ESA की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दशकों से मंगल ग्रह की अच्छी समझ हासिल करने के बाद हम इस डिवाइस की पफॉर्मेंस को बढ़ाना चाहते थे। इसी को ध्यान में रखते हुए ऑर्बिटर को सॉफ्टवेयर अपग्रेड दिया जा रहा है।
MARSIS लो-फ्रीक्वेंसी वाली रेडियो वेव्स को नियोजित करता है। यह मंगल ग्रह पर पानी की खोज करने और इसके वातावरण के बारे में अधिक जानने का काम करता है। सॉफ्टवेयर अपग्रेड में कई इम्प्रूवमेंट्स शामिल हैं। अपग्रेड के बाद पृथ्वी पर आने वाले डेटा की क्वॉलिटी बेहतर होगी।
इसे 2 जून 2003 को लॉन्च किया गया था। अपनी लॉन्चिंग के बाद से इस ऑर्बिटर ने मंगल ग्रह की जांच करते हुए वहां लगभग दो दशक बिताए हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के इंजीनियर अब इस ऑर्बिटर के लिए विंडोज 98 अपग्रेड तैयार कर रहे हैं। इसके बाद यह तकनीकी रूप से और दक्षता हासिल करेगा।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्लो नेन्ना जो इस अपग्रेड के लिए ESA की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कि हमें MARSIS की परफॉर्मेंस को बढ़ाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि इसके सॉफ्टवेयर को मूल रूप से 20 साल पहले डिजाइन किया गया था। विंडो 98 पर चलने की वजह से इस इंस्ट्रूमेंट की ऑन-बोर्ड मेमरी जल्दी फुल हो जाती थी। सॉफ्टवेयर अपग्रेड के बाद MARSIS का ऑन-बोर्ड स्टोरेज 5 गुना तक बेहतर हो सकेगा यह गैरजरूरी डेटा को हटा भी पाएगा।
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