आज का शब्द: निर्विकार और अज्ञेय की कविता- है, अभी कुछ और जो कहा नहीं गया


                
                                                                                 
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- निर्विकार, जिसका अर्थ है- जिसमें कोई विकार न हो, जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो, अपरिवर्तित। प्रस्तुत है अज्ञेय की कविता-  है, अभी कुछ और जो कहा नहीं गया
                                                                                                
                                                     
                            

है, अभी कुछ और जो कहा नहीं गया। 

उठी एक किरण, धाई, क्षितिज को नाप गई, 
सुख की स्मिति कसक भरी, निर्धन की नैन-कोरों में काँप गई, 
बच्चे ने किलक भरी, माँ की वह नस-नस में व्याप गई। 
अधूरी हो, पर सहज थी अनुभूति : 
मेरी लाज मुझे साज बन ढाँप गई— 
फिर मुझे बेसबरे से रहा नहीं गया। 
पर कुछ और रहा जो कहा नहीं गया। 

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