पाकिस्तान : कबायली परिषद ‘जिरगा’ ने महिलाओं का पर्यटन स्थलों पर जाना रोका, कहा- औरतों का यह कदम ‘अनैतिक’


ख़बर सुनें

पाकिस्तान की एक कबायली परिषद ‘जिरगा’ ने महिलाओं के पर्यटन और मनोरंजन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगा दी है। उसने महिलाओं के इस कदम को ‘अनैतिक’ और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। 

‘डॉन न्यूज’ की खबर के मुताबिक, बाजौर कबायली जिले में अति-रूढ़िवादी सालारजई तहसील की जिरगा (कबायली परिषद) ने एलान किया कि यदि सरकार ने इस फैसले को लागू नहीं किया तो जिरगा सदस्य इसे लागू करने का जिम्मा अपने हाथ में ले लेंगे। 

जिरगा का आयोजन जेयूआई-एफ (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल) की स्थानीय इकाई द्वारा किया गया था और यह सत्तारूढ़ गठबंधन के मुख्य घटकों में से एक है। यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब विश्व आर्थिक मंच ने कुछ ही दिन पहले जारी अपनी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में पाकिस्तान को दुनिया के साथ-साथ क्षेत्र में लैंगिक समानता के मामले में दूसरे सबसे खराब देश का स्थान दिया था।

कई विवादों को हल करना था मकसद
जेयूआई-एफ द्वारा आयोजित इस बैठक में सालारजई तहसील के विभिन्न कबायलियों के वरिष्ठों के अलावा, क्षेत्र के कई जेयूआई-एफ नेताओं और धार्मिक हस्तियों ने भाग लिया। जिला प्रमुख मौलाना अब्दुर रशीद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिरगा का मकसद ईद के दौरान उभरे कई विवादित मुद्दों पर चर्चा कर उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से हल करना था।

इस्लामी परंपराओं के खिलाफ
जिरगा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि यह देखा गया है कि पुरुषों के अलावा कई स्थानीय महिलाएं अपने पति या अन्य रिश्तेदारों के साथ अथवा अकेले ही ईद की छुट्टियों में विभिन्न पर्यटन एवं पिकनिक स्थलों का दौरा करती हैं। यह इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है। वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन और मनोरंजन के लिए इन जगहों पर महिलाओं का जाना पूरी तरह से अनैतिक और अस्वीकार्य है।

विस्तार

पाकिस्तान की एक कबायली परिषद ‘जिरगा’ ने महिलाओं के पर्यटन और मनोरंजन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगा दी है। उसने महिलाओं के इस कदम को ‘अनैतिक’ और इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। 

‘डॉन न्यूज’ की खबर के मुताबिक, बाजौर कबायली जिले में अति-रूढ़िवादी सालारजई तहसील की जिरगा (कबायली परिषद) ने एलान किया कि यदि सरकार ने इस फैसले को लागू नहीं किया तो जिरगा सदस्य इसे लागू करने का जिम्मा अपने हाथ में ले लेंगे। 

जिरगा का आयोजन जेयूआई-एफ (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल) की स्थानीय इकाई द्वारा किया गया था और यह सत्तारूढ़ गठबंधन के मुख्य घटकों में से एक है। यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब विश्व आर्थिक मंच ने कुछ ही दिन पहले जारी अपनी वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में पाकिस्तान को दुनिया के साथ-साथ क्षेत्र में लैंगिक समानता के मामले में दूसरे सबसे खराब देश का स्थान दिया था।

कई विवादों को हल करना था मकसद

जेयूआई-एफ द्वारा आयोजित इस बैठक में सालारजई तहसील के विभिन्न कबायलियों के वरिष्ठों के अलावा, क्षेत्र के कई जेयूआई-एफ नेताओं और धार्मिक हस्तियों ने भाग लिया। जिला प्रमुख मौलाना अब्दुर रशीद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिरगा का मकसद ईद के दौरान उभरे कई विवादित मुद्दों पर चर्चा कर उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से हल करना था।

इस्लामी परंपराओं के खिलाफ

जिरगा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि यह देखा गया है कि पुरुषों के अलावा कई स्थानीय महिलाएं अपने पति या अन्य रिश्तेदारों के साथ अथवा अकेले ही ईद की छुट्टियों में विभिन्न पर्यटन एवं पिकनिक स्थलों का दौरा करती हैं। यह इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है। वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन और मनोरंजन के लिए इन जगहों पर महिलाओं का जाना पूरी तरह से अनैतिक और अस्वीकार्य है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks