Changes in UP Congress: पीएल पुनिया या प्रमोद कृष्णम हो सकते हैं कांग्रेस के अगले प्रदेश अध्यक्ष, बनाए जाएंगे चार कार्यकारी अध्यक्ष


सार

कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद अब यूपी कांग्रेस में भी बड़े बदलाव की तैयारी है। प्रदेश में चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर युवाओं को आगे लाने की तैयारी की जा रही है।

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कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद अब यूपी में भी बड़े बदलाव होंगे। चिंतन के निष्कर्षों के तहत ‘अनुभव’ को कमान और युवाओं को बढ़-चढ़कर जिम्मेदारी देने का काम किया जाएगा। पीएल पुनिया या प्रमोद कृष्णम को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे, जिन्हें अलग-अलग जोनों की जिम्मेदारी दी जाएगी।

चिंतन शिविर में 50 साल से कम उम्र के लोगों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के साथ ही पार्टी में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने का भी निर्णय किया गया। कांग्रेस के जिम्मेदार नेता कहते हैं कि इससे साफ हो गया है कि अब कांग्रेस ‘50’ के फार्मूले पर चलेगी। आने वाले समय में सांगठनिक ढांचे में इसके बिंब भी दिखने लगेंगे।

नजदीक भविष्य में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में पार्टी को सक्रिय करना है। विधानसभा चुनावों के बाद उसके अधिकतर कार्यकर्ताओं, नेताओं और हमदर्दों में निराशा है। उनमें उत्साह का संचार करके ही पार्टी अपनी स्थिति को बदल सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस रणनीति के तहत शीघ्र ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होगी। इसके लिए पार्टी के सांसद रहे पीएल पुनिया और उदार हिंदुत्व की छवि वाले धर्मगुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम आगे चल रहा है। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में विधायक वीरेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नदीम जावेद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का नाम भी चल रहा है।

पार्टी हाईकमान का नीचे तक एक ही संदेश है कि पार्टी के नेता आपसी अंतरविरोधों को दरकिनार रखें। मन से पार्टी का काम करें। जनता के बीच अधिकाधिक संवाद स्थापित करें ताकि पार्टी अपना खोया हुआ गौरव पुन: प्राप्त कर सके। बाहर से आए जिन नेताओं ने यूपी चुनाव से पहले मेहनत से काम किया और विवादित भी नहीं रहे, उन्हें यहां रिपीट किया जा सकता है। जिनकी कार्यशैली को लेकर विवाद रहा है, उनकी भूमिका बदली जा सकती है।

विधायक वीरेंद्र चौधरी तक को भी राजस्थान में आयोजित चिंतन शिविर में न बुलाए जाने को लेकर हाईकमान के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा तमाम वरिष्ठ नेताओं को भी चिंतन शिविर में स्थान नहीं मिल सका। हालांकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की टीम में शामिल एक नेता ने नाम न छापने के आग्रह के साथ बताया कि हाईकमान ने पूरे देश के लिए एक गाइडलाइन बनाई थी कि कौन लोग चिंतन शिविर में शामिल होंगे। इनमें विधानमंडल दल के नेता, पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी के सदस्य, राष्ट्रीय सचिव और महासचिव को शामिल किया गया था। इसके अलावा संगठन के एक-दो लोगों को विशेष अनुरोध पर बुलाया गया था।

विस्तार

कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद अब यूपी में भी बड़े बदलाव होंगे। चिंतन के निष्कर्षों के तहत ‘अनुभव’ को कमान और युवाओं को बढ़-चढ़कर जिम्मेदारी देने का काम किया जाएगा। पीएल पुनिया या प्रमोद कृष्णम को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे, जिन्हें अलग-अलग जोनों की जिम्मेदारी दी जाएगी।

चिंतन शिविर में 50 साल से कम उम्र के लोगों को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के साथ ही पार्टी में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने का भी निर्णय किया गया। कांग्रेस के जिम्मेदार नेता कहते हैं कि इससे साफ हो गया है कि अब कांग्रेस ‘50’ के फार्मूले पर चलेगी। आने वाले समय में सांगठनिक ढांचे में इसके बिंब भी दिखने लगेंगे।

नजदीक भविष्य में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में पार्टी को सक्रिय करना है। विधानसभा चुनावों के बाद उसके अधिकतर कार्यकर्ताओं, नेताओं और हमदर्दों में निराशा है। उनमें उत्साह का संचार करके ही पार्टी अपनी स्थिति को बदल सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस रणनीति के तहत शीघ्र ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होगी। इसके लिए पार्टी के सांसद रहे पीएल पुनिया और उदार हिंदुत्व की छवि वाले धर्मगुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम आगे चल रहा है। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में विधायक वीरेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नदीम जावेद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का नाम भी चल रहा है।

पार्टी हाईकमान का नीचे तक एक ही संदेश है कि पार्टी के नेता आपसी अंतरविरोधों को दरकिनार रखें। मन से पार्टी का काम करें। जनता के बीच अधिकाधिक संवाद स्थापित करें ताकि पार्टी अपना खोया हुआ गौरव पुन: प्राप्त कर सके। बाहर से आए जिन नेताओं ने यूपी चुनाव से पहले मेहनत से काम किया और विवादित भी नहीं रहे, उन्हें यहां रिपीट किया जा सकता है। जिनकी कार्यशैली को लेकर विवाद रहा है, उनकी भूमिका बदली जा सकती है।



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