नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी में शेयर बाजार के साथ म्यूचुअल फंड का रिटर्न भी दबाव में रहा. सबसे बुरा असर इक्विटी म्यूचुअल फंड पर पड़ा, जहां नुकसान के डर से निवेशकों ने लगातार निकासी की है.
अगर आपने भी आर्थिक तंगी में पैसों की जरूरत के कारण अपने म्यूचुअल फंड बेच दिए हैं और इस दौरान आपको मनमाफिक रिटर्न नहीं मिलने पर नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई टैक्स छूट के रूप में कर सकते हैं. गौरतलब है कि महामारी के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 95% घट गया था.
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ऐसे मिलेगी टैक्स में छूट
ट्रेडस्विफ्ट के निवेश सलाहकार संदीप जैन का कहना है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में हुई कमाई पर टैक्स की गणना शार्ट टर्म या लॉन्ग टर्म के आधार पर की जाती है. अगर किसी साल निवेशक ने इक्विटी म्यूचुअल फंड में नुकसान सहा है तो अगले 8 साल तक तक टैक्स भरते समय इसकी भरपाई की जा सकती है.
जानें टैक्स छूट का गणित
अगर किसी को साल 2020 में म्यूचुअल फंड से 1,00,000 रुपये का नुकसान होता है और अगले साल इसी सेग्मेंट में 20 हजार रुपये का मुनाफा होता है, तो आयकर रिटर्न के समय यह रकम पिछले नुकसान में समायोजित कर दी जाएगी और उसकी टैक्स देनदारी शून्य हो जाएगी. इसी तरह, साल दर साल मुनाफे का समायोजन नुकसान से होता रहेगा जब तक नुकसान की पूरी राशि बराबर नहीं हो जाती है. अगर, 2021 में ही निवेशक 1.5 लाख का मुनाफा म्यूचुअल फंड से कमा लेता है तो उसकी टैक्स देनदारी सिर्फ 50 हजार रुपये पर होगी, क्योंकि 1 लाख रुपये के नुकसान का समायोजन हो जाएगा.
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शॉर्ट टर्म के घाटे पर दोहरा अवसर
इक्विटी म्यूचुअल फंड में अगर 12 महीने से कम अवधि तक निवेश करते हैं तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) टैक्स लगता है, जो 15% वसूला जाता है. शॉर्ट टर्म पर होने वाला घाटा शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस (एसटीसीएल) और लॉन्ग टर्म का एलटीसीएल कहलाता है. अगर किसी वित्तवर्ष में निवेशक ने एसटीसीएल पर नुकसान उठाया है तो उसका समायोजन अगले 8 वित्तवर्ष तक शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों ही निवेश पर किया जा सकता है. वहीं, एलटीसीएल का समायोजन सिर्फ लॉन्ग टर्म के निवेश पर हो सकता है.
निवेशक ये ध्यान में जरूर रखें
बीपीएन फिनकैप कंसलटेंट के डाइरेक्टर एके निगम का कहना है कि म्यूचुअल फंड में हुए नुकसान का अगले वित्तवर्ष के मुनाफे में समायोजन के लिए आयकर रिटर्न भरना बहुत जरूरी है. अगर निवेशक ने जिस साल नुकसान हुआ है, उस साल के रिटर्न में अपना घाटा नहीं दर्शाया तो आगे होने वाली कमाई के साथ इसके समायोजन का मौका नहीं मिलेगा.
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