रूस-यूक्रेन युद्ध का असर : महंगे होंगे खाद्य तेल, 25 फीसदी घट सकती है सूरजमुखी तेल की आपूर्ति


सार

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सरकार ने खाने के तेल और तिलहनों के भाव को नियंत्रित करने के लिए इसकी भंडारण सीमा अब 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है। यह सीमा आज यानी एक अप्रैल से लागू होगी। देखना ये होगा कि आने वाले समय में इसका कितना असर पड़ता है। आपूर्ति संकट के कारण खाने के तेलों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़े हैं। इसका असर भारतीय बाजार पर भी हुआ है।

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रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से वित्त वर्ष 2022-23 में सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति में 25% या 4 से 6 लाख टन की कमी आ सकती है। इससे कीमतों में तेजी आ सकती है। हालांकि, खाने के तेल की कीमतें पहले से ही काफी ऊपर हैं। देश के कुल खाने के तेल की खपत 230-240 लाख टन होती है।

इसमें सूरजमुखी तेल 10 फीसदी का योगदान करता है। इसकी 60 फीसदी मांग को आयात के जरिये पूरा किया जाता है। भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इसमें यूक्रेन 70% और रूस 20% का योगदान करता है।

क्रिसिल ने कहा, यूक्रेन और रूस सालाना 100 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात करते हैं। यूक्रेन के बंदरगाहों पर करीबन 3 लाख टन सूरजमुखी तेल अटका हुआ है। हाल के समय में रूस से 45 हजार टन सनफ्लॉवर तेल 2,150 डॉलर प्रति टन के भाव पर खरीदा गया है। 

फरवरी में 4% बढ़े थे दाम
फरवरी में सूरजमुखी तेल में 4% तेजी आई थी। हालांकि, पिछले एक साल में खाने के तेल की कीमतें 15 से 20% बढ़ी हैं। देश में सरसों की आवक बढ़ने के बाद भी कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई। देश में पाम, सोयाबीन के बाद सूरजमुखी तेल की ज्यादा मांग होती है।

उधर, कीमतें थामने के लिए तेल की भंडारण सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ी
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सरकार ने खाने के तेल और तिलहनों के भाव को नियंत्रित करने के लिए इसकी भंडारण सीमा अब 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है। यह सीमा एक अप्रैल से लागू होगी। बता दें कि आपूर्ति संकट के कारण खाने के तेलों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़े हैं। इसका असर भारतीय बाजार पर भी हुआ है।

सरकार का कहना है कि कीमतों को कम रखने के लिए कई उपाय किए गए हैं जिसमें आयात शुल्क घटाने के साथ-साथ वेब पोर्टल भी बनाया गया है। इस पर सभी को अपनी भंडार स्थिति की जानकारी देनी होती है। केंद्र सरकार ने खाने के तेलों के मामले में खुदरा विक्रेताओँ के लिए 30 क्विंटल, थोक कारोबारियों के लिए 500 क्विंटल की सीमा तय की है।

ब्रिटानिया इस साल उत्पादों की कीमतें 7 फीसदी तक बढ़ाएगी
ब्रिटानिया इस साल में अपने उत्पादों की कीमतों में 7 फीसदी तक इजाफा करेगी। कच्चे माल के दाम बढ़ने से कंपनी दाम बढ़ाएगी। सामग्रियों के भाव तेजी से बढ़े हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी आई है। आपूर्ति पर भी असर दिखा है। इससे आने वाले दिनों में ग्राहकों को कंपनी के उत्पाद खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे।

दो साल का बुरा समय कभी नहीं देखा
ब्रिटानिया के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा, मैने कभी ऐसा दो साल का समय नहीं देखा, जो काफी बुरा रहा हो। हमारा पहले मानना था कि इस साल में 3% महंगाई रहेगी, लेकिन अब यह 8 से 9 फीसदी तक जा सकती है।

आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 5.8% बढ़ा
कोयला, प्राकृतिक गैस समेत छह क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से फरवरी में आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 5.8 फीसदी बढ़ा है। वाणिज्य मंत्रालय के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 4% बढ़ा था। फरवरी, 2021 में 3.3% गिरावट दर्ज की गई थी।

आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में कच्चे तेल और उर्वरक को छोड़कर अन्य क्षेत्रों का उत्पादन बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों यानी अप्रैल-फरवरी में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 11% बढ़ा है। एजेंसी

प्राकृतिक गैस में सबसे ज्यादा तेजी

क्षेत्र फरवरी, 2022 जनवरी, 2022 फरवरी, 2021
कोयला 6.6 फीसदी 8.2 फीसदी -4.4 फीसदी
कच्चा तेल -2.2 फीसदी -2.4 फीसदी -3.2 फीसदी
प्राकृतिक गैस 12.5 फीसदी 11.7 फीसदी -1.0 फीसदी
रिफाइनरी उत्पाद 8.8 फीसदी 3.7 फीसदी -10.9 फीसदी
उर्वरक -1.4 फीसदी -2.0 फीसदी -3.7 फीसदी
इस्पात 5.7 फीसदी 3.7 फीसदी 2.2 फीसदी
सीमेंट 5.0 फीसदी 14.3 फीसदी 0.2 फीसदी
बिजली 4.0 फीसदी 0.9 फीसदी 0.2 फीसदी

विस्तार

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से वित्त वर्ष 2022-23 में सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति में 25% या 4 से 6 लाख टन की कमी आ सकती है। इससे कीमतों में तेजी आ सकती है। हालांकि, खाने के तेल की कीमतें पहले से ही काफी ऊपर हैं। देश के कुल खाने के तेल की खपत 230-240 लाख टन होती है।

इसमें सूरजमुखी तेल 10 फीसदी का योगदान करता है। इसकी 60 फीसदी मांग को आयात के जरिये पूरा किया जाता है। भारत सालाना 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इसमें यूक्रेन 70% और रूस 20% का योगदान करता है।

क्रिसिल ने कहा, यूक्रेन और रूस सालाना 100 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात करते हैं। यूक्रेन के बंदरगाहों पर करीबन 3 लाख टन सूरजमुखी तेल अटका हुआ है। हाल के समय में रूस से 45 हजार टन सनफ्लॉवर तेल 2,150 डॉलर प्रति टन के भाव पर खरीदा गया है। 

फरवरी में 4% बढ़े थे दाम

फरवरी में सूरजमुखी तेल में 4% तेजी आई थी। हालांकि, पिछले एक साल में खाने के तेल की कीमतें 15 से 20% बढ़ी हैं। देश में सरसों की आवक बढ़ने के बाद भी कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई। देश में पाम, सोयाबीन के बाद सूरजमुखी तेल की ज्यादा मांग होती है।



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