विमल कुमार
सच यही बात है कि क्रिकेट फैंस अपने सुपरस्टार को लेकर जरुरत से ज्यादा भावुक हो जाते हैं. उन्हें अपने चहेते खिलाड़ी को तुरंत आसमान पर बिठाने में देर नहीं लगती तो पलक झपकते उनके पुतले भी जलाने को तैयार हो जाते हैं. पुतला जलाने का मतलब है सोशल मीडिया में ट्रोलिंग. विराट कोहली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उनकी टीम एक बार फिर से IPL खिताब जीतने से चूक गई.
Source: News18Hindi
Last updated on: May 31, 2022, 8:06 PM IST
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर एक बार फिर से आईपीएल के प्लेऑफ में हारा क्या, विराट कोहली के आलोचकों ने उन पर हमला बोलना शुरु कर दिया. कोई बैंगलोर के खराब खेल के लिए सीधे-सीधे कोहली को गुनाहगार बताने से हिचक नहीं रहा था तो किसी ने ये सलाह देने में भी देर नहीं लगाई कि कोहली को अब संन्यास ले लेना चाहिए लेकिन, हमेशा की तरह सच यही बात है कि फैंस और वो भी क्रिकेट के फैंस अपने सुपरस्टार को लेकर जरुरत से ज्यादा भावुक हो जाते हैं. उन्हें अपने चहेते खिलाड़ी को तुरंत आसमान पर बिठाने में देर नहीं लगती तो पलक झपकते उनके पुतले भी जलाने को तैयार हो जाते हैं. पुतला जलाने का मतलब है सोशल मीडिया में ट्रोलिंग!
बहरहाल, अगर किसी को भी ये लगता है कि आईपीएल 2022 कोहली के करयिर का सबसे खराब सीजन रहा है तो वो सरासर गलत सोच रहा है. कोहली ने इस सीजन भले ही सिर्फ 2 अर्धशतक लगाए और उनका औसत महज 23 (22.73) का ही रहा, स्ट्राइक रेट भले ही केवल 116(115.99) का लेकिन अतीत के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि कोहली ने इससे भी बुरा दौर देखा है. उसके बाद शानदार वापसी भी की है. अगर यकीन नहीं होता तो पहले आईपीएल से लेकर तीसरे आईपीएल तक कोहली के आंकड़ो को खंगाल कर देख लें. 2008 से 2010 के बीच तीन सीजन खेलकर भी कोहली सिर्फ 2 अर्धशतक ही बना पाये थे. और तो और उनका औसत 22 (21.66) से नीचे और स्ट्राइक रेट 120 से भी कम का था . लेकिन तब भी युवा कोहली के लिए टीम इंडिया में आने के लिए परेशानी नहीं हुई क्योंकि तब के चयनकर्ताओं को आभास हो चुका था कि वो भविष्य के सुपरस्टार हैं.
दर्जन साल के बाद कोहली अब अपने नाम के अनरुप ही ना सिर्फ भारतीय क्रिकेट बल्कि दुनिया के लिए एक विराट बल्लेबाज ही हस्ती बना चुके हैं. संघर्ष के ऐसे दौर से गुजरने के बावजू किसी भी पूर्व खिलाड़ी में ये दुस्साहस नहीं है कि वो कोहली को टीम इंडिया से बाहर करने के बार में इशारों में भी कुछ कह पाये. ऐसा भय तो महना सचिन तेंदुलकर के लिए भी नहीं था क्योंकि 2006 में मास्टर ब्लास्टर के संघर्ष के दौरान “Endulkar! ” जैसी हेडलाइन भी अखबारों का हिस्सा बनीं.
ये सच है कि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी 20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया में कोहली की जगह को लेकर चर्चा करना या सवाल उठाना एक तरह से ईश्वर की आस्था पर चोट करने जैसा है. तो क्या हुआ अगर कोहली पिछेल 3 सालों से और 120 से ज्यादा पारियों से पेशवेर क्रिकेट में शतक नहीं जमा पाये हैं. केविन पीटरसन से लेकर संजय मांजरेकर तक क्रिकेट के जानकारों ने भी कोहली के टीम में बने रहने को लेकर आश्वत रहने की बात की है. बुनियादी तौर पर ये बात तो साफ है कि अब जबकि वर्ल्ड कप में करीब 5 महीने से ज्यादा का वक्त बचा है तो क्या कोहली की टीम में चयन को लेकर फिलहाल बहस करना उचित नहीं होगा लेकिन, आलोचक तो ये तर्क भी दे सकते हैं कि अगर भविष्य की योजनाओं को वक्त रहते ठोस तरीके से उचित कदम नहीं उठाया गया तो इसका खामियाजा अकटूर-नवंबर में क्रिकेट के महाकुंभ के दौरान रोहित शर्मा और हेड कोच राहुल द्रविड़ को उठाना पड़ सकता है.
