महाराष्ट्र : निलंबित 12 भाजपा विधायकों में शामिल एक एमएलए पहुंचा विधानसभा, हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित


महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को उस वक्त हंगामा हो गया, जब भाजपा के 12 निलंबित सांसदों में शामिल एक विधायक सदन में पहुंच गया। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल की अवधि के दौरान स्थगित कर दी गई।
महाराष्ट्र के 12 भाजपा विधायकों को मानसून सत्र के दौरान जुलाई 2021 में एक साल के लिए निलंबित किया गया था। गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही शिवसेना एमएलए भास्कर जाधव ने दावा किया कि भाजपा विधायक योगेश सागर सदन में मौजूद हैं। 

बता दें, 12 भाजपा विधायकों के निलंबन को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध व असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी विधायक का निलंबन अधिकतम चालू सत्र की शेष अवधि के लिए ही किया जा सकता है।

आरंभिक रूप से जाधव ने कहा कि न्यायपालिका विधायिका के कामकाज में दखल नहीं दे सकती है। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वह विधायकों का निलंबन वापस लिए जाने के खिलाफ नहीं है। इसके साथ ही जाधव ने कहा कि वह उस प्रस्ताव का स्टेटस जानना चाहते हैं, जिसके जरिए इन्हें निलंबित किया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल के आरंभ में 12 भाजपा विधायकों का निलंबन खारिज कर दिया था। इसे निष्कासन व अयोग्य करार दिए जाने से भी घटिया बताया था। यह भी कहा था कि संबंधित सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए निलंबन से लोकतांत्रिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा। 

भाजपा विधायक योगेश सागर, संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल, नारायण कुचे, राम सतपुते और कीर्तिकुमार भांगड़िया को पिछले साल तत्कालीन पीठासीन अधिकारी जाधव के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए निलंबित कर दिया गया था। 

गुरुवार को जाधव ने निलंबित विधायक योगेश सागर के प्रश्नकाल के दौरान कार्यवाही में भाग लेने पर आपत्ति जताई। जाधव ने प्रक्रिया का मुद्दा उठाते हुए पूछा कि एक साल का निलंबन पूरा होने से पहले विधायकों को सदन में प्रवेश करने की अनुमति कैसे दी गई? उन्होंने कहा कि विधानसभा ने विधायकों को निलंबित कर दिया और न्यायपालिका विधायिका की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। जाधव ने यह भी कहा कि विधायिका को इस मुद्दे पर खुद को मुखर करना चाहिए। विपक्ष के सदस्य और सत्ता पक्ष के सदस्य सदन के वेल में पहुंच गए। परिणामस्वरूप शोर-शराबा हुआ। इसके बाद डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने सदन को प्रश्नकाल के अंत तक के लिए स्थगित कर दिया।

निलंबित विधायकों में शामिल आशीष शेलार ने कहा कि 89 पन्नों का अदालत का फैसला विधायिका के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता है। अदालत ने निलंबन की अवधि को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। शेलार ने कहा कि अदालत ने प्रस्ताव को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया है। भाजपा विधायक ने कहा कि राज्य महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के अहंकार के कारण विधायिका को शीर्ष अदालत में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।

इस पर, महाराष्ट्र के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने दावा किया कि प्रस्ताव को अवैध और असंवैधानिक नहीं बताया गया है, केवल निलंबन की अवधि पर सवाल उठाया गया है



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