फिर राजगीर में नीतीश: बार-बार मगध की राजधानी क्यों जाते हैं बिहार के सीएम, हर बार यहीं से पलटी सियासत


सार

साल 2013 में नीतीश कुमार राजगीर प्रवास पर गए थे और भाजपा का दामन छोड़ लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन को आकार दिया था। साल 2017 में भी नीतीश कुमार राजगीर गए थे और महागठबंधन छोड़ने का निर्णय लिया था। 

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कभी मगध साम्राज्य की राजधानी रहा बिहार का राजगीर शहर एक बार फिर से चर्चा में है। नालंदा जिले के इस ऐतिहासिक शहर का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही राजनीतिक भी। दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार सोमवार को अपने राजगीर प्रवास पर चले गए हैं। जब से नीतीश कुमार बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं, तब से राजनीतिक ऊहापोह की स्थिति में वे राजगीर प्रवास पर ही चले जाते हैं। अक्सर वे यहीं से बड़े फैसले लेते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार फिर से कोई बड़ा झटका दे सकते हैं। 

पहले से है ऊहापोह की स्थिति 
बिहार की राजनीति में इन दिनों ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के सभी विधायकों को 72 घंटे तक पटना में रहने का आदेश दिया है तो वहीं 27 मई को उन्होंने जातिगत जनगणना पर सर्वदलीय बैठक भी बुला ली है। पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखें तो नीतीश की राजद से नजदीकी बढ़ रही है और वे अपने सहयोगी दल भाजपा से नाराज चल रहे हैं। अगर ये सभी कड़ियां एकसाथ जोड़ी जाएं तो यही संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।

राजगीर से ही बड़े एलान करते हैं नीतीश 
नीतीश कुमार को जब भी कोई बड़ा राजनीतिक फैसला लेना होता है तो वह राजगीर शहर को ही चुनते हैं। वे यहीं से बड़े एलान करते आए हैं। साल 2013 में भी नीतीश कुमार राजगीर प्रवास पर गए थे और अपने फैसले से सबको चौंका दिया था। नीतीश कुमार ने एनडीए कोटे के तमाम मंत्रियों को एक ही झटके में बर्खास्त कर दिया था और भाजपा का दामन छोड़ लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन को आकार दिया था। 

2017 में भी लिया था बड़ा फैसला 
साल 2017 में भी नीतीश कुमार राजगीर गए थे। यहीं से एक फैसला लेकर एक बार फिर उन्होंने सबको चौंका दिया था। तब नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ने का निर्णय लिया था। वे एक बार फिर से भाजपा के साथ हो लिए थे। भाजपा के सहयोग से एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। 

आरसीपी सिंह को लेकर है विवाद 
हालिया विवाद की जड़ केंद्र सरकार में मंत्री और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह बताए जा रहे हैं। दरअसल, आरसीपी का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में भाजपा उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है, लेकिन इसके लिए उसे जदयू का समर्थन चाहिए होगा। हालांकि, जदयू आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजना चाहती है। ऐसे में यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है और नीतीश कुमार राजगीर दौरे पर चले गए हैं।

राजगीर का क्या है महत्व
बिहार के नालंदा जिले का एक छोटा सा शहर है राजगीर। अगर ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की बात की जाए तो ये जैन, बौद्ध और हिंदू धर्मावलंबियों का तीर्थ है। खासतौर पर इस शहर का संबंध बौद्ध धर्म से है। पौराणिक साहित्य के अनुसार राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र है। भगवान बुद्ध की साधनाभूमि राजगीर में ही है। मगध साम्राज्य की राजधानी राजगीर ही थी।

विस्तार

कभी मगध साम्राज्य की राजधानी रहा बिहार का राजगीर शहर एक बार फिर से चर्चा में है। नालंदा जिले के इस ऐतिहासिक शहर का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही राजनीतिक भी। दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार सोमवार को अपने राजगीर प्रवास पर चले गए हैं। जब से नीतीश कुमार बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं, तब से राजनीतिक ऊहापोह की स्थिति में वे राजगीर प्रवास पर ही चले जाते हैं। अक्सर वे यहीं से बड़े फैसले लेते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार फिर से कोई बड़ा झटका दे सकते हैं। 

पहले से है ऊहापोह की स्थिति 

बिहार की राजनीति में इन दिनों ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के सभी विधायकों को 72 घंटे तक पटना में रहने का आदेश दिया है तो वहीं 27 मई को उन्होंने जातिगत जनगणना पर सर्वदलीय बैठक भी बुला ली है। पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखें तो नीतीश की राजद से नजदीकी बढ़ रही है और वे अपने सहयोगी दल भाजपा से नाराज चल रहे हैं। अगर ये सभी कड़ियां एकसाथ जोड़ी जाएं तो यही संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।

राजगीर से ही बड़े एलान करते हैं नीतीश 

नीतीश कुमार को जब भी कोई बड़ा राजनीतिक फैसला लेना होता है तो वह राजगीर शहर को ही चुनते हैं। वे यहीं से बड़े एलान करते आए हैं। साल 2013 में भी नीतीश कुमार राजगीर प्रवास पर गए थे और अपने फैसले से सबको चौंका दिया था। नीतीश कुमार ने एनडीए कोटे के तमाम मंत्रियों को एक ही झटके में बर्खास्त कर दिया था और भाजपा का दामन छोड़ लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन को आकार दिया था। 

2017 में भी लिया था बड़ा फैसला 

साल 2017 में भी नीतीश कुमार राजगीर गए थे। यहीं से एक फैसला लेकर एक बार फिर उन्होंने सबको चौंका दिया था। तब नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ने का निर्णय लिया था। वे एक बार फिर से भाजपा के साथ हो लिए थे। भाजपा के सहयोग से एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। 

आरसीपी सिंह को लेकर है विवाद 

हालिया विवाद की जड़ केंद्र सरकार में मंत्री और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह बताए जा रहे हैं। दरअसल, आरसीपी का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में भाजपा उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है, लेकिन इसके लिए उसे जदयू का समर्थन चाहिए होगा। हालांकि, जदयू आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजना चाहती है। ऐसे में यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है और नीतीश कुमार राजगीर दौरे पर चले गए हैं।

राजगीर का क्या है महत्व

बिहार के नालंदा जिले का एक छोटा सा शहर है राजगीर। अगर ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की बात की जाए तो ये जैन, बौद्ध और हिंदू धर्मावलंबियों का तीर्थ है। खासतौर पर इस शहर का संबंध बौद्ध धर्म से है। पौराणिक साहित्य के अनुसार राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र है। भगवान बुद्ध की साधनाभूमि राजगीर में ही है। मगध साम्राज्य की राजधानी राजगीर ही थी।



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