एजेंसी, न्यूयॉर्क सिटी।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 15 Apr 2022 05:43 AM IST
सार
अध्ययन में शामिल डॉ. जॉन ब्लेनिस के अनुसार कैंसर की गांठों से एक बार मेटास्टेसाइज प्रक्रिया शुरू हो जाए तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है। कैंसर ट्यूमर मेटास्टेटिक ट्यूमर कैसे बनता है, इसकी विज्ञान को ज्यादा जानकारी नहीं है। कैंसर की गांठ की मेटोस्टेसाइज यानी दूसरी कोशिकाओं में फैलने की प्रक्रिया समझने में मदद मिलेगी। नए रास्ते व इलाज तलाशने में मिलेगी मदद।
विश्व में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन चुके कैंसर को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने नया खुलासा किया है, जिसके अनुसार कैंसर कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं की वसा और प्रोटीन को तोड़ने व पचाने की क्षमता बिगाड़ देती हैं। इससे मिथाइल मेलोनिक एसिड (एमएमए) का स्तर बढ़ जाता है, जो मेटास्टेसिस प्रक्रिया को तेज कर देता है।
मेटास्टेसिस यानी कैंसर का दूसरे अंगों में फैलना। इस प्रक्रिया के बाद ही कैंसर के 90 प्रतिशत मरीज मारे जाते हैं। न्यूयॉर्क की वाएल कॉर्नेल मेडिकल संस्थान के वैज्ञानिकाें की इस खोज को नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित किया है।
इसके अनुसार मेटास्टेटिक गांठें कैंसर मरीजों के प्रोपियोनेट मेटाबॉलिज्म में कुछ खास एन्जाइम्स की गतिविधियों को सीमित कर देती हैं। प्रोपियोनेट मेटाबॉलिज्म वह प्रक्रिया है, जिसमें हमारा शरीर वसा और प्रोटीन पचाता है। एन्जाइम्स जब अपना काम ठीक से नहीं कर पाते तो एमएमए का उत्पादन बढ़ने लगता है। यह एसिड कैंसर कोशिकाओं को और ज्यादा आक्रामक बना देती है।
मेटास्टेसाइज शुरू होने के बाद मरीज को बचाना मुश्किल
- अध्ययन में शामिल डॉ. जॉन ब्लेनिस के अनुसार कैंसर की गांठों से एक बार मेटास्टेसाइज प्रक्रिया शुरू हो जाए तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है। कैंसर ट्यूमर मेटास्टेटिक ट्यूमर कैसे बनता है, इसकी विज्ञान को ज्यादा जानकारी नहीं है।
नई खोज का फायदा
- कैंसर की गांठ की मेटोस्टेसाइज यानी दूसरी कोशिकाओं में फैलने की प्रक्रिया समझने में मदद मिलेगी। नए रास्ते व इलाज तलाशने में मिलेगी मदद।
- स्तन कैंसर सहित कई अन्य कैंसर कोशिकाओं का विश्लेषण करने में मिलेगी मदद।
विस्तार
विश्व में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन चुके कैंसर को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने नया खुलासा किया है, जिसके अनुसार कैंसर कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं की वसा और प्रोटीन को तोड़ने व पचाने की क्षमता बिगाड़ देती हैं। इससे मिथाइल मेलोनिक एसिड (एमएमए) का स्तर बढ़ जाता है, जो मेटास्टेसिस प्रक्रिया को तेज कर देता है।
मेटास्टेसिस यानी कैंसर का दूसरे अंगों में फैलना। इस प्रक्रिया के बाद ही कैंसर के 90 प्रतिशत मरीज मारे जाते हैं। न्यूयॉर्क की वाएल कॉर्नेल मेडिकल संस्थान के वैज्ञानिकाें की इस खोज को नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित किया है।
इसके अनुसार मेटास्टेटिक गांठें कैंसर मरीजों के प्रोपियोनेट मेटाबॉलिज्म में कुछ खास एन्जाइम्स की गतिविधियों को सीमित कर देती हैं। प्रोपियोनेट मेटाबॉलिज्म वह प्रक्रिया है, जिसमें हमारा शरीर वसा और प्रोटीन पचाता है। एन्जाइम्स जब अपना काम ठीक से नहीं कर पाते तो एमएमए का उत्पादन बढ़ने लगता है। यह एसिड कैंसर कोशिकाओं को और ज्यादा आक्रामक बना देती है।
मेटास्टेसाइज शुरू होने के बाद मरीज को बचाना मुश्किल
- अध्ययन में शामिल डॉ. जॉन ब्लेनिस के अनुसार कैंसर की गांठों से एक बार मेटास्टेसाइज प्रक्रिया शुरू हो जाए तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है। कैंसर ट्यूमर मेटास्टेटिक ट्यूमर कैसे बनता है, इसकी विज्ञान को ज्यादा जानकारी नहीं है।
नई खोज का फायदा
- कैंसर की गांठ की मेटोस्टेसाइज यानी दूसरी कोशिकाओं में फैलने की प्रक्रिया समझने में मदद मिलेगी। नए रास्ते व इलाज तलाशने में मिलेगी मदद।
- स्तन कैंसर सहित कई अन्य कैंसर कोशिकाओं का विश्लेषण करने में मिलेगी मदद।
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