You Don’t Know Me Review: दर्शकों को पता नहीं है इल्जाम साबित किया गया या नहीं


नेटफ्लिक्स अक्सर दूसरे देशों के ओटीटी प्लेटफॉर्म से कॉन्टेंट खरीद कर दर्शकों के लिए उपलब्ध कराता है जिस से नेटफ्लिक्स की उपलब्धता वाले बाकी देश भी कुछ बेहतरीन कॉन्टेंट देख पाते हैं. बीबीसी वन पर पिछले साल दिसंबर में रिलीज 4 एपिसोड की मिनी सीरीज ‘यू डोंट नो मी’ नेटफ्लिक्स पर उलब्ध है. 2017 में इंग्लैंड के एक बैरिस्टर इमरान महमूद ने निजी अनुभवों पर आधारित अपना पहला उपन्यास लिखा था -यू डोंट नो मी. इसी पर आधारित ये वेब सीरीज, एक नौजवान के कोर्ट में अपना पक्ष स्वयं रखने की और मर्डर का मुकदमा लड़ने की कहानी है. पहले 3 एपिसोड में ये कहानी इतने बेहतरीन अंदाज़ से आगे बढ़ती है कि आपको यकीन हो जाता है कि अभियुक्त ने मर्डर नहीं किया है. चौथे एपिसोड में कहानी इतनी दाएं बाएं भागती है कि आप आखिर तक समझ ही नहीं पाते कि अभियुक्त को सजा हुई या वो बरी हो गया.

लंदन में अश्वेत लोगों को अधिकांश लोग गुंडा, असामाजिक तत्व या किसी गैंग में काम करने वाला ही समझते हैं. इसका एक नुकसान ये भी भी है अश्वेत व्यक्ति पढ़ लिख कर कोई अच्छी नौकरी कर रहा होता है और गलती से वो किसी कोर्ट केस में फंस जाए तो बिना जिरह सुने ही अधिकांश जूरी ये फैसला सुना सकती है कि दोषी कौन है. ये पूर्वाग्रह टूटता है जब हीरो (सैमुएल अड़ेवून्मी) पर इलज़ाम है उसके अपने ही परिचित जमील (रॉजर जीन) जो कि एक गैंगस्टर है, के खून का. कोर्ट में हीरो, मर्डर के इलज़ाम में प्रतिद्वंद्वी वकील द्वारा कई सबूत पेश किये जाने से विचलित तो होता है मगर जब उसे अपना पक्ष रखने दिया जाता है तो वो पूरी कहानी सुनाता है. हीरो की गर्लफ्रेंड कायरा (सोफिर वाइल्ड) से उसकी पहली मुलाकात और फिर उनका रिश्ता कैसे बनता है. कैसे कायरा का भाई जो एक छोटा मोटा गुंडा है, उसका जेल में खून न कर दिया जाये और उसकी उधारी चुकाने के लिए कायरा वेश्यावृत्ति करने लगती है. उसे गुंडों के चंगुल से बचाने के लिए हीरो अपने परिचित गैंगस्टर जमील की मदद से एक बन्दूक जुगाड़ता है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि हीरो का कायरा के भाई और फिर जमील का क़र्ज़ उतारने के लिए जमील के बॉस से पन्गा हो जाता है. पैसों की जुगाड़ में हीरो अपने दोस्त कर्ट के साथ जमील को मारने का प्लान बनता है लेकिन जमील बच जाता है. हीरो की बहन हॉस्पिटल में जमील पर नज़र रखती है लेकिन जमील उसे पहचान कर पकड़ लेता है और हीरो को कहता है कि बहन की ज़िन्दगी चाहिए तो पैसा लेकर जमील से मिले. इसके बाद क्या होता है ये वेब सीरीज का सस्पेंस है.