बहुत दिनों से ना सिर्फ कोहली बल्कि कप्तान रोहति शर्मा और उप-कप्तान के एल राहुल का टॉप ऑर्डर में कोहली के साथ बल्लेबाजी क्रम में होना बहुत सारे जानकारों को अचपटा लग रहा है क्योंकि एक तो तीनों ही दायें हाथ के बल्लेबाज हैं और कमोबेश तीनों की बल्लेबाजी की शैली भी लगभग एक जैसी है. ये तीनों शुरुआत में धीमे तरीके स खेलते हुए एंकर की भूमिका निभाना चाहते हैं जिससे पावर-प्ले का फायदा अक्स टीम इंडिया नहीं उठा पाती है और इसका दबाव डेथ ओवर्स के बल्लेबाजों को झेलना पड़ता है.
साउथ अफ्रीका के खिलाफ जून में होने वाली 5 मैचों की टी20 सीरीज में कोहली भले ही नहीं खेल रहें हैं और ऑयरलैंड के खिलाफ वो जून के आखिर में 2 टी-20 मैचों में शिरकत नहीं करेंगे लेकिन इंग्लैंड में इंग्लैंड के खिलाफ़ वो जुलाई में 5 मैचों की हाइ-प्रोफाइल सीरीज में जरुर खेल सकते हैं.
वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया की सबसे बड़ी चुनौती यही सीरीज साबित हो सकती है क्योंकि इंग्लैंड ही इकलौता ऐसा मुल्क हैं जहां पर टीम इंडिया ने दौरा किया हो लेकतिन टी20 फॉर्मेट में मेजबान को मात नहीं दी है. हाल ही में एक इटंरव्यू में कोहली ने ये भी कहा है कि इस साल उनका इरादा टीम इंडिया को एशिया कप और वर्ल्ड कप में जीत दिलाना है. अपने 100वें मैच की दहलीज पर खड़े का औसत (51.50) इस फॉर्मेट में सबसे बेहतरीन है. उनके सबसे ज्यादा 3296 रनों के पास तो कोई फटकता भी नहीं दिख रहा है. 30 अर्ध शतक 137.67 का स्ट्राइक रेट कोहली को इस फॉर्मेट का सबसे कामयाब बल्लेबाज बताने के लिए शायद काफी हों. कम से कम अंत्तराष्ट्रीय स्तर पर तो ये बात बिलकुल सही दिखती है. ऐसे में चयनकर्ता कैसे कोहली के एस पहलू को नजरअंदाज करने के बारे में सोच भी सकते हैं.
कोहली की स्थिति इतनी बेहतर भी नहीं है जितनी की वो दिख रही है. आईपीएल में कोहली का संघर्ष उस दौर में आया जब बीसीसीआई के तमाम बड़े अधिकारी कोहली के रवैये से नाराज चल रहें हैं. बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली के साथ कोहली की खींच-तान तो किसी से भी छिपी नहीं है.
ये ठीक है ऐसा कुछ भी नहीं होगा और कोहली स्वाभाविक तरीके से वर्ल्ड कप टीम में शुमार होंगे. लेकिन अगर कोहली फिर से रन बने में अगले दो महीने में नाकाम हुए तब फिर क्या होगा? तेंदुलकर और धोनी जैसे दिग्गजों को भी अपने करियर के आखिरी दौरे में दबी जुंबा में ऐसे सवालों से गुजरना पड़ा था. आज कोहली को पिच पर आते देख उमेश यादव भी दो स्लिप लगाने की मांग कपत्ना से कर देते हैं और कप्तान उन्हें एक अतिरिक्त लेग स्लिप भी दे देता है ताकि कोहली पर और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके! ये कोहली के विराट दबदबे के खत्म होने की गवाही दे रहा है. लेकिन, क्या सिर्फ इसी बात के चलते अभी से कोहली के करियर को टी20 फॉर्मेट में खत्म मान लेना चाहिए. शायद नहीं क्योंकि कोहली ने पूरे करियर में दिखाया है कि वो गिरने के बाद जब उठतें है तो उनसे बड़ा पलटवार कोई नहीं करता है. ना सिर्फ कोहली बल्कि भारतीय क्रिकेट चाहने वाले भी किंग कोहली से उसी बादशाहत के वापस लौटने की उम्मीद कर रहें हैं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
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First published: May 31, 2022, 8:06 PM IST