ कानून प्रतर्वन एजेंसियों को सख्त कार्रवाई करने को कहा है. गृह मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संवाद में इस मुद्दे को उठाया है. गौरतलब है कि चीन के नियंत्रण वाली इन कंपनियों के उत्पीड़न और पैसा वसूल करने के सख्त तरीकों की वजह से आत्महत्या की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि इस मुद्दे का राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा पर बड़ा गंभीर असर हो रहा है.
इसमें कहा गया कि देशभर से बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि डिजिटल तरीके से कर्ज देने वाली गैरकानूनी ऐप विशेषकर कमजोर और निम्न आय वर्ग के लोगों को ऊंची ब्याज दरों पर कम अवधि के कर्ज देती है. इसमें छिपे शुल्क भी होते हैं. ये कंपनियां कर्जदारों के संपर्क, स्थान, तस्वीरों और वीडियो जैसे गोपनीय निजी डेटा का इस्तेमाल कर उनका उत्पीड़न करती हैं और उन्हें ब्लैकमेल भी करती हैं.
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संगठित साइबर अपराध
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जांच में यह पाया गया है कि यह एक संगठित साइबर अपराध है जिसे अस्थायी ईमेल, वर्चुअल नंबर, अनजाने लोगों के खातों, मुखौटा कंपनियों, भुगतान सेवा प्रदाताओं, एपीआई सेवाओं, क्लाउड होस्टिंग और क्रिप्टोकरंसी के जरिये अंजाम दिया जाता है. कर्ज लेने वाले को आवश्यक रूप से अपनी निजी जानकारियां मुहैया करानी होती हैं. गृह मंत्रालय का कहना है कि इन ऐप्स को आरबीआई द्वारा रेग्युलेट नहीं किया जा सकता है. ये ऐप्स बल्क एसएमएस, डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर और ऐप स्टोर के जरिए लोगों के बीच पहुंच बना रही हैं.
किन लोगों पर निशाना?
गृह मंत्रालय ने कहा है कि ये ऐप्स उन लोगों को टारगेट कर रही हैं जिनकी आय बेहद कम है और उन्हें पैसों की जरूरत है. इन ऐप्स के जरिए उन लोगों को आसानी से लोन तो मिल जा रहा है लेकिन उसके बाद कर्जदार को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. कर्जवसूली के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कठोर तरीकों ने देश में कई लोगों की जान ली है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2022, 19:35 IST