Exclusive: आज के दौर में ‘खान’ होना गुनाह है, मैंने बेटों का सरनेम बदल दिया- पद्मविभूषण अमजद अली खान


दुनियाभर में अपने सरोद वादन के लिए मशहूर पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान (Amjad Ali Khan) ने मुंबई में एक खास सरोद कॉन्सर्ट ‘मॉर्निंग रागा’ का आयोजन किया। यह कॉन्सर्ट मुंबई के मशहूर रॉयल ओपेरा हाउस में हुआ। इस मौके पर उस्ताद अमजद अली खान ने अपने सरोद वादन से ऑडियंस को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर मशहूर कवि और फिल्ममेकर गुलजार भी मौजूद थे। गुलजार ने अमजद अली खान के लिए एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है जिसे काफी पसंद किया गया था। उस्ताद अमजद अली खान ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कई अलग-अलग मुद्दों पर बात की।

सरोद घर म्यूजियम के लिए हुआ कॉन्सर्ट
उस्ताद अमजद अली खान ने बताया कि ग्वालियर में उन्होंने अपने पुराने घर को सरोद घर यानी एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया है। यह घर पहले जर्जर हालत में था। गुलजार ने इस पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है। उन्होंने बताया कि यह कॉन्सर्ट इसी म्यूजियम की फंडिग इकट्ठी करने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि इस म्यूजियम के जरिए लोगों को संगीत और सरोद के और नजदीक लाया जा सकेगा।

‘सोचता हूं अपना नाम सरोद कर लूं’
पिछले दिनों उस्ताद अमजद अली खान ने बताया था कि उनके मुस्लिम नाम के कारण ब्रिटेन का वीजा नहीं दिया गया था। इसके बाद निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि उनका मन करता है कि वह अपना नाम बदलकर सरोद कर लें। इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, ’21वीं सदी में ऐसा लगता था कि सब कुछ शांत होगा। लगता था कि पढ़ाई-लिखाई से लोग समझदार होंगे लेकिन स्कूल एक बिजनस इंडस्ट्री बन चुके हैं। शायद इसीलिए शिक्षा हमें रहमदिल नहीं बना पाई। आज भी लोगों के साथ धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव होता है। दुनिया में लोग रहमदिल होने के बजाय और ज्यादा बेरहम हो चुके हैं।’

9/11 के बाद ‘मिस्टर खान’ होना गुनाह हो गया
मुस्लिमों के साथ दुनिया में होने वाले भेदभाव पर उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 9/11 के हमले के बाद मुस्लिमों के प्रति लोगों का नजरिया बदल गया। उन्होंने कहा, ‘9/11 के बाद विदेश में मिस्टर खान के तौर पर जाने पर चेकअप करते थे। इसलिए हमारी पत्नी ने जब बेटे अमान और अयान पैदा हुए तो हमारे पूर्वजों का सरनेम बंगश लगा दिया। अब पूरी दुनिया से कोई भी खान अमेरिका या कहीं और जाए तो उनको ज्यादा चेक किया जाता है। हालांकि हमारे साथ ज्यादा ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन हम वहां के लोगों की मानसिक शांति के लिए सूटबूट पहनते हैं।’

पूरी दुनिया की राजनीति धर्म पर आधारित
भारत के साथ ही दुनियाभर में धर्म के आधार पर बढ़ती असहिष्णुता पर बात करते हुए उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि हर जगह केवल धर्म के आधार पर ही राजनीति की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘यह केवल भारत की बात नहीं है। मेरे पिता ने कहा कि सारी दुनिया का एक ही रब है, एक ही शक्ति है जो लाती है और ले जाती है। इंसानियत एक ही मजहब है। मैं हर धर्म से जुड़ा महसूस करता हूं। मेरी ऑडियंस हर धर्म की है। इसलिए मैं तो पूरी दुनिया की शांति की दुआ करता हूं। मैं बहुत उदास हूं जो रूस और यूक्रेन में लड़ाई हो रही है। इसके कारण बहुत महंगाई बढ़ गई है। और सरकार किसी की भी हो लेकिन अगर एक बार रेट ऊपर चले गए तो वे कभी नीचे नहीं आते।’

‘इंसान को रहमदिल बनाना है’
भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ती दूरी पर भी उस्ताद अमजद अली खान ने बात की। उन्होंने कहा, ‘हम अलग-अलग पार्टियों और उनकी विचारधारा से जुड़े हुए हैं और हमें लोगों को रहमदिल मनाना है। शायद हमारे एजूकेशन सिस्टम में कोई कमी रह गई है जो हमें सुधारनी है। वरना बताएं कि एक पीएचडी किया हुआ आदमी सांप्रदायिक कैसे हो जाता है चाहे वह किसी भी धर्म का हो। इसलिए हमें लोगों को रहमदिल बनाना है। जैसे पाकिस्तान ही है, पहले हम एक देश थे लेकिन बंटवारा हो गया। अब हम पड़ोसी हैं। दो पड़ोसी एक-दूसरे की मदद न करें तो एक-दूसरे को बर्बाद करने की कोशिश तो न करें। म्यूजिक का कोई धर्म नहीं होता और यही हमें जोड़ सकता है।’

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