इस मिनी सीरीज में सारा खेल हीरो द्वारा दिए गए क्लोजिंग आर्ग्युमेंट का है. वो अपने वकील को हटा कर खुद केस के लिए पूरा घटनाक्रम सुनाता है. जज ये कह चुके हैं कि सिर्फ केस से सम्बंधित बातों का ही ज़िक्र कीजिये लेकिन हीरो पूरी कहानी एकदम शुरू से सुनाता है. हर बार दर्शक उसकी निजी कहानी से जुड़ने लगता ही है कि जज फिर से याद दिलाता है कि आर्ग्युमेंट में वही बातें शामिल की जाएँ जो केस से सम्बंधित हैं. कई दर्शक इस बात को और जज की टोका टाकी को शायद पसंद न करें. कायरा का किरदार बहुत चतुर है. प्रत्येक एपिसोड में उसे किताबें पढ़ते हुए दिखाया गया है. वो अपने भाई को बचाने के लिए वेश्यावृत्ति भी कर लेती है. और तो और वो जमील पर गोली चलाने का इलज़ाम अपने सर पर लेने की बात भी हीरो के दिमाग में बैठा देती है लेकिन जब वो सब छोड़ के चली जाती है तो पुलिस को टिप दे कर क्यों जाती है ये समझ से बाहर है. हीरो की बहन का किरदार भी सशक्त है और जैसे कायरा अपने भाई के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है वैसे ही हीरो की बहन ब्लेस भी उसके लिए सब कुछ करने को तैयार रहती है. हीरो को कायरा का असली किरदार समझने में बहुत समय लग जाता है.

आखिरी एपिसोड में एक ओर हीरो को दोषी दिखाया जाता है और जमील के परिजन खुश हो जाते हैं. वहीँ एक दूसरी एंडिंग भी है जिसमें जूरी निर्णय पर पहुँचती तो है लेकिन वो निर्णय दर्शकों को बताया नहीं जाता. संभव है की एक और सीजन की कल्पना की जा रही हो. इस कन्फ्यूजन की वजह से दर्शक ठगा हुआ महसूस करते हैं. जब उन्हें अंत समझ नहीं आया तो पसंद आने का तो सवाल ही नहीं उठता। सैमुएल और सोफी का अभिनय सबसे अच्छा है. सोफी को पूरे समय किताबों से जूझते हुए दिखाया गया है और वो लगती भी पढ़ाकू ही हैं. सोफी के कैरेक्टर का ग्राफ भी बड़े ही सलीके से सजाया गया है. सैमुएल ने कोर्ट सीन्स में एक जैसे भाव रखे हैं जिस से थोड़ी असहजता नज़र आती है लेकिन बाकी दृश्यों में उनका अभिनय अच्छा है. जिस कार डीलरशिप में वो काम करते हैं, उनके बॉस का किरदार छोटा है मगर कहानी में हीरो के किरदार को अच्छी गहराई प्रदान करता है. एक अश्वेत व्यक्ति, श्वेत समाज में कैसे ज़िन्दगी को गढ़ना चाहता है ये देखने लायक है. थोड़ी तारीफ पटकथा लेखक टॉम एज और निर्देशक सरमद मसूद की भी करनी होगी क्योकि उन्होंने कहानी प्रस्तुत करने के तरीके में फेरबदल किया है. कोर्ट में क्लोजिंग आर्ग्युमेंट से वेब सीरीज की शुरुआत करना एक विद्रोही प्रयोग है. वेब सीरीज का पहला महत्वपूर्ण डायलॉग विरोधी पक्ष का वकील कहता है – हमें नहीं पता कि खून करने की वजह क्या रही होगी लेकिन हमें तो वैसे भी वजह नहीं क़त्ल किया गया है ये साबित करना है. इतनी खूबसूरत लाइन से ही समझ आ जाता है कि कहानी किस और जायेगी.

यू डोंट नो मी एक अच्छी वेब सीरीज है. 4 ही एपिसोड हैं इसलिए एक बार में देखी जा सकती है. डर सिर्फ इस बात का है कि ख़त्म होने पर भी कहानी का अंजाम क्या हुआ ये पता नहीं चलेगा और कहीं निराशा हाथ लगेगी.

Tags: Film review, Netflix

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