Pakistan News: पाकिस्तान के सिंध में भारी बारिश के बाद मिला बुद्ध का आभूषण, अध्ययन से पता चलेगा इतिहास


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Pakistan News: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हाल में हुई भारी बारिश के बाद मोहनजो-दारो (Mohenjodaro) पुरातात्विक क्षेत्र के निकट भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का आभूषण मिला है। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, दक्षिण क्षेत्र के दीक्षित में तीन अगस्त को भारी बारिश के बाद पुरातात्विक महत्व का यह आभूषण पाया गया। 

धांध गांव के निवासी प्राइवेट टूर गाइड इरशाद अहमद सोलांगी ने बताया, हाल की भारी बारिश के बाद पुरातात्विक क्षेत्र के निकट बने गड्ढे में उसे यह वस्तु मिली। उसने तत्काल साइट अधिकारी और संरक्षक नवीद सांगा को सूचना दी। 

बंदोबस्ती निधि ट्रस्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता मोहन लाल ने इसे भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का आभूषण करार दिया। उन्होंने इसे दुर्लभ और प्राचीन बताते हुए कहा, इसके अध्ययन से इतिहास के सूत्र जोड़े जा सकते हैं।

संस्कृति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ऐसा आभूषण लोग अक्सर अपनी गर्दन में पहनते हैं। अध्ययन से इसके काल का पता लगाया जाएगा। इससे आभूषण के ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक महत्व का पता लगाया जा सकेगा। हमने इसके लिए संस्कृति विभाग में काम कर रहे एक विशेषज्ञ से संपर्क किया है।

भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है मोहनजो-दारो
पुरातात्विक विरासत मोहनजो-दारो की खोज भारतीय पुरातत्ववेत्ता आरडी बनर्जी ने 1922 में की थी। यह सिंध प्रांत में सिंधु नदी के पूर्व में अर्धशुष्क क्षेत्र में स्थित है। 618 एकड़ का यह क्षेत्र सिंधु सभ्यता (2600-1900 बीसी) का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम संरक्षित क्षेत्र है। इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत माना जाता है।

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Pakistan News: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हाल में हुई भारी बारिश के बाद मोहनजो-दारो (Mohenjodaro) पुरातात्विक क्षेत्र के निकट भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का आभूषण मिला है। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, दक्षिण क्षेत्र के दीक्षित में तीन अगस्त को भारी बारिश के बाद पुरातात्विक महत्व का यह आभूषण पाया गया। 

धांध गांव के निवासी प्राइवेट टूर गाइड इरशाद अहमद सोलांगी ने बताया, हाल की भारी बारिश के बाद पुरातात्विक क्षेत्र के निकट बने गड्ढे में उसे यह वस्तु मिली। उसने तत्काल साइट अधिकारी और संरक्षक नवीद सांगा को सूचना दी। 

बंदोबस्ती निधि ट्रस्ट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता मोहन लाल ने इसे भगवान बुद्ध (Lord Buddha) का आभूषण करार दिया। उन्होंने इसे दुर्लभ और प्राचीन बताते हुए कहा, इसके अध्ययन से इतिहास के सूत्र जोड़े जा सकते हैं।

संस्कृति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ऐसा आभूषण लोग अक्सर अपनी गर्दन में पहनते हैं। अध्ययन से इसके काल का पता लगाया जाएगा। इससे आभूषण के ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक महत्व का पता लगाया जा सकेगा। हमने इसके लिए संस्कृति विभाग में काम कर रहे एक विशेषज्ञ से संपर्क किया है।

भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है मोहनजो-दारो

पुरातात्विक विरासत मोहनजो-दारो की खोज भारतीय पुरातत्ववेत्ता आरडी बनर्जी ने 1922 में की थी। यह सिंध प्रांत में सिंधु नदी के पूर्व में अर्धशुष्क क्षेत्र में स्थित है। 618 एकड़ का यह क्षेत्र सिंधु सभ्यता (2600-1900 बीसी) का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम संरक्षित क्षेत्र है। इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत माना जाता है।



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