होटल-रेस्‍तरां नहीं ले सकते सर्विस चार्ज, फिर भी वसूल रहे तो उपभोक्‍ता कहां और किससे करें शिकायत, क्‍या कहता है नियम?


नई दिल्‍ली. केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सोमवार को एक महत्‍वपूर्ण फैसले में कहा कि होटल अथवा रेस्‍तरां अपने ग्राहकों से खाने के बिल में सर्विस चार्ज के नाम पर पैसे नहीं वसूल सकते. हां, अगर ग्राहक खुद चाहे तो सर्विस चार्ज का भुगतान कर सकता है.

वैसे तो यह फैसला उपभोक्‍ताओं के हित में है और इससे होटल-रेस्‍तरां में खाना भी सस्‍ता हो जाएगा, लेकिन आदेश के बावजूद अगर कोई होटल या रेस्‍तरां आपसे सर्विस चार्ज वसूलता है तो क्‍या करना चाहिए. उपभोक्‍ताओं की इस शंका और सुरक्षा के लिए प्राधिकरण ने कई विकल्‍प बनाए हैं. हम बता रहे हैं कि अगर होटल या रेस्‍तरां आपसे अब भी जबरन सर्विस चार्ज वसूलता है तो कहां और कैसे शिकायत करनी चाहिए.

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उपभोक्‍ता के पास बचाव के चार रास्‍ते

1- अगर आपके रेस्‍तरां या होटल ने सर्विस चार्ज जोड़कर बिल बनाया है तो सबसे पहले मैनेजर से उस चार्ज को हटाने का आग्रह करेंगे. उन्‍हें याद दिलाएंगे कि इस तरह का चार्ज बिना आपकी मर्जी के नहीं वसूला जा सकता है.

2- अगर रेस्‍तरां या होटल आपकी रिक्‍वेस्‍ट नहीं मानता है और सर्विस चार्ज वसूलने पर अड़ा रहता है तो आप नेशनल कंज्‍यूमर हेल्‍पलाइन (NCH) पर शिकायत कर सकते हैं. यह विवाद की प्रारंभिक स्थिति में ही उसका निपटारा करने में मदद करता है. उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन नंबर 1915 पर कॉल करके अथवा NCH के ऐप के जरिये अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

3- इसके अलावा आप उपभोक्‍ता आयोग में भी इसकी शिकायत कर सकते हैं अथवा ई-दाखिल पोर्टल के जरिये ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है. इसके लिए आपको http://www.edaakhil.nic.in पर विजिट करना होगा.

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4- उपभोक्‍ता के पास जिले के कलक्‍टर ऑफिस में भी अपनी शिकायत दर्ज करने का अधिकार होगा, जो जांच करके अपनी रिपोर्ट CCPA को भेजेगा. आप चाहें तो सीधे अपनी शिकायत CCPA से कर सकते हैं. इसके लिए आपको [email protected] पर ई-मेल करना होगा.

क्‍या कहता है कानून
CCPA ने उपभोक्‍ताओं के हितों के लिए उपभोक्‍ता संरक्षण कानून की धारा 18(2)(I) के तहत गाइडलाइन जारी की है. इसमें कहा गया है कि मेन्‍यू में दिए गए रेट से अतिरिक्‍त अगर कोई होटल या रेस्‍तरां उपभोक्‍ता से उपयुक्‍त टैक्‍स के अलावा अन्‍य कोई शुल्‍क लेता है तो यह पूरी तरह गैरकानूनी और उपभोक्‍ता हितों के खिलाफ है.

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