UP Election 2022: यूपी की चुनावी जंग, क्या इस बार मोदी-योगी बदलेंगे इतिहास?


नई दिल्ली: आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनावों के 70 साल के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश किसी सरकार को दोबारा चुनने और योगी आदित्यनाथ को फिर से सीएम बनाने को तैयार है. खास बात ये कि योगी आदित्यनाथ बतौर सीएम अपने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. बीते जमाने के कांग्रेस राज्य का आंकलन करें तो कुछ उदाहरण नजर तो आतें हे लेकिन उन मुख्यमंत्रियों में किसी ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था. उदाहरण के तौर पर मुख्यमंत्री सम्पूर्णानंद 1957 में फिर से जीते, लेकिन चुनावों से दो साल पहले उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था. चंद्रभानु गुप्ता 1962 में, नारायण दत्त तिवारी ने 1985 मे दोबारा मुख्यमंत्री चुने गए लेकिन ये तीनों नेता चुनावों के चंद महीने पहल ही मुख्यमंत्री बनाए गए थे. खास बात ये कि चुनावों में मिली जीत के बाद भी वो चंद महीनों तक ही मुख्यमंत्री रह पाए.

कांग्रेस की इस पीढ़ी की खास बात ये थी कि कांग्रेस आलाकमान और पार्टी का देश पर एक छत्र राज था और आलाकमान इतना मजबूत था कि उनकी बातें पत्थर की लकीर मानी जाती थीं और मुख्यमंत्री उनके हाथों की कठुपुतली. लेकिन 1985 के 37 साल के बाद पहली बार एक सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी को सभी एक्जीट पॉल के नतीजे फिर से सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी कर रहे हैं.

भारत का सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य में पहली बार ये संकेत मिल रहे हैं कि एक मुख्यमंत्री और एक पार्टी सत्ता में लगातार चुनाव में जीत से वापसी करेगी. पिछले कई सालों से अस्थिरता झेल रहे इस राज्य में ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी सत्ता में वापसी करने के लिए सबसे प्रवल दावेदार के रूप में उभरी. हम आपको बताते हैं क्या रहे गेम चेंजर्स.

यह भी पढ़ें- Exit Polls 2022: 5 राज्यों में चुनाव खत्म, एग्जिट पोल में भाजपा का परचम, अन्य पार्टियों का सूपड़ा साफ, देखें नतीजे

योगी सरकार की बेहतरीन कानून व्यवस्था
यूपी की जनता, व्यापारी, अधिकारी, बिल्डर्स, सभी तबकों ने कानून व्यवस्था की परेशानी झेली है. लेकिन योगी सरकार के पांच साल यादगार रहे. चाहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके हों जहां फिरौती, हत्या या फिर छेड़खानी आम बात थी या फिर पूर्वांचल के इलाकेजहां राज्य की आम जनता गुंडागर्दी से त्रस्त थी. सुनवाई किसी की नहीं थी. लेकिन योगी के मुख्यमंत्री बनते ही अधिकारियों को ताकत दी गई. माफियाओं औऱ गुंडों को निशाना बनाया गया. अपहरण और फिरौती मानों बीते जमाने की बात हो गई थी.

अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में चलने वाले परंपरागत व्यापार को भी योगी ने खत्म किया. आलम ये था कि गुंडागर्दी धीरे-धीरे खत्म होती चली गई और हर नुक्कड़ पर पुलिस की मौजूदगी नजर आने लगी. जनता राहत महसूस कर रही थी. यही कारण है कि पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने इसे मुद्दा बनाते हुए अपनी हर रैली में इस गुंडागर्दी के खात्में का जिक्र किया और वोटरों को याद दिलाया कि वो ऐसी सरकार नहीं चुनें जो सिर्फ गुंडागर्दी के बल पर राज करती है. चुनावों के दौरान भी जब लगा कि समाजवादी पार्टी आगे निकल रही है तो उनके कार्यकर्ता यूं सड़कों पर उतरे कि अब सबको मजा चखाना है. ये सब पूर्वांचल की जनता को बड़ा संदेश दे गया.

