अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में ईरान की निंदा वाले प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से भारत अलग रहा। वह भी तब जब ये प्रस्ताव भारत का सबसे मजबूत दोस्त माने जाने वाले अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश लेकर आए थे। भारत के इस कदम के कई कूटनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इससे भारत-ईरान के रिश्ते मजबूत होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
भारत और ईरान के बीच क्या चल रहा है?
2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार बनी तो भारत के रिश्ते इस्राइल के साथ काफी मजबूत हुए। इसके बाद ईरान के साथ दूरियां बढ़ने लगीं। कश्मीर पर ईरान ने बयान दिया तो ये दूरियां और बढ़ गईं। अमेरिका के प्रतिबंध के चलते भारत ने ईरान से तेल खरीदना भी बंद कर दिया। व्यापारिक रिश्ते काफी कमजोर हो गए। बाद में दोनों देशों ने इसे सुधारने की कोशिश की।
जब एक महीने में दो बार ईरान गए विदेश मंत्री
2021 में विदेश मंत्री एस जयशंकर एक महीने के अंदर दो बार ईरान पहुंचे। पहले उन्हें राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बुलाया था। जयशंकर के दौरों के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होने की पहल हुई।
फिर ईरान के विदेश मंत्री भारत आए
हाल ही में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाह तीन दिन के दौरे पर भारत आए। इस दौरान उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की। दोनों देशों के बीच व्यापारिक, सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने को लेकर समझौता हुआ।