ओरल हेल्‍थ केयर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र में व्‍याख्‍यान देने वाले दक्षिण एशिया के पहले दंत चिकित्‍सक बने डॉ. ज्ञानेंद्र


नई दिल्‍ली : दो साल पहले COVID-19 महामारी में सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के ठप रहने के दौरान दक्षिण एशियाई क्षेत्र में द साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री (SAAPD) के दंत चिकित्सकों द्वारा जरूरतमंद लोगों को उपलब्‍ध कराई गई मौखिक स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सेवाओं को संयुक्‍त राष्‍ट्र की सराहना मिली है. इसके चलते संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा SAAPD को इस नेक काम पर अपने विस्‍तृत विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसमें SAAPD की ओर से सचिव डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने यूएन में अपना व्‍याख्‍यान दिया. इस तरह वह संयुक्त राष्ट्र में मौखिक स्वास्थ्य पर व्‍याख्‍यान देने वाले दक्षिण एशिया के पहले दंत चिकित्‍सक बन गए हैं. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने संघ के प्रयासों के मद्देनजर UN में “विशेष सलाहकार स्थिति” के लिए SAAPD की सिफारिश की.

दरअसल, संयुक्‍त राष्‍ट्र के आमंत्रण पर SAAPD के सचिव एवं मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने अमेरिका में UN कार्यालय का दौरा किया. उन्‍होंने दक्षिण एशियाई देशों के आउटरीच क्षेत्रों में महामारी के दौरान मौखिक स्वास्थ्य देखभाल की संभावनाओं को बेहतर बनाने में एसएएपीडी की भूमिका पर व्याख्यान दिया.

उन्‍होंने कहा कि ‘दो साल पहले जब COVID-19 महामारी के कारण दुनियाभर में ठहराव आ गया था, जिसके कारण गैर-आवश्यक सेवाओं और आवश्यक सेवाओं के आपातकालीन उपयोग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. यहां तक की गंभीर रूप से पीडि़त लोगों को मौखिक स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं पा रही थीं. दक्षिण एशियाई देशों के दूरस्थ और आउटरीच क्षेत्रों में रहने वाले लोग इन आवश्यक मौखिक देखभाल सेवाओं से वंचित थे’.

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उन्‍होंने आगे कहा कि ‘ऐसे में द साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री (एसएएपीडी) छह दक्षिण एशियाई देशों यानी भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव और भूटान के दंत चिकित्सा पेशेवरों का सहयोग, आउटरीच और दूरदराज के क्षेत्रों में बच्चों को मौखिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर रहा था’. उन्होंने कहा कि “एसएएपीडी भारत और उसके पड़ोसी देशों में बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए मौखिक स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के प्रावधान की दिशा में लगन से काम कर रहा है.

डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा कि “महामारी के विकट काल के दौरान एसोसिएशन ने दक्षिण एशियाई देशों में ओरल हेल्‍थ केयर की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिन्हें मौखिक देखभाल सेवाओं की बेहद आवश्यकता थी, उन्‍हें SAAPD के दंत चिकित्‍सकों ने या तो मोबाइल, संचार के दूसरे माध्‍यमों या फ‍िर खुद वहां जाकर अपनी सेवाएं देकर उपचार दिया”.

Tags: Health, Health News

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