यह भी पढ़ें- UP Exit Poll Result 2022: यूपी में आ रहे हैं योगी या अखिलेश? जानें क्या कहते हैं Poll of Polls के आंकड़े
कोरोना काल में शुरु हुआ गरीबों को दिया जाने वाला मुफ्त राशन
दो साल हो चले हैं कोरोना का संक्रमण झेलते भारत को. पीएम मोदी ने आर्थिक मामलों पर भारत को मजबूत बनाए रखने के लिए बूस्टर डोज दिए तो दूसरी ओ ऑपरेशन मैत्री के जरिए दुनिया के कई देशों को कोरोना का टीका भी भेजा. पहली बार ऐसा हुआ था कि भारत न सिर्फ टीका बनाने में बल्कि देश की ज्यादातर आबादी के टीकाकरण में भी सफल रहा. लेकिन इस काल की सबेस बड़ी उपलब्धि रही देश भर के गरीबों को उनके घरों तक मुफ्त राशन पहुंचाना.

पीएम मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना में गरीबों को चावल, दाल, चना जैसे अनाज मिलने शुरू हुए और वो भी परिवार के सभी सदस्यों के लिए. मोदी सरकार के इस कदम ने ग्रामीण इलाकों को जबरदस्त राहत दी. रोजगार खत्म हो गए थे, उद्योग बंद थे, लोग अपने गांवों को लोट रहे थे, ऐसे में अनाज देने की पहल ने लोगो को जबरदस्त राहत दे दी. मुख्यमंत्री योगी ने इस योजना को बेहतरीन तरीके से कार्यान्वित किया और पूरे चुनावों में लोगों ने पाया की मुफ्त अनाज की योजना के कारण पूरे राज्य में योगी-मोदी जिन्दाबाद के नारे लग रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि जब तक कोरोना है तब तक सरकार इस राशन की योजना को जारी रखेगी.

सूत्र बताते हैं कि सीएम इसी दौरान मथुरा में एक कोरोना पीड़ीत परिवार के घर जा पहुंचे और दरवाजा खटखटाया. जैसे ही घर की महिला और उसके पति जो खुद कोरोना पीड़ित थी उन्होने योगीजी को कहा कि आप क्यों आ गए बाहर , अभी तो आपको पूरे राज्य की सेवा करनी है. यहीं से आशीर्वाद सीएम योगी को मिला जो बाकी नेता नहीं कर सके क्योंकि वो पूरे कोरोना में घऱ से बाहर निकले ही नहीं.

राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरीडोर ने जगाया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
तमाम मुकदमेबाजी से पार पाते हुए अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है. दूसरी तरफ पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का कायाकल्प कर इतना साफ कर दिया था जिस विचारधारा पर पूरा संघ परिवार चल रहा है उसको पूरा करने का काम मोदी सरकार कर रही है. मथुरा का मुद्दा भी उठा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा भी उठा. लेकिन विचारधारा पर वोट देने वालों के लिए ये पहल काफी थी.

मुश्किलें भी सत्तारुढ़ बीजेपी की कम नहीं थी. एक तरफ बाह्मणों के नाराज होने की खबर थी, तो दूसरी तरफ किसान आंदोलन के कारण जाट वोटर के नाराजगी भी झेलनी पड़ रही थी. राजभर और स्वामी प्रसाद मोर्या जैसे सहयोगी साथ छोड़ गए थे.

बीच के दो चरणों में आवारा पशुओं के कारण परेशान किसान भी थे. लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह का सीएम योगी के साथ खड़े रहना और पीएम मोदी का डबल इंजन विकास की बातें करना जनता में भरोसा जगा गया. कोरोना जैसे तमाम खतरों के बावजुद पूरा बीजेपी का कैडर राज्य में काम में जुटा था. औऱ पीएम मोदी भी लग गए थे अपनी रैलियों में. इसलिए एक्जिट पॉल के नतीजे बीजेपी आलाकमान को राहत दे रहे होंगे क्योंकि इसके बाद 2024 तक एक लंबी लड़ाई जो लड़नी है.

Tags: CM Yogi Adityanath, Pm narendra modi, UP Election 2022



Source link

Enable Notifications OK No thanks