IPO Update : भारत का आईपीओ मार्केट दूसरी छमाही से स्पीड पकड़ेगा, जानिए कैसी रहेगी चाल ?


IPO Update : भारत के आईपीओ मार्केट ने साल 2021 में शानदार प्रदर्शन किया. पिछले साल की तर्ज पर इस साल भी आईपीओ मार्केट के जोरदार रहने की उम्मीद थी. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से साल की पहली तिमाही कुछ खास नहीं रही. आईपीओ मार्केट को लेकर नोमुरा ने कहा है कि इस साल की दूसरी छमाही से भारत के प्राइमरी मार्केट में भी गहमागहमी बढ़ती दिखाई देगी. सेकेंडरी मार्केट की तेजी से इसके संकेत मिल रहे हैं.

नोमुरा के अमित थवानी (Amit Thawani) ने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत में सेकेंडरी मार्केट में एक बार फिर हलचल तेज हुई है. QIPs में भी रफ्तार दिख रही है. लिहाजा उम्मीद है कि इस साल के दूसरी छमाही से आईपीओ बाजार में भी जोश लौटता दिखेगा.

आईपीओ के जरिए बाजार से करीब 1.1 अरब डॉलर जुटाए 

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने ग्लोबल स्तर पर आईपीओ मार्केट को प्रभावित किया है. बाजार के उतार-चढ़ाव ने सेंटीमेंट प्रभावित किया है. इस साल अब तक भारत में कंपनियों ने आईपीओ के जरिए बाजार से करीब 1.1 अरब डॉलर जुटाए हैं. वहीं, पिछले साल यानी 2021 में इसी अवधि में भारतीय बाजार में आईपीओ के जरिए 2.6 अरब डॉलर जुटा लिए थे.

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कई टेक्नोलॉजी कंपनियां अपना आईपीओ लाने की तैयारी में 

अमित थवानी ने ब्लूमबर्ग से हुई अपनी इस बातचीत में आगे कहा कि भारतीय कैपिटल मार्केट में सेकेंड हाफ में लाइफ इंश्योरेंस के अलावा कई टेक्नोलॉजी कंपनियां अपना आईपीओ लाने की तैयारी में हैं. फंड जुटाने की गतिविधि अगले 6 से 12 महीने में काफी तेज रहेगी. अधिकांश कंपनियां विदेशी लिस्टिंग की जगह घरेलू बाजार में लिस्टिंग को वरीयता देंगी.

अमित थवानी ने इस बातचीत में आगे कहा कि प्राइवेट इक्विटी फंड भारत में मर्जर और अधिग्रहण की प्रक्रिया को सपोर्ट देते नजर आएंगे. इसके अलावा बड़े -बड़े कारोबारी समूहों द्वारा अपने घरेलू कारोबार के कंसोलिडेशन पर फोकस ही बाजार को सपोर्ट देगा.

फाइनेंशियल सेक्टरों में कई सामने आएंगी

उन्होंने कहा कि इसी महीने भारत के सबसे ज्यादा वैल्यू वाला HDFC Bank देश के सबसे बड़े मॉर्गेज लेंडर Housing Development Finance Corp का टेक ओवर किया है. यह सौदा करीब 60 अरब डॉलर का है. यह मर्जर देश के कुछ बड़े वित्तीय संस्थाओं को यह सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है कि आने वाले वर्षों के लिए उनकी कारोबारी रणनीति क्या होनी चाहिए. थवानी का मानना है कि आगे हमें फाइनेंशियल सेक्टरों में इस तरह के कई और कंसोलिडेशन होते नजर आ सकते हैं.

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