नई दिल्ली. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अभी रेपो रेट को 20 साल के निचले स्तर पर रखा है, जिससे सभी तरह के खुदरा कर्ज सस्ते हो गए हैं. इस मौके का फायदा उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग होम, ऑटो या बिजनेस लोन लेने की तैयारी में होंगे.
अगर आप भी कर्ज लेने की योजना बना रहे हैं तो ईएमआई की राशि कम रखने के चक्कर में इसकी अवधि मत बढ़ा लेना. यह आपको फायदा कम और नुकसान ज्यादा कराएगा. इतना ही नहीं, जिन ग्राहकों का पहले से लोन है और वे ईएमआई का बोझ घटाने के चक्कर में अवधि बढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें इसके बारे में सोचना होगा. इससे आपको तत्काल राहत भले ही मिल जाए लेकिन लंबी अवधि में कर्ज चुकाने पर लाखों का बोझ बढ़ सकता है.
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ईएमआई के बजाय ब्याज घटाने पर दें जोर
बैंकिंग मामलों के जानकार और वॉइस ऑफ बैंकिंग के सचिव अश्वनी राणा का कहना है कि ग्राहक को कर्ज लेते समय ईएमआई की राशि कम करने के बजाय ब्याज दर घटाने पर जोर देना चाहिए. चूंकि, होम लोन लंबी अवधि का होता है, लिहाजा इसका टेन्योर सिर्फ इस वजह से न बढ़वाएं कि आपकी ईएमआई कम हो जाएगी. इसका असर ईएमआई की राशि पर तो मामूली दिखेगा लेकिन ब्याज के रूप में आपके द्वारा भरी जाने वाली कुल राशि काफी ज्यादा हो जाएगी.
ऐसे समझें नुकसान का गणित
अगर आपने एसबीआई से 30 लाख रुपये का होम लोन लिया है, जिसकी ब्याज दर 7.40% और कर्ज चुकाने की अवधि 20 साल है. ऐसी स्थिति में आपकी ईएमआई 23,985 रुपये होगी और ब्याज के रूप में कुल 27,56,325 रुपये चुकाने पड़ेंगे. इस तरह, पूरे कर्ज की लागत 57,56,325 रुपये आएगी. अब, आपने समान ब्याज पर इतना ही कर्ज लिया है लेकिन इसकी भुगतान अवधि बढ़ाकर 30 साल कर दी. आपको ईएमआई के रूप में 20,771 रुपये चुकाने होंगे जो पहले से कम है, लेकिन कुल देय ब्याज 44,77,702 रुपये और कर्ज की कुल लागत 74,77,702 रुपये हो जाएगी.
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अब देखें 10 साल में कितना बढ़ा बोझ
इस तरह, 10 साल की अवधि बढ़ाने पर ईएमआई की राशि में जहां 3,214 रुपये की कमी आई, वहीं कुल ब्याज के रूप में आपको 17,21,377 रुपये ज्यादा चुकाने पड़ेंगे. यह रकम आपके पिछले दिए जाने वाले ब्याज के मुकाबले करीब 60 फीसदी ज्यादा है.
बचत पर असर डालेगा लंबा लोन
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि अपनी ईएमआई चुकाने की क्षमता और लोन की अवधि का उचित संतुलन ढूंढें. बहुत ज़्यादा लंबा लोन भी नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे आपका ब्याज बढ़ जाता है जिससे भविष्य में बचत कम होगी. आदर्श रूप से
ईएमआई आपके हाथ आने वाले वेतन (टेक होम पे) का 40% तक होना चाहिए. इससे ज्यादा किया तो रोजमर्रा के खर्चे पूरे करना मुश्किल हो जाएगा.
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