बिहार: भूमिहार ब्राह्मणों से बोले तेजस्वी यादव- आपको कभी निराश नहीं करूंगा, भाजपा के हिंदुत्व पर उठाए सवाल


सार

अपनी पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की कोशिश के तहत तेजस्वी यादव भूमिहार समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को एक साजिश के तहत बदनाम किया गया है कि हम कुछ जातियों का विरोध करते हैं और कुछ का समर्थन।

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बिहार में विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिहार समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मंगलवार को आक्रामक रुख दिखाया। उनकी यह कोशिश अपनी पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए की गई थी, जिसकी पहचान मुख्य तौर पर मुस्लिम-यादव संयोजन के साथ की जाती है जो तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव ने शुरू की थी।  

तेजस्वी भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच की ओर से आयोजित किए गए परशुराम जयंती कार्यक्रम में बोल रहे थे।  इस कार्यक्रम में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी एक दुर्भावना वाले अभियान का शिकार रही है कि हम कुछ निश्चित जाति समूहों का विरोध करते हैं और अन्य को लाभ पहुंचाते हैं।  

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बोला हमला
ब्राह्मणों की उप जाति भूमिहार की आबादी सबसे ज्यादा बिहार में हैं, जहां उनका जबरदस्त राजनीतिक और आर्थिक दबदबा है। मंडल युग खत्म होने के बाद उनके दबदबे में कमी आई जिसके चलते उन्हें नाराज माना जाता है। इसी दौरान लालू प्रसाद यादव और उनके प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार जैसे ओबीसी नेताओं का उदय हुआ था। नीतीश कुमार पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं।

उन्होंने सत्ताधारी एनडीए में कलह की बातों का सांकेतिक रूप से उल्लेख किया और मुख्यमंत्री व विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के बीच हुए विवाद का जिक्र किया। उन्होंने  कहा कि बिहार या किसी अन्य राज्य के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि विधानसभा के स्पीकर का इस तरह अपमान हुआ हो। सिन्हा खुद भूमिहार ब्राह्मण हैं। हालांकि, तेजस्वी ने नीतीश या सिन्हा की जाति का उल्लेख नहीं किया। 

क्या गरीबी हटाने का काम जातिवाद है?
तेजस्वी ने अपनी पार्टी की छवि बदलने की कोशिश करते हुए कहा कि अगर हम सभी वर्गों की समता, समानता, संपन्नता और बेहतरी की बात करते है तो क्या यह गलत है? क्या गरीबों और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्ष करना गलत है? उन्होंने आगे कहा, ‘गरीबी हर जाति धर्म में होती है। क्या गरीबी हटाने का काम करना जातिवाद है? क्या गरीबी-बेरोजगारी हटाना देशभक्ति और राष्ट्रवाद नहीं है।’

राजद नेता ने कहा कि हम समावेशी, सकारात्मक और प्रगतिशील राजनीति करते है। जिसमें सबका सहयोग और हिस्सेदारी रहे। हमारी सकारात्मक, विकासोन्मुख और वैज्ञानिक सोच है।जब हम समाजवाद और सामाजिक न्याय की बात करते हैं तो यह सबको साथ लेकर चलने का सिद्धांत, नीति और विचार है। सामाजिक न्याय का का मतलब किसी को निकालने का नहीं बल्कि सबको शामिल कर साथ आगे बढ़ने का है।

भाजपा को हिंदुत्व की राजनीति पर घेरा
इस दौरान तेजस्वी ने भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि शक्ति वाले अधिकतर पदों पर हिंदू मौजूद हैं। यह स्थिति केंद्र में भी है और राज्यों में भी। इसके बाद भी वे कहते रहते हैं कि हिंदू खतरे में हैं। वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने इसे लेकर कहा कि बिहार के लोग हजारों भूमिहारों के नरसंहार को कभी नहीं भूलेंगे जो कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में हुआ था।

भाजपा से संतुष्ट नहीं है भूमिहार समुदाय
यादव ने विधान परिषद के लिए हाल ही में हुए द्विवार्षिक चुनावों में  बड़ी संख्या में भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिए थे। उनके इस कदम का उनकी खुद की पार्टी और महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे। इन उम्मीदवारों में से कुछ लोगों ने जीत भी हासिल की थी। लगभग तीन दशक तक भूमिहारों का समर्थन भाजपा को मिलता रहा, लेकिन वर्तमान में यह समुदाय भगवा दल से असंतुष्ट चल रहा है।

