मोबाइल-टैब खूब देख रहा है बच्‍चा? हो जाएं अलर्ट, हो रही बड़ों वाली ‘बीमारी’, जानें


कोविड महामारी ने लोगों की जिंदगी बदल दी है। ऑफ‍िस धीरे-धीरे खुलने हैं, लेकिन करीब 2 साल तक वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्‍लास ने लोगों को स्‍क्रीन का आदी बना दिया है। बच्‍चे सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए हैं। पढ़ाई ने उनके हाथ में स्‍मार्टफोन और टैबलेट थमा दिए, जो अब आदत बन गए हैं। इससे बच्‍चों का स्‍क्रीन टाइम पहले से ज्‍यादा बढ़ गया है। हाल ही में विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इस बढ़े हुए स्क्रीन टाइम के कारण 6 साल से कम उम्र के बच्चों को आंखों की परेशानी होती है। इसे आसान भाषा में समझें तो लाल आंखों की परेशानी जो आमतौर पर वयस्‍कों को प्रभावित करती है, बच्‍चों को भी अपनी चपेट में ले सकती है। 

मेल ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, आंख की परेशानियां आमतौर पर किसी व्यक्ति को 50-60 साल की उम्र में परेशान करती हैं। इसे अनदेखा किया जाए, ठीक से इलाज नहीं किया जाए तो खुजली, लाल आंखें, संवेदनशील आंखें समेत कई परेशानियां होने लगती हैं। बीमारी की गंभीरता से मरीज ऐसी स्थिति तक पहुंच जाता है, जिसमें आंखों को हमेशा के लिए कुछ नुकसान हो जाते हैं। 

एक ऑप्टोमेट्रिस्ट और ड्राई आई स्पेशलिस्ट सारा फरेंट ने बताया है कि अब कई बच्चे भी उनके पास आंखों की समस्या की वजह से आ रहे हैं। साराह ने बताया कि 5 से 6 साल पहले उनके पास कोई बच्‍चा इलाज के लिए नहीं आता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कुछ साल में उनके पास छोटे बच्‍चे भी आते हैं। इनमें से जिसकी उम्र सबसे कम थी, वह एक 6 साल की छोटी बच्‍ची थी। 

ड्राई आई एक्‍सपर्ट डॉ. मैथ्यू ऑलसेन के अनुसार, ड्राई आई डिजीज का पीड़‍ित व्‍यक्ति की लाइफ की क्‍वॉलिटी पर बड़ा असर पड़ता है। सभी उम्र के लोगों को इस बारे में जागरूक होने की जरूरत है। यह परिस्थिति ऐसी है, जिससे होने वाले कई नुकसान ठीक नहीं किए जा सकते। 

बच्‍चों में ड्राई आंखों के केस का मिलना वाकई गंभीर है। बच्‍चे अपना खयाल भी खुद नहीं रख सकते हैं। ऐसे में पैरंट्स को ज्‍यादा सजह होने की जरूरत है। अगर आपका बच्‍चा भी मोबाइल या टैब पर ज्‍यादा समय बिताता है, तो ध्‍यान रखें। उसके स्‍क्रीन टाइम को कम से कम करने की कोशिश करें। 
 

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