Monkeypox: कोरोना से सात गुना बड़ा है मंकीपॉक्स, केरल के मरीज में मिला दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट, जानें कितना है खतरनाक


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जीनोमिक संरचना में वैज्ञानिकों को मंकीपॉक्स का जीनोम कोरोना वायरस से सात गुना अधिक बड़ा मिला है। साथ ही पता चला है कि केरल निवासी देश के पहले मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज में दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट है जो अन्य वैरिएंट की तुलना में न केवल कम असरदार है बल्कि इसका चिकित्सीय उपचार भी आसान है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, पश्चिमी अफ्रीकी वैरिएंट को जोखिम की श्रेणी में रखा गया है। भारत में अभी केवल दक्षिणी अफ्रीकी वैरिएंट की पुष्टि हुई है। एनआईवी पुणे की टीम के अनुसार कोरोना से सात गुना बड़ी इसकी जीनोमिक सरंचना है। इससे जन स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं है।

बार बार स्वरूप नहीं बदलता
वैज्ञानिक ने कहा, मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है जबकि कोरोना आरएनए वायरस है। डीएनए वायरस बार बार अपना स्वरूप नहीं बदलते हैं। यही वजह है कि मंकीपॉक्स के बहुत अधिक वैरिएंट या क्लैड प्रसारित नहीं है।

निगरानी जरूरी
एनआईवी की वैज्ञानिक ने कहा, भारत को चिंता करने की जरूरत है। निगरानी जरूर बढ़ानी चाहिए। लक्षणों वाले लोगों का परीक्षण करें और संक्रमित रोगियों को अलग करें।

उच्चस्तरीय टीम केरल पहुंची
नई दिल्ली। देश का पहला मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी मिलने के बाद केरल पहुंची केंद्र की उच्चस्तरीय समिति ने जिलावार स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान टीम को पता चला कि संक्रमित रोगी के संपर्क में आए लोग निगेटिव मिले हैं। सभी हवाईअडडों पर निगरानी बढ़ाने के लिए भी कहा जा रहा है। उधर तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने कहा कि हमने केरल से लगी सीमाओं पर निगरानी शुरू कर दी है।

विस्तार

जीनोमिक संरचना में वैज्ञानिकों को मंकीपॉक्स का जीनोम कोरोना वायरस से सात गुना अधिक बड़ा मिला है। साथ ही पता चला है कि केरल निवासी देश के पहले मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज में दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट है जो अन्य वैरिएंट की तुलना में न केवल कम असरदार है बल्कि इसका चिकित्सीय उपचार भी आसान है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, पश्चिमी अफ्रीकी वैरिएंट को जोखिम की श्रेणी में रखा गया है। भारत में अभी केवल दक्षिणी अफ्रीकी वैरिएंट की पुष्टि हुई है। एनआईवी पुणे की टीम के अनुसार कोरोना से सात गुना बड़ी इसकी जीनोमिक सरंचना है। इससे जन स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं है।

बार बार स्वरूप नहीं बदलता

वैज्ञानिक ने कहा, मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है जबकि कोरोना आरएनए वायरस है। डीएनए वायरस बार बार अपना स्वरूप नहीं बदलते हैं। यही वजह है कि मंकीपॉक्स के बहुत अधिक वैरिएंट या क्लैड प्रसारित नहीं है।

निगरानी जरूरी

एनआईवी की वैज्ञानिक ने कहा, भारत को चिंता करने की जरूरत है। निगरानी जरूर बढ़ानी चाहिए। लक्षणों वाले लोगों का परीक्षण करें और संक्रमित रोगियों को अलग करें।

उच्चस्तरीय टीम केरल पहुंची

नई दिल्ली। देश का पहला मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी मिलने के बाद केरल पहुंची केंद्र की उच्चस्तरीय समिति ने जिलावार स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान टीम को पता चला कि संक्रमित रोगी के संपर्क में आए लोग निगेटिव मिले हैं। सभी हवाईअडडों पर निगरानी बढ़ाने के लिए भी कहा जा रहा है। उधर तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने कहा कि हमने केरल से लगी सीमाओं पर निगरानी शुरू कर दी है।



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