हाइलाइट्स
सोने में गिरावट का वही ट्रेंड चल रहा जो 2008 और 2020 के दौरान था.
साल 2020 में सोने में 56 हजार रुपये का रिकॉर्ड हाई दिखा था.
अगर सोने में गिरावट आती है तो 48 हजार तक भाव जा सकते हैं.
नई दिल्ली. सोने की कीमतों (Gold Rate) पर अभी भले ही दबाव दिख रहा है, लेकिन इसमें खरीदारी का माहौल पूरा बना हुआ है. एक्सपर्ट का कहना है कि मंदी और महंगाई का दबाव हटते ही सोने में तेजी शुरू हो जाएगी.
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया एडवाइजरी के डाइरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि सोने में गिरावट का अभी वही ट्रेंड चल रहा जो साल 2008 की महामंदी और साल 2020 की महामारी के दौरान था. मौजूदा समय में भी निवेशकों पर मंदी और महंगाई का दोहरा दबाव है. ग्लोबल मार्केट में निवेशकों को मंदी का डर है और उनका पूरा जोर अभी खाने-पीने की वस्तुओं को जुटाने पर लगा है. ऐसे में महंगाई और मुश्किल पैदा कर रही, क्योंकि उन्हें भविष्य के लिए रकम बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. जैसे ही ये माहौल थोड़ा नरम पड़ेगा, सोना फिर सरपट भागेगा.
ये भी पढ़ें – EPFO : जीपीएफ, ईपीएफ और पीपीएफ में क्या है अंतर? एक्सपर्ट से समझें ब्याज से लेकर टैक्स छूट तक का गणित
केडिया के अनुसार, साल 2008 की महामंदी के दौरान भी सोने की कीमत में बड़ी गिरावट दिखी थी, लेकिन मंदी खत्म होते ही साल 2011 में सोना करीब डेढ़ गुना तक भाग गया था. ऐसा ही कुछ हमने 2020 में भी देखा, जब कोरोना महामारी की वजह से सोना बुरी तरह गिर गया था और लॉकडाउन के समय तो यह अपनी कीमत का 30 फीसदी नीचे आ गया था, लेकिन जैसे ही हालात सुधरे सोने में 56 हजार का रिकॉर्ड हाई दिखा था.
कैसा दिख रहा सोने का माहौल
सोने में तेजी पकड़ने के लिए आमतौर पर पांच मुख्य कारक भूमिका निभाते हैं और मौजूदा सिनेरियो को देखें तो अभी ये पांचों कारक ही दिख रहे हैं.
1- मंदी : अमेरिका, यूरोप सहित एशिया के भी ज्यादातर देशों पर मंदी का खतरा मंडरा है और जब भी मंदी की बात होती है तो निवेशक स्थायी एसेट के रूप में सोने का रुख करते हैं.
2- महंगाई : दुनियाभर में अभी महंगाई ने नाक में दम कर रखा है. इसका असर हर तरह के निवेश पर दिखता है, जिससे निवेशक एक बार फिर सोने की तरफ भागते हैं.
3- भूराजनैतिक तनाव : रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने दुनियाभर में अस्थिरता पैदा कर दी है. ऐसे भूराजनैतिक तनावों के बीच सोने की मांग अपने आप बढ़ जाती है.
4- इक्विटी में गिरावट : अमेरिका से लेकर भारतीय शेयर बाजार तक लगातार गिरावट से जूझ रहे. भारत का बाजार तो रिकॉर्ड हाई से करीब 7 हजार अंक नीचे है. ये हालात सोने में निवेश को बढ़ावा
देते हैं.
5- शादियों का सीजन : भारत में सबसे ज्यादा सोने की बिक्री शादियों के सीजन में होती है, जो आगे शुरू होने वाला है. पिछले साल भी 1 हजार टन से ज्यादा सोना आयात किया गया था.
फिर क्यों नहीं बढ़ रहे दाम
ऐसे में सवाल उठता है कि जब सोने के पक्ष में पूरा माहौल बना हुआ है तो इसकी कीमतों में उछाल क्यों नहीं दिख रहा. इस पर अजय केडिया कहते हैं कि महंगाई अभी काफी ज्यादा है और लोगों में सबसे पहले खाने-पीने की वस्तुओं को जमा करने का लक्ष्य है. दुनियाभर में कमोडिटी पर दबाव चल रहा है. गेहूं, चावल, कपास जैसी जरूरी कमोडिटी के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं. एक बार महंगाई थोड़ी नरम पड़े तो निवेश भी शुरू होगा.
ये भी पढ़ें – आयात मूल्य के केवल 25 फीसदी हिस्से में कच्चे तेल का उत्पादन कर सकता है भारत, अनिल अग्रवाल ने बताया इसका तरीका
साल के आखिर तक कहां जाएंगे भाव
अजय केडिया ने बताया कि पिछले ट्रेंड को फॉलो करें तो क्रूड में ने जब भी हाई छुआ है, उसके छह महीने बाद सोने में तेजी आई है. मार्च में क्रूड रिकॉर्ड 150 डॉलर के पार गया था तो अब सितंबर से सोने में तेजी दिखेगी. डॉलर भी अब तेजी से नीचे आ रहा है तो साल 2022 में हम सोने को 54 हजार का स्तर छूते हुए देख सकते हैं. हालांकि, बाजार में अस्थिरता भी जारी है तो अगर इसकी कीमतें नीचे जाती हैं तो 48 हजार तक भाव जा सकते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Business news in hindi, Gold investment, Gold price, Gold rate News, Inflation
FIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 07:30 IST