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ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ((Mohammed Zubair)) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से जमानत मिलने के बाद गुरुवार को (28 जुलाई) को पहला ट्विटर पोस्ट किया। जुबैर के खिलाफ कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उत्तर प्रदेश में छह मामले दर्ज किए गए थे। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। करीब 24 दिनों तक जेल में रहने के बाद जुबैर 20 जुलाई को रिहा हुए थे। जुबैर ने ट्वीट में पिछले महीने अपने शुभचिंतकों को उनका समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया है।
जुबैर ने अपने ट्वीट की शुरुआत उर्दू के दिग्गज कवि और शायह राहत इंदौरी की एक कविता के साथ करते हुए लिखा है, “जो आज साहिब ए मसनद हैं कल नहीं होंगे!” जिसके मोटे तौर पर मतलब है कि जो आज सत्ता में हैं, वे कल नहीं होंगे। इसके बाद उन्होंने लिखा, “आप सभी का धन्यवाद, मैं पिछले एक महीने में भारत और दुनियाभर के शुभचिंतकों से मिले समर्थन के आभारी हूं। आपके समर्थन ने मुझे और मेरे परिवार को बहुत ताकत दी।”
Jo aaj sahib-e-masnand hai kal nahi hoge!
Thank you everyone, I am humbled and grateful for the amazing support I’ve received in the past one month from well wishers in India and from across the world. Your support gave a lot of strength to me & my family. ✊️ ❤ pic.twitter.com/fjx9iiK8Ut— Mohammed Zubair (@zoo_bear) July 28, 2022
जुबैर के खिलाफ यूपी में सात केस हुए हैं दर्ज
जुबैर को दिल्ली पुलिस ने 27 जून को हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में पोस्ट किए गए अपने एक ट्वीट के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जुबैर को उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले ट्वीट पोस्ट करने के आरोप में आधा दर्जन प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस और न्यायिक हिरासत में रखा गया था। यूपी पुलिस ने आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था। उत्तर प्रदेश में जुबैर के खिलाफ कुल सात प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, जिनमें दो हाथरस में और एक-एक सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और चंदौली पुलिस थाने में दर्ज की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए टिप्पणी की थी कि गिरफ्तारी को दंडात्मक हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ आपराधिक न्याय तंत्र का लगातार इस्तेमाल किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को जमानत पर रहने के दौरान ट्वीट करने से रोकने की उत्तर प्रदेश सरकार की दलील को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि बोलने पर रोक लगाने का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हतोत्साहित करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की पीठ ने एसआईटी को भंग करने और सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश देते हुए कहा था कि “उन्हें (जुबैर की) स्वतंत्रता से वंचित रहने का कोई कारण या औचित्य नहीं है।”
दिल्ली हाईकोर्ट ने जुबैर की याचिका पर जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस को समय दिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को कथित आपत्तिजनक ट्वीट से जुड़े एक मामले में जुबैर की गिरफ्तारी और तलाशी तथा जब्ती की कवायद के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने के लिए समय दे दिया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि निचली अदालत ने उन्हें इस महीने की शुरुआत में जमानत दे दी थी, लेकिन उन्होंने पीठ से याचिका में किए गए अनुरोध पर राहत देने का आग्रह किया।
दिल्ली पुलिस के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव से चार सप्ताह का समय मांगा। इसके बाद न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मामले पर चार सप्ताह के बाद विचार किया जायेगा।’’ मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
उच्च न्यायालय ने एक जुलाई को जुबैर की याचिका पर नोटिस जारी किया था और जांच एजेंसी को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। याचिका में निचली अदालत के 28 जून के आदेश की वैधता और औचित्य को चुनौती दी गई थी। उल्लेखनीय है कि निचली अदालत ने जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था। ग्रोवर ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद पारित पुलिस रिमांड का आदेश उसके आवेदन को ध्यान में रखे बिना दिया गया था और उनके खिलाफ कोई अपराध तय नहीं किया गया था।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने जुबैर को एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था। जून में जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने कहा था कि एक ट्विटर उपयोगकर्ता की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था, जिसने जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था।