China-Taiwan: क्या चीन-ताइवान में होगा युद्ध, जानिए जिनपिंग की प्लानिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति का रुख?


सार

चीन के एक सीनियर अफसर की ऑडियो वायरल हुआ है। इसमें वह ताइवान पर हमले को लेकर बातचीत कर रहे थे।

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रूस-यूक्रेन जंग के बीच एक और युद्ध की आहट आने लगी है। ये युद्ध दुनिया के शक्तिशाली देशों में शुमार चीन और उसके पड़ोसी मुल्क ताइवान के बीच हो सकता है। इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का भी बयान सामने आया है। क्वाड बैठक में शामिल होने के लिए जापान पहुंचे बाइडन ने सख्त लहजे में कहा कि अगर चीन की ओर से ताइवान पर हमला किया जाता है तो अमेरिका मिलिट्री एक्शन लेगा। 

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला, आखिर चीन और ताइवान के बीच युद्ध जैसे हालात क्यों बन रहे हैं? चीन ने क्या प्लानिंग की है और इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का क्या मतलब है? 
 
दरअसल चीन और ताइवान के बीच युद्ध की बात एक ऑडियो वायरल होने के बाद से उठ रही है। इस ऑडियो क्लिप में चीन के बड़े अधिकारी ताइवान पर हमले को लेकर बातचीत कर रहे थे। बताया जाता है कि ये ऑडियो क्लिप चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लीक की थी।

वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताइवान पर हमले की योजना का खुलासा करना चाहते थे। इस क्लिप में एक अफसर दूसरे को बता रहा है कि किन कंपनियां को ड्रोन, बोट्स की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कहा गया है। हमले की तैयारी को लेकर भी चर्चा की जा रही है।

ताइवान पर हमले का क्या है चीनी प्लान? 
वायरल ऑडियो में ताइवान पर हमले की प्लानिंग के बारे में भी बातचीत की गई है। इसके मुताबिक, ताइवान से सटे ग्वांगडोंग प्रांत को 20 अलग-अलग कैटोगिरी में युद्ध से संबंधित 239 सामग्रियों को जमा करने के लिए कहा गया है। इसमें 1.40 लाख सैन्यकर्मी, 953 जहाज, 1,653 मानव रहित उपकरण, 20 हवाई अड्डों को डॉक के साथ संपर्क जोड़ने की बात शामिल है।

इसके अलावा छह मरम्मत, जहाज निर्माण यार्ड और संसाधन जैसे अनाज डिपो, अस्पताल, ब्लड बैंक, तेल डिपो, गैस स्टेशन को भी तैयार रखने के लिए कहा गया है। चीन की नेशनल डिफेंस मोबिलाइजेशन रिक्रूटमेंट ऑफिस को नए जवानों की भर्ती करने के लिए भी कहा गया है। खासतौर पर सबसे ज्यादा ग्वांगडोंग से कुल 15 हजार 500 सैन्य कर्मियों की भर्ती की प्लानिंग है। 
 
ऐसा नहीं है कि केवल वायरल ऑडियो के बल पर दुनियाभर में चीन और ताइवान के बीच युद्ध के कयास लगाए जा रहे हैं। ताइवान की तरफ से भी इसकी आशंका जताई जा चुकी है। हाल ही में ताइवान की सेना ने एक हैंडबुक जारी की थी। इसमें सेना ने नागरिकों को संभावित चीन के हमले के लिए तैयार रहने की सलाह दी है। 28 पन्नों के इस हैंडबुक में कई बातों का जिक्र किया गया है।  

ताइवान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सन ली-फेंग ने कहा, ‘इस हैंडबुक में ऐसी जानकारी है जो सैन्य संकट या आपदा के दौरान लोगों के काम आएगी। इसमें बताया गया है कि हमले के दौरान मोबाइल ऐप के जरिए कैसे सुरक्षित जगह ढूंढना है।’ 

ताइवान के डिफेंस मिनिस्ट्री की ऑल-आउट डिफेंस मोबिलाइजेशन एजेंसी के अधिकारी लियू ताई-यी ने भी इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘इस हैंडबुक के जरिए जनता खुद को युद्ध या किसी आपदा से पहले बेहतर तरीके से तैयार कर सकती है। इसमें बेसिक सर्वाइवल स्किल्स हैं। लोगों को हवाई हमले, आग लगने, इमारत ढहने, बिजली की कटौती और प्राकृतिक आपदाओं से कैसे बचना है, इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है।’ 

बार-बार ताइवान की सीमा में घुसते हैं चीनी एयरक्राफ्ट
चीन लगातार ताइवान में घुसपैठ करने की कोशिश करता रहता है। या यूं कहें कि ताइवान को डराने की चाल चलता है। इसी मकसद से आए दिन ताइवान की सीमा में चीनी एयरक्रफ्ट घुसपैठ करते हैं। ज्यादातर ये उड़ानें ताइवान के दक्षिण-पश्चिम में हवाई क्षेत्र में होती हैं। इसे एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन कहते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल के अंदर 100 से ज्यादा बार चीन ने इस तरह की कोशिश की है। इसलिए ताइवान की एयरफोर्स और एयर डिफेंस सिस्टम अलर्ट पर है।

बता दें कि 1949 में गृहयुद्ध के दौरान ताइवान और चीन अलग हो गए थे, लेकिन चीन इस द्वीप पर अपना दावा करता रहा है। नतीजतन बीजिंग ताइवान सरकार की हर कार्रवाई का विरोध करता है। ताइवान को अलग-थलग करने और डराने के लिए राजनयिक और सैन्य ताकत का इस्तेमाल करता रहता है।

 
क्वाड बैठक में हिस्सा लेने जापान पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से पत्रकारों ने ताइवान और चीन को लेकर सवाल पूछा। इसका जवाब देते हुए बाइडन कहा, ‘अगर चीन की ओर से ताइवान पर हमला किया जाता है तो अमेरिका मिलिट्री एक्शन लेगा। ताइवान की सीमा पर घुसपैठ करके चीन खतरा मोल ले रहा है।’ 

उन्होंने आगे कहा, ‘यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ताइवान की रक्षा की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका सैन्य मदद के जरिए ताइवान की रक्षा करेगा।’

अमेरिकी राष्ट्रपति से इस दौरान सवाल पूछा गया कि अगर चीन ताइवान पर कब्जे के लिए ताकत का इस्तेमाल करता है तो क्या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा? इसके जवाब में बाइडन ने कहा, ‘हमने यही वादा किया था। हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए थे, हमने उस पर साइन किया। लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने का कदम न केवल अनुचित होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर देगा।’ 

बाइडन के बयान के बाद चीनी विदेश मंत्रालय का भी बयान सामने आया। चीन के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे। किसी को भी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति को कम करके नहीं आंकना चाहिए। ताइवान चीन का हिस्सा है। ये मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है। संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के चीन के मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर समझौता नहीं करेंगे।’
 
ये जानने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार आदित्य पटेल से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध होता है तो भारत समेत कई देशों के लिए फिर से असमंजस की स्थिति हो जाएगी। हालांकि, कुछ देशों की रणनीति इस मामले में बिल्कुल साफ है। मसलन अमेरिका, नाटो सदस्य देश और कई पश्चिमी देश खुलकर ताइवान का साथ देंगे। वहीं, रूस चीन के साथ जा सकता है।’

पटेल कहते हैं, ‘भारत के लिए यह गंभीर स्थिति होगी, क्योंकि रूस-यूक्रेन के बीच भले ही भारत ने खुद को अलग रख लिया हो, लेकिन चीन-ताइवान के बीच ऐसा करना बहुत मुश्किल होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और भारत के बीच हमेशा से विवाद रहा है। ऐसी स्थिति में चीन अगर ताइवान के खिलाफ युद्ध छेड़ सकता है तो यह संभव होगा कि बाद में भारत पर भी हमला कर दे। ऐसे में अगर ताइवान का भारत साथ नहीं देगा तो भारत से युद्ध के दौरान भी कई देश भारत का साथ देने से बचेंगे।’

चीन और ताइवान की सैन्य क्षमता क्या है?

  चीन ताइवान 
रक्षा बजट 18.77 लाख करोड़ रुपये 1.26 लाख करोड़ रुपये
एक्टिव सैनिक 20 लाख 1.7 लाख
पैरामिलिट्री फोर्स 6.24 लाख 11.5 हजार
एयरक्राफ्ट 3,285 741
फाइटर एयरक्राफ्ट 1200 288
हेलीकॉप्टर 912 208
अटैक हेलीकॉप्टर   281 91
टैंक 5250 1110
लेवल फ्लीट 777 117
सबमरीन 79 04

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रूस-यूक्रेन जंग के बीच एक और युद्ध की आहट आने लगी है। ये युद्ध दुनिया के शक्तिशाली देशों में शुमार चीन और उसके पड़ोसी मुल्क ताइवान के बीच हो सकता है। इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का भी बयान सामने आया है। क्वाड बैठक में शामिल होने के लिए जापान पहुंचे बाइडन ने सख्त लहजे में कहा कि अगर चीन की ओर से ताइवान पर हमला किया जाता है तो अमेरिका मिलिट्री एक्शन लेगा। 

आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला, आखिर चीन और ताइवान के बीच युद्ध जैसे हालात क्यों बन रहे हैं? चीन ने क्या प्लानिंग की है और इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का क्या मतलब है? 

 



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