हाइलाइट्स
भारत से अमेरिका की माल ढुलाई लागत एक साल में 20 फीसदी कम हो गई.
महामारी में भारत की बेरोजगारी दर 7.5 फीसदी पहुंच गई थी, जो 2008 से ज्यादा है.
दुनियाभर में महंगाई बड़ी समस्या लेकिन चीन में इसका कोई असर नहीं है.
नई दिल्ली. महंगाई के बोझ तले दबे अमेरिका पर संभावित मंदी का खतरा होने की चर्चाओं के बीच जेपी मॉर्गन के चीफ मार्केट स्ट्रेटजिस्ट एड्रियन मॉवेट ने दावा किया है कि ऐसा कोई जोखिम अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नहीं आएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस साल भी दमदार प्रदर्शन करेगी.
सीएनबीसी टीवी18 के साथ एक इंटरव्यू में एड्रियन ने कहा, अमेरिका में खुदरा महंगाई दर 8.1 फीसदी चल रही है, जिस पर काबू पाने के लिए फेड रिजर्व ब्याज दरों को बढ़ाएगा. इससे विकास की गति कुछ सुस्त जरूर हो जाएगी, लेकिन मंदी जैसा जोखिम नहीं लग रहा है. डॉलर की स्थिति काफी मजबूत है, जो महंगाई घटाने में मददगार होगा. कमोडिटी की कीमतों में तेजी से गिरावट भी आ रही, भारत से माल आपूर्ति की लागत भी पिछले साल से 20 फीसदी कम हो गई है. इतना ही नहीं तेल, गैस की कीमतें भी नीचे आ रही हैं, