रिसर्चर्स ने ‘रेवरबेरेशन मशीन’ नाम के एक नए ऑटोमेटेड सर्च टूल का इस्तेमाल करते हुए नजदीकी ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरिज से निकलने वाली चमक और इको को देखा। इस रिसर्च को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) का भी सपोर्ट था।
इको की तुलना करते हुए रिसर्चर्स एक चित्र बनाया और समझने की कोशिश की कि विस्फोट के दौरान ब्लैक होल कैसे डेवलप होता है। उन्होंने पाया कि एक ब्लैक होल पहले एक ‘हार्ड’ फेज से गुजरता है। वह हाई-एनर्जी फोटॉनों के एक कोरोना (corona) के साथ-साथ पार्टिकल्स के एक जेट पर दबाव डालता है। एक निश्चित पॉइंट पर ब्लैक होल से तेज चमक बाहर आती है। इसके बाद वह शांत होता है।
ये फाइंडिंग्स ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित हुई हैं। इनसे समझा जा सकता है कि हमारी आकाशगंगा में विशाल ब्लैक होल किस तरह से बने होंगे। MIT में फिजिक्स की असिस्टेंट प्रोफेसर एरिन कारा ने एक बयान में कहा कि आकाशगंगा के डेवलपमेंट में ब्लैक होल की भूमिका मॉडर्न एस्ट्रोफिजिक्स का बेहतर सवाल है। कारा ने कहा कि इन छोटे ब्लैक होल बायनेरिज में होने वाले विस्फोट को समझकर वो यह समझने की उम्मीद करते हैं कि सुपरमैसिव ब्लैक होल में इसी तरह के विस्फोट से उनकी आकाशगंगा पर कैसे असर पड़ता है।
इस स्टडी के लिए टीम ने 26 ब्लैक होल एक्स-रे बाइनरी सिस्टम को चुना, जो एक्स-रे विस्फोटों को बाहर लाने के लिए जाना जाता है। टीम ने अपनी स्टडी में पाया कि 10 सिस्टम में इतनी चमक थी कि वो विस्फोटों के बीच होने वाले एक्स-रे इको को समझ सकते थे। 10 में से 8 ब्लैक होल ऐसे थे, जिनके बारे में यह जानकारी नहीं थी कि वह इको पैदा करते हैं।
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