इसी असंतुष्टि की झलक बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में दिखी थी, जहां माना जाता है कि भूमिहारों ने एकमत से राजद को समर्थन दिया था। यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन चुका है। 
 

विस्तार

बिहार में विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिहार समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मंगलवार को आक्रामक रुख दिखाया। उनकी यह कोशिश अपनी पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए की गई थी, जिसकी पहचान मुख्य तौर पर मुस्लिम-यादव संयोजन के साथ की जाती है जो तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव ने शुरू की थी।  

तेजस्वी भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच की ओर से आयोजित किए गए परशुराम जयंती कार्यक्रम में बोल रहे थे।  इस कार्यक्रम में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी एक दुर्भावना वाले अभियान का शिकार रही है कि हम कुछ निश्चित जाति समूहों का विरोध करते हैं और अन्य को लाभ पहुंचाते हैं।  

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बोला हमला

ब्राह्मणों की उप जाति भूमिहार की आबादी सबसे ज्यादा बिहार में हैं, जहां उनका जबरदस्त राजनीतिक और आर्थिक दबदबा है। मंडल युग खत्म होने के बाद उनके दबदबे में कमी आई जिसके चलते उन्हें नाराज माना जाता है। इसी दौरान लालू प्रसाद यादव और उनके प्रतिद्वंद्वी नीतीश कुमार जैसे ओबीसी नेताओं का उदय हुआ था। नीतीश कुमार पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं।

उन्होंने सत्ताधारी एनडीए में कलह की बातों का सांकेतिक रूप से उल्लेख किया और मुख्यमंत्री व विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के बीच हुए विवाद का जिक्र किया। उन्होंने  कहा कि बिहार या किसी अन्य राज्य के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि विधानसभा के स्पीकर का इस तरह अपमान हुआ हो। सिन्हा खुद भूमिहार ब्राह्मण हैं। हालांकि, तेजस्वी ने नीतीश या सिन्हा की जाति का उल्लेख नहीं किया। 

क्या गरीबी हटाने का काम जातिवाद है?

तेजस्वी ने अपनी पार्टी की छवि बदलने की कोशिश करते हुए कहा कि अगर हम सभी वर्गों की समता, समानता, संपन्नता और बेहतरी की बात करते है तो क्या यह गलत है? क्या गरीबों और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्ष करना गलत है? उन्होंने आगे कहा, ‘गरीबी हर जाति धर्म में होती है। क्या गरीबी हटाने का काम करना जातिवाद है? क्या गरीबी-बेरोजगारी हटाना देशभक्ति और राष्ट्रवाद नहीं है।’

राजद नेता ने कहा कि हम समावेशी, सकारात्मक और प्रगतिशील राजनीति करते है। जिसमें सबका सहयोग और हिस्सेदारी रहे। हमारी सकारात्मक, विकासोन्मुख और वैज्ञानिक सोच है।जब हम समाजवाद और सामाजिक न्याय की बात करते हैं तो यह सबको साथ लेकर चलने का सिद्धांत, नीति और विचार है। सामाजिक न्याय का का मतलब किसी को निकालने का नहीं बल्कि सबको शामिल कर साथ आगे बढ़ने का है।

भाजपा को हिंदुत्व की राजनीति पर घेरा

इस दौरान तेजस्वी ने भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि शक्ति वाले अधिकतर पदों पर हिंदू मौजूद हैं। यह स्थिति केंद्र में भी है और राज्यों में भी। इसके बाद भी वे कहते रहते हैं कि हिंदू खतरे में हैं। वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने इसे लेकर कहा कि बिहार के लोग हजारों भूमिहारों के नरसंहार को कभी नहीं भूलेंगे जो कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में हुआ था।

भाजपा से संतुष्ट नहीं है भूमिहार समुदाय

यादव ने विधान परिषद के लिए हाल ही में हुए द्विवार्षिक चुनावों में  बड़ी संख्या में भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिए थे। उनके इस कदम का उनकी खुद की पार्टी और महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे। इन उम्मीदवारों में से कुछ लोगों ने जीत भी हासिल की थी। लगभग तीन दशक तक भूमिहारों का समर्थन भाजपा को मिलता रहा, लेकिन वर्तमान में यह समुदाय भगवा दल से असंतुष्ट चल रहा है।

इसी असंतुष्टि की झलक बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में दिखी थी, जहां माना जाता है कि भूमिहारों ने एकमत से राजद को समर्थन दिया था। यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन चुका है। 

 



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