IPL 2022: क्या रोहित-विराट-धोनी का दौर खत्म? हार्दिक ने खींची नई लकीर; अब रुतबे से नहीं चलेगा नाम


नई दिल्ली. पिछले 15 सीजन में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) एक ऐसा ब्रांड बनकर उभर चुका है, जिसकी तुलना दुनिया की किसी भी खेल की सिरमौर प्रतियोगिता से की जा सकती है. इस लीग के जरिए लोकप्रियता के मामले मे क्रिकेट भी एनबीए या यूरो चैंपियंस लीग से ज्यादा पीछे दिखाई नहीं देता. संयोग से दुनिया की सबसे बड़ी यूरो चैंपियंस लीग और इंडियन प्रीमियर लीग के फाइनल तकरीबन एक समय खेले गए. एक तरफ जहां रीयाल मैड्रिड ने रिकॉर्ड 14वीं बार खिताब जीता, तो दूसरी ओर गुजरात टाइटंस ने अपने डेब्यू एपीयरेंस में टाइटल अपने नाम कर लिया.

फाइनल मुकाबले को टाइटन्स की कसी हुई गेंदबाजी और राजस्थान रॉयल्स पर तकरीबन सवा लाख लोगों की मौजूदगी के दबाव के रूप मे देखा जा सकता है. हालाकि, महज 130 रन के टारगेट को डिफेन्ड करने के जज्बे के दीदार भी हुए, लेकिन शायद रॉयल्स टारगेट सेट करने के मामले मे 25-30 रन पीछे छूट गए थे. आखिर जो काम रॉयल्स ने 2008 मे अपने डेब्यू सीजन मे किया था, कल वही काम गुजरात टाइटन्स ने किया और लीग को 2016 के बाद पहली बार नया चैम्पियन मिला.

हार्दिक के जज्बे की तारीफ

समय के चक्र के साथ आईपीएल में काफी कुछ बदल चुका है. टीमों की संख्या बढ़ गई, मैचों के आंकड़े बदल गए और फिर खिलाड़ियों के करिश्मे के क्या कहने. यही नहीं महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों की वजह से लोकप्रियता के शिखर पर पहुंची लीग में इस बार खिलाड़ियों के बदलते चेहरों ने अपनी पैठ जमाई. 2014 को छोड़ दें तो यह पहला मौका है, जब फाइनल में न तो धोनी, न ही रोहित या विराट खेलते नजर आए, लेकिन फिर भी लीग के जज्बे मे कमी नहीं थी. दरअसल यह परिपक्व होती लीग की निशानी है.

हार्दिक पंड्या कोई नए खिलाड़ी नही हैं, लेकिन कप्तान नए थे. दाद देनी होगी उनकी जीवटता की, कप्तानी की और हार न मानने के जज्बे की. सीजन शुरू होने से पहले ही जिस टीम को चूका हुआ मान लिया गया था, वही अगर खिताब जीत ले, तो कुछ बात तो है ही! रोहित शर्मा ने भी बतौर कप्तान पहले सीजन मे मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनाया था और तब खुद भी बल्ले से कमाल दिखाया था.

उसी तरह इस पूरी लीग मे हार्दिक पंड्या ने गेंद और बल्ले, दोनों से चैंपियन जैसा प्रदर्शन किया. यही नहीं, सीजन में रन बनाने के मामले में हार्दिक 487 रन के साथ टॉप फोर में शामिल हुए. गेंदबाजी मे उनके फॉर्म को लेकर सवालों को विराम मिला. अब वह पहले की तरह ही गेंदबाजी कर सकते हैं, जिसकी जरूरत टीम इंडिया को भी है.

चैंपियन टीमों की हुई फजीहत

मुंबई इंडियंस यानी पांच बार की चैंपियन टीम. आखिरी बार 2020 में खिताब जीता और इस बार दस टीमों की लीग मे दसवें नंबर पर रही. चार बार की चैम्पियन चेन्नई सुपर किंग्स 14 मे से 10 मैच हारकर नौवें नंबर पर रही. दो बार चैंपियन रही कोलकाता नाइटराइडर्स भी अपने नाम के आगे कुछ भी नहीं लिखा पाए और प्लेऑफ की दौड़ से पहले ही टांय-टांय फिस्स हो गए. आखिर लीग मे 15 मे से 11 खिताब जीतने वाली इन टीमों का ऐसा हश्र क्यों हुआ? तीनों को अपने संतुलन पर काम करना होगा, और साफ यह भी है कि चेन्नई और कोलकाता फ्रेंचाइजी मे सब कुछ ठीक नहीं है.

नाम बड़े और दर्शन छोटे

भारतीय क्रिकेट में नाम के ही अनुरूप विराट की साख भी रही है. लेकिन करियर में बतौर कप्तान उन्हें न तो कोई आईसीसी ट्रॉफी नसीब हुई और न ही कोई आईपीएल खिताब. देश की कप्तानी छोड़ने और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर की कप्तानी से हटने के बाद भी कोई फ़र्क नहीं पड़ा. उनका बल्ला खामोश रहा, बड़े मैचों के बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले विराट जब भी जरूरत थी, ज्यादातर मौकों पर निराश कर गए. 16 मैचों में 116 के स्ट्राइक रेट से केवल 341 रन और औसत 23 से भी कम. आरसीबी के फाइनल तक नहीं पहुंच पाने की खास वजह भी विराट के बल्ले का नहीं चलना है. 16 मैचों मे कुल जमा दो अर्धशतक सही मायने मे विराट को मुह चिढ़ाते रहेंगे.

भारतीय टीम और मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा 14 मैचों में 120 के स्ट्राइक रेट से केवल 268 रन जोड़ सके. एकमात्र पचासे के अलावा उनके पास इतराने को कुछ भी नहीं था. महेन्द्र सिंह धोनी का बल्ला तो पिछले कुछ सीजन से ही खामोश है, इस बार भी 13 पारियों में सिर्फ 232 रन बना सके. शुरुआती दौर में एक अर्धशतक लगाया जरूर, लेकिन पूरे सीजन मे फिर उसे दोहरा न सके. इसके अलावा शिखर धवन, शुभमन गिल, ईशान शर्मा, देवदत्त पडिक्कल, रुतुराज गायकवाड और ऋषभ पंत कुछ ऐसे नाम हैं, जो पिछले कुछ साल में उभरकर सामने आये पर इस बार के आईपीएल में इनकी ज्यादा नहीं चली. इससे इनकी टीमों को खासा नुकसान हुआ.

शिखर धवन, हालांकि पुराने दिग्गज हैं और रन गेटर्स में टॉप सिक्स में हैं. फिर भी उनके 14 मैचों में तीन अर्धशतक कोई बेहतर बैटिंग की तस्दीक नहीं करते, खासकर पिछले कुछ सीजन मे उनके प्रदर्शन को देखते हुए. उनके कारण पंजाब किंग्स को प्लेऑफ तक पहुंच बनाने से दूर रहना पड़ा. शुभमन गिल के 483 रन देखने में अच्छे लगते हैं पर स्ट्राइक रेट अगर 132.32 हो तो उनके नाम से मैच नहीं करता. बावजूद इसके शुभमन ने फाइनल में जिस तरह धैर्य से बल्लेबाजी की, उससे गुजरात को टाइटल जीतने में बड़ा योगदान मिला. अन्यथा एक समय तो गुजरात की बल्लेबाजी चरमराने लगी थी.

2021 में ईशान किशन ने जैसा खेल दिखाया, उससे उनको मुंबई इंडियंस की जरूरत समझी गयी. इसी कारण उनको इस टीम ने रिकॉर्ड रकम देकर रिलीज करने के बावजूद शामिल किया. हालांकि इस बार किशन ने 418 रन बनाये पर यह 14 मैचों में कम इंपैक्ट बना सका. यह प्रदर्शन साधारण हो सकता है, असाधारण नहीं. यह जरूरी है कि खिलाड़ियों का प्रदर्शन टीम के काम आना चाहिए. लोकेश राहुल इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. 2020 या 2021 में उनका बल्ला तो चला था पर पंजाब किंग्स नहीं चले. लेकिन इस बार लोकेश राहुल ने नई टीम लखनऊ सुपरजाइंट्स के लिए फिर से बेहतरीन पारियां खेलीं, जिससे लखनऊ को प्लेऑफ तक पहुंचने में दिक्कत नहीं हुई.

समय का चक्का घूम रहा है

भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली के बाद रोहित, धोनी और विराट ने नये जेनेरेशन की डोर थामी थी. 2022 में अब फिर नई जेनेरेशन ने धोनी, विराट और रोहित की जगह लेने की दस्तक दे दी है. टीमों की सफलता को पैमाना नहीं बनाया जाए तो कई नाम उभरकर सामने आते हैं. जिनमे रिंकु सिंह, जीतेश शर्मा, तिलक वर्मा, मुकेश चौधरी, मोहसिन खान, अर्शदीप सिंह, उमरान मलिक को शामिल किया जा सकता है. राहुल त्रिपाठी भी तेजी से उभरने वाले खिलाड़ियों में हैं. यश दयाल, साई किशोर, रियान पराग, रवि बिश्नोई, आवेश खान, और रजत पाटीदार को इसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए. पाटीदार की दो पारियों ने तो सही समय पर टीम को सहारा दिया था.

प्लेऑफ में चार नये कप्तान

जिन चार टीमों ने प्लेऑफ में जगह बनाई, सभी के कप्तानों के लिए प्लेऑफ मे कप्तानी का यह पहला मौका था. गुजरात के लिए हार्दिक पंड्या, राजस्थान के लिए संजू सैमसन, लखनऊ के लिए लोकेश राहुल और बेंगलोर के लिए फाफ डुप्लेसी ने पहली बार प्लेऑफ में किसी टीम की कप्तानी की. संजू सैमसन ने भी अपनी कप्तानी को तराशा है. फाइनल तक टीम को पहुंचाने में उनके योगदान को किसी भी तरह से नकारा नहीं जा सकता. लखनऊ सुपर जायंट्स लीग के दौरान शीर्ष दो में जगह बनाने की कोशिश में लगा रहा, लेकिन आखिरकार सैमसन ने राजस्थान को इस स्थान पर पहुंचाया.

इस कड़ी में यह भी बड़ी बात है कि हार्दिक पंडया, शेन वॉर्न और रोहित शर्मा के बाद सिर्फ तीसरे कप्तान हैं, जिनको पहली बार ही टीम की कप्तानी करते हुए खिताब जीतने का गौरव हासिल हुआ है. चैंपियन बनने के बाद हार्दिक की कामयाबी में यह भी जुडा है कि वो धोनी, रोहित और गौतम गंभीर के बाद चैंपियन बनने वाले सिर्फ चौथे भारतीय कप्तान हैं. वैसे, हार्दिक के लिए बतौर कप्तान पहली बार चैंपियन बनने का मौका है, परंतु एक खिलाड़ी के तौर पर वह पांचवीं बार चैंपियन टीम का हिस्सा बने हैं. इससे पहले चार बार वह मुंबई इडियंस की चैंपियन टीम का हिस्सा रहे हैं.

विदेशी खिलाड़ियों का जलवा

विदेशी खिलाड़ियों मे शायद डेविड मिलर बटलर के साथ टॉप पर रहे, रनों के मामले में नहीं, बल्कि गुजरात को चैंपियन बनाने में मिलर की भूमिका अहम रही. 68.71 के औसत और 142 के स्ट्राइक रेट से 481 रन बड़े काम के साबित हुए. लेकिन असल कमाल किया राशिद खान ने. अफगानिस्तान का यह स्पिन गेंदबाज 19 विकेट लेने में कामयाब तो रहा ही, उनकी कंजूसी से भरी गेंदबाजी ने टीम को जीतने में बड़ा योगदान किया. आखिरी दो मैचों मे तो राशिद ने 4-4 ओवर मे सिर्फ 15 और 18 रन दिए.

बटलर की बल्लेबाजी को कोई नहीं भूल सकताजोस बटलर ने राजस्थान रॉयल्स के लिए इस बार गजब की बल्लेबाजी की और चार शतक और चार अर्धशतक समेत कुल 863 रन बनाये. वह सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. राजस्थान के लिए मिचेल मार्श, ट्रेंट बोल्ट और ओबेद मैकॉय ने बेहतरीन खेल दिखाया. बेंगलोर के लिए फाफ डुप्लेसी से जैसी उम्मीद थी, वैसा नहीं हो पाया पर उनका प्रदर्शन बहुत खराब भी नहीं रहा. लेकिन गेंदबाजी में श्रीलंका के वानिंदु हसरंगा और ऑस्ट्रलिया के जोश हेजलवुड ने बढ़िया प्रदर्शन किया.

लखनऊ के लिए क्विंटन डिकॉक ने एक शतक समेत 508 रन बनाकर अपना काम पूरा किया. देर से टीम में जुड़े डेविड वॉर्नर और मिचेल मार्श ने दिल्ली कैपिटल्स के लिए बाकियों से ज्यादा कंट्रीब्यूट किया. आंद्रे रसेल और टिम साउदी ने कोलकाता को कुछ मैचों में जीत दिलाई. चेन्नई के लिए न्यूजीलैंड के डेवोन कॉनवे ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया. हैदराबाद के कप्तान केन विलियम्सन असफल रहे, लेकिन निकोलस पूरन ने संतोषजनक प्रदर्शन किया. कुल मिलाकर इस लीग को बड़े सितारों और चैंपियंस टीमों की नाकामी और आईपीएल के क्षितिज मे उभरते नए और चमकते सितारों के लिए याद रखा जाएगा.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)



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