नितिन सेमवाल
जोशीमठ/चमोली. उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ (Joshimath) में नव दुर्गा का एक ऐसा मंदिर है जहां एक ही सिला पर मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ अवतार विराजमान हैं. यहीं पर नवरात्रि (Navratri) में मां नव दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. इसके अलावा इस मंदिर की अनेक ऐसी विशेषताएं हैं जिनके कारण मां के भक्तों की मंदिर पर अटूट आस्था है. यही वजह है कि जोशीमठ क्षेत्र के लोग यहां पहुंचकर मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इसके अलावा इस मंदिर को सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि इस मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की प्रतिमा स्थापित है.
बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल,भोला सिंह नामण, भरत सती और भगवती प्रसाद नंबूरी बताते हैं कि नव दुर्गा मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो भी भक्त यहां मां दुर्गा को मक्खन या फिर घी चढ़ाता है वह जमकर बर्फ बन जाता है. मंदिर परिसर के गर्भ गृह में चारों तरफ दीवारों पर बर्फ के समान मक्खन दिखाई देता है.
आज भी जारी है ये परंपरा
वहीं, परंपरा अनुसार क्षेत्र में जब भी पहली फसल होती है तब मां दुर्गा को सबसे पहले ग्रामीण भोग लगाते हैं. इसे गढ़वाली भाषा में को भरपूजा कहा जाता है, इसलिए मां को स्थानीय लोग हर दिन भोग प्रसाद लगाकर अपने घर के धन और धान्य की मनोकामना मांगते हैं.
यही नहीं, नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं, इसलिए सुबह से ही नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में रहती है. इसके अलावा मां का भव्य श्रृंगार होता है और मां से क्षेत्र की खुशहाली के साथ समृद्धि की प्रार्थना की जाती है. इसके अलावा चारधाम यात्रा के दौरान बद्रीनाथ पहुंचने वाले तीर्थ यात्री भी मां दुर्गा के इस मंदिर में माथा टेकना नहीं भूलते हैं.
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