मुश्किल: सरकार ने 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान घटाकर 10.5 करोड़ टन किया, जानिए क्या रही वजह 


मुश्किल- सरकार ने 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन का अनुमान घटाकर 10.5 करोड़ टन किया, जानिए क्या रही वजह 
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 04 May 2022 05:57 PM IST

सार

अनुमानों में कमी के लिए गर्मी की जल्द शुरुआत को प्रमुख वजह बताया गया है। हालांकि खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया जाएगा। 

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सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है। पहले गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 13.2 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था। गर्मी की जल्द शुरुआत होने की वजह से फसल उत्पादकता प्रभावित होना अनुमान में गिरावट का कारण माना जा रहा है। 

गेहूं के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया जाएगा 
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 11.13 करोड़ टन था। फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा था। अनुमानों में कमी के लिए गर्मी की जल्द शुरुआत को प्रमुख वजह बताया गया है। हालांकि खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया जाएगा। 

कई कारणों की वजह से सरकार की गेहूं खरीद विपणन वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में घटकर 1.95 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम है। इन कई कारणों में- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में कुछ राज्यों में गेहूं की बाजार कीमत अधिक होना है। इसके अलावा कुछ राज्यों में अनुमान से कम उत्पादन होने की वजह से कीमतों में और अधिक वृद्धि होने की संभावना को देखते हुए किसानों और व्यापारियों द्वारा स्टॉक को बचाकर रखा जा रहा है।

पांडेय ने कहा कि मुफ्त राशन योजना पीएमजीकेएवाई के तहत वितरण के लिए सरकार ने राज्यों को गेहूं के स्थान पर 55 लाख टन अतिरिक्त चावल आवंटित किया है। केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों की कठिनाइयों को कम करने के अपने प्रयासों के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आने वाले 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) शुरू की है।

इस योजना के तहत केंद्र प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान करता है। अतिरिक्त मुफ्त अनाज एनएफएसए के तहत प्रदान किए जाने वाले सामान्य कोटे से इतर 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर दिया जाता है।

विस्तार

सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है। पहले गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 13.2 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था। गर्मी की जल्द शुरुआत होने की वजह से फसल उत्पादकता प्रभावित होना अनुमान में गिरावट का कारण माना जा रहा है। 

गेहूं के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया जाएगा 

खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 11.13 करोड़ टन था। फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा था। अनुमानों में कमी के लिए गर्मी की जल्द शुरुआत को प्रमुख वजह बताया गया है। हालांकि खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया जाएगा। 

कई कारणों की वजह से सरकार की गेहूं खरीद विपणन वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में घटकर 1.95 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम है। इन कई कारणों में- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में कुछ राज्यों में गेहूं की बाजार कीमत अधिक होना है। इसके अलावा कुछ राज्यों में अनुमान से कम उत्पादन होने की वजह से कीमतों में और अधिक वृद्धि होने की संभावना को देखते हुए किसानों और व्यापारियों द्वारा स्टॉक को बचाकर रखा जा रहा है।

पांडेय ने कहा कि मुफ्त राशन योजना पीएमजीकेएवाई के तहत वितरण के लिए सरकार ने राज्यों को गेहूं के स्थान पर 55 लाख टन अतिरिक्त चावल आवंटित किया है। केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों की कठिनाइयों को कम करने के अपने प्रयासों के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आने वाले 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) शुरू की है।

इस योजना के तहत केंद्र प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान करता है। अतिरिक्त मुफ्त अनाज एनएफएसए के तहत प्रदान किए जाने वाले सामान्य कोटे से इतर 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर दिया जाता है।



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