चंडीगढ़ पर दावेदारी: पंजाब सरकार के दावे पर भड़के अनिल विज, कहा-बच्चा पार्टी को मुद्दों की पूरी जानकारी नहीं


सार

पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान चंडीगढ़ पंजाब को देने का प्रस्ताव पारित किया गया था। सीएम भगवंत मान ने कहा था कि चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन है। पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। 

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चंडीगढ़ को पंजाब को देने के पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने निशाना साधा है। विज ने कहा कि पंजाब में जो सरकार आई है ये ‘बच्चा पार्टी’ है इन्हें मुद्दों की पूरी जानकारी नहीं है। चंडीगढ़ का मुद्दा है लेकिन वह अकेला मुद्दा नहीं है उसके साथ एसवाईएल का मुद्दा है, हिंदी भाषी क्षेत्र के मुद्दे हैं तो इन सबका फैसला होगा किसी एक का नहीं। विज ने कहा कि अभी पंजाब सरकार के दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं। इस पार्टी का जन्म धोखे से हुआ है। अन्ना हजारे के आंदोलन में कहीं भी ये एजेंडा नहीं था कि राजनीतिक पार्टी बनाई जाएगी।

पंजाब सरकार ने विशेष सत्र में पारित किया था प्रस्ताव

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करने के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया था। भाजपा को छोड़ सभी दलों ने सीएम मान का समर्थन किया और केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की बात कही गई है। विधानसभा में बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पास किया गया है।

मनोहर लाल ने जताया था विरोध

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर कहा था कि चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी। दोनों के बीच केवल चंडीगढ़ का मसला नहीं है, बल्कि कई मुद्दे हैं। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों की मांग और हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है।

केंद्र के फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को काफी फायदा होगा। पहले हर आदेश के लिए कर्मचारियों को पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्ते या दूसरे लाभ के लिए आदेश होते, तो पहले पंजाब अधिसूचना जारी करता था, इसके बाद चंडीगढ़ में वह लागू होती। अब केंद्र जो अधिसूचना जारी करेगा, कर्मचारियों के लिए वह सीधे लागू हो जाएगी। पंजाब ने अब तक भी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया है, जबकि हरियाणा 2016 से लागू कर चुका है। चंडीगढ़ के कर्मचारी भी अब तक इससे वंचित हैं। नए नियम लागू होने के बाद उन्हें इसका लाभ मिल जाएगा। वर्ष 1966 में पास पंजाब पुर्नगठन एक्ट से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आया था। एक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ के 60 प्रतिशत कर्मचारी पंजाब और 40 प्रतिशत हरियाणा से होंगे। उसी समय से चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है। मनोहर लाल ने कहा कि सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के लोग भी चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पंजाब पुर्नगठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19 प्रतिशत जमीन पर हिमाचल प्रदेश का भी हक बताया था। यह अलग बात है कि हिमाचल प्रदेश ने अपनी राजधानी शिमला में बना ली है।

 

विस्तार

चंडीगढ़ को पंजाब को देने के पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने निशाना साधा है। विज ने कहा कि पंजाब में जो सरकार आई है ये ‘बच्चा पार्टी’ है इन्हें मुद्दों की पूरी जानकारी नहीं है। चंडीगढ़ का मुद्दा है लेकिन वह अकेला मुद्दा नहीं है उसके साथ एसवाईएल का मुद्दा है, हिंदी भाषी क्षेत्र के मुद्दे हैं तो इन सबका फैसला होगा किसी एक का नहीं। विज ने कहा कि अभी पंजाब सरकार के दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं। इस पार्टी का जन्म धोखे से हुआ है। अन्ना हजारे के आंदोलन में कहीं भी ये एजेंडा नहीं था कि राजनीतिक पार्टी बनाई जाएगी।

पंजाब सरकार ने विशेष सत्र में पारित किया था प्रस्ताव

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करने के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया था। भाजपा को छोड़ सभी दलों ने सीएम मान का समर्थन किया और केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की बात कही गई है। विधानसभा में बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पास किया गया है।

मनोहर लाल ने जताया था विरोध

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर कहा था कि चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी। दोनों के बीच केवल चंडीगढ़ का मसला नहीं है, बल्कि कई मुद्दे हैं। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों की मांग और हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है।

केंद्र के फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को काफी फायदा होगा। पहले हर आदेश के लिए कर्मचारियों को पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्ते या दूसरे लाभ के लिए आदेश होते, तो पहले पंजाब अधिसूचना जारी करता था, इसके बाद चंडीगढ़ में वह लागू होती। अब केंद्र जो अधिसूचना जारी करेगा, कर्मचारियों के लिए वह सीधे लागू हो जाएगी। पंजाब ने अब तक भी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया है, जबकि हरियाणा 2016 से लागू कर चुका है। चंडीगढ़ के कर्मचारी भी अब तक इससे वंचित हैं। नए नियम लागू होने के बाद उन्हें इसका लाभ मिल जाएगा। वर्ष 1966 में पास पंजाब पुर्नगठन एक्ट से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ अस्तित्व में आया था। एक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ के 60 प्रतिशत कर्मचारी पंजाब और 40 प्रतिशत हरियाणा से होंगे। उसी समय से चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है। मनोहर लाल ने कहा कि सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के लोग भी चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में पंजाब पुर्नगठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ की 7.19 प्रतिशत जमीन पर हिमाचल प्रदेश का भी हक बताया था। यह अलग बात है कि हिमाचल प्रदेश ने अपनी राजधानी शिमला में बना ली है।

 





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