नई दिल्ली. विधानसभा चुनाव के बाद वाहन ईंधन के दाम बढ़ने की अटकलों के कारण मार्च 2022 के पहले 15 दिन देश में पेट्रोल, डीजल की बिक्री महामारी-पूर्व के स्तर को पार पहुंच गई. दाम बढ़ने की आशंका से उपभोक्ताओं और डीलर गाड़ियों के टैंक पूरी तरह भरवा रहे हैं.
उद्योग से प्राप्त आरंभिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 90 फीसदी बाजार पर नियंत्रण रखने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों की पेट्रोल की बिक्री एक से 15 मार्च के बीच 12.3 लाख टन रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 18 फीसदी और 2019 के मुकाबले 24.4 फीसदी अधिक है.
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डीजल की बिक्री 23.7 फीसदी बढ़ी
डीजल की सालाना आधार पर बिक्री 23.7 फीसदी की वृद्धि के साथ 35.3 लाख टन और 2019 के मुकाबले 17.3 फीसदी अधिक रही. आंकड़ों के मुताबिक, 1-15 मार्च 2020 के दौरान हुई बिक्री के मुकाबले इस वर्ष पेट्रोल 24.3 फीसदी अधिक और डीजल 33.5 फीसदी अधिक बिका. पिछले महीने के मुकाबले पेट्रोल की बिक्री 18.8 फीसदी अधिक और डीजल की 32.8 फीसदी अधिक रही.
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जानिए पेट्रोलियम मंत्री ने क्या कहा था
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा था कि कुछ इस तरह की टिप्पणियां आई हैं कि लोगों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से पहले अपनी गाड़ियों के टैंक पूरी तरह भरवाने चाहिए. उनके इस बयान के बाद ईंधन की बिक्री में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है.
132 दिन से नहीं बढ़े दाम
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नवंबर 2021 से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं. इस दौरान कच्चे तेल का दाम 81 डॉलर से 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा है. इसके बावजूद 132 दिन से वाहन ईंधन के दाम नहीं बढ़े हैं. इससे घरेलू तेल कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है.
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