अध्ययन: छह राज्यों के चमगादड़ों में मिलीं निपाह के खिलाफ एंटीबॉडी, निगरानी बढ़ाने का सुझाव


परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 06 Apr 2022 05:46 AM IST

सार

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओड़िशा, पांडिचेरी और केरल में चमगादड़ों को पकड़ उनके रक्त नमूने लेकर जब लैब में जांच की तो करीब 20 फीसदी चमगादड़ों में निपाह वायरस से बनने वाली एंटीबॉडी की पहचान हुई।

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देश के दक्षिणी राज्यों में बीते चार साल के दौरान तीन-तीन बार निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं। पिछले वर्ष 2021 के दौरान केरल में निपाह संक्रमण के मामले बढ़े लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों को छह राज्यों के चमगादड़ों में एंटीबॉडी मिली हैं। संक्रमण की चपेट में आने के बाद यह एंटीबॉडी विकसित होती हैं। हालांकि राहत की खबर है कि इनमें से किसी भी चमगादड़ में जीवित वायरस नहीं मिला है।
 
जानकारी के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओड़िशा, पांडिचेरी और केरल में चमगादड़ों को पकड़ उनके रक्त नमूने लेकर जब लैब में जांच की तो करीब 20 फीसदी चमगादड़ों में निपाह वायरस से बनने वाली एंटीबॉडी की पहचान हुई।

इससे यह पता चला है कि ये हाल-फिलहाल में कभी निपाह संक्रमण से संक्रमित हुए होंगे। हालांकि किसी भी चमगादड़ में वायरस जीवित अवस्था में नहीं मिला है, लेकिन वैज्ञानिकों ने देश के प्रत्येक राज्य से निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है। इनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद अब भविष्य में संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि उनकी बेहतर तरीके से निगरानी की जाए ताकि यहां से संक्रमण फल-फूल के जरिए समाज तक नहीं पहुंच सके। 

573 चमगादड़ों पर हुआ शोध
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि जनवरी से नवंबर 2019 के बीच छह राज्यों से 573 चमगादड़ों के नमूने एकत्रित किए। वहीं 255 चमगादड़ों से रक्त नमूना लेकर सीरो पॉजिटिविटी की जांच भी की गई।  इसके बाद परिणामों की समीक्षा में पता चला कि 51 चमगादड़ों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गईं।  डॉ. यादव ने बताया कि निपाह वायरस महामारी फैलने की क्षमता वाले रोगजनकों में से एक है। हालांकि प्रसार को लेकर कोरोना वायरस की तुलना में यह संक्रमण बहुत धीमा है। 

भारत में निपाह संक्रमण की स्थिति

  • 1998 से लेकर 2018 के बीच भारत, मलेशिया और बांग्लादेश में 700 से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं। 
  • 2001 से 2019 के बीच भारत ने निपाह वायरस के चार-चार बार प्रसार देखा है। 
  • 2001 में पश्चिम बंगाल में निपाह वायरस के पहली बार मरीज मिले थे, उस दौरान मृत्युदर 74 फीसदी दर्ज की गई। साल 2007 में भी यहां बीमारी फैली और मृत्युदर 100 फीसदी तक रही।
  • बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल और ओडिशा में अब तक कई मामले मिले हैं।

‘निपाह बेल्ट’ में तीन मामले, स्रोत का पता नहीं
मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि निपाह वायरस के तीन मामले लगातार वर्षों में दक्षिणी राज्य केरल में सामने आए हैं। डॉ. प्रज्ञा यादव का कहना है कि केरल एक प्रकार से निपाह बेल्ट माना जाता है। वहां यह संक्रमण तीन इंसानों में मिला है लेकिन अब तक उसके स्त्रोत के बारे में पता नहीं चला। यह एक प्रकार से संकेत भी हो सकता है जो भविष्य को लेकर किसी बड़ी चुनौती से बचने की जानकारी दे रहा हो।

विस्तार

देश के दक्षिणी राज्यों में बीते चार साल के दौरान तीन-तीन बार निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं। पिछले वर्ष 2021 के दौरान केरल में निपाह संक्रमण के मामले बढ़े लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों को छह राज्यों के चमगादड़ों में एंटीबॉडी मिली हैं। संक्रमण की चपेट में आने के बाद यह एंटीबॉडी विकसित होती हैं। हालांकि राहत की खबर है कि इनमें से किसी भी चमगादड़ में जीवित वायरस नहीं मिला है।

 

जानकारी के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओड़िशा, पांडिचेरी और केरल में चमगादड़ों को पकड़ उनके रक्त नमूने लेकर जब लैब में जांच की तो करीब 20 फीसदी चमगादड़ों में निपाह वायरस से बनने वाली एंटीबॉडी की पहचान हुई।

इससे यह पता चला है कि ये हाल-फिलहाल में कभी निपाह संक्रमण से संक्रमित हुए होंगे। हालांकि किसी भी चमगादड़ में वायरस जीवित अवस्था में नहीं मिला है, लेकिन वैज्ञानिकों ने देश के प्रत्येक राज्य से निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है। इनका कहना है कि कोरोना महामारी के बाद अब भविष्य में संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि उनकी बेहतर तरीके से निगरानी की जाए ताकि यहां से संक्रमण फल-फूल के जरिए समाज तक नहीं पहुंच सके। 

573 चमगादड़ों पर हुआ शोध

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि जनवरी से नवंबर 2019 के बीच छह राज्यों से 573 चमगादड़ों के नमूने एकत्रित किए। वहीं 255 चमगादड़ों से रक्त नमूना लेकर सीरो पॉजिटिविटी की जांच भी की गई।  इसके बाद परिणामों की समीक्षा में पता चला कि 51 चमगादड़ों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गईं।  डॉ. यादव ने बताया कि निपाह वायरस महामारी फैलने की क्षमता वाले रोगजनकों में से एक है। हालांकि प्रसार को लेकर कोरोना वायरस की तुलना में यह संक्रमण बहुत धीमा है। 

भारत में निपाह संक्रमण की स्थिति

  • 1998 से लेकर 2018 के बीच भारत, मलेशिया और बांग्लादेश में 700 से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं। 
  • 2001 से 2019 के बीच भारत ने निपाह वायरस के चार-चार बार प्रसार देखा है। 
  • 2001 में पश्चिम बंगाल में निपाह वायरस के पहली बार मरीज मिले थे, उस दौरान मृत्युदर 74 फीसदी दर्ज की गई। साल 2007 में भी यहां बीमारी फैली और मृत्युदर 100 फीसदी तक रही।
  • बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल और ओडिशा में अब तक कई मामले मिले हैं।

‘निपाह बेल्ट’ में तीन मामले, स्रोत का पता नहीं

मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि निपाह वायरस के तीन मामले लगातार वर्षों में दक्षिणी राज्य केरल में सामने आए हैं। डॉ. प्रज्ञा यादव का कहना है कि केरल एक प्रकार से निपाह बेल्ट माना जाता है। वहां यह संक्रमण तीन इंसानों में मिला है लेकिन अब तक उसके स्त्रोत के बारे में पता नहीं चला। यह एक प्रकार से संकेत भी हो सकता है जो भविष्य को लेकर किसी बड़ी चुनौती से बचने की जानकारी दे रहा हो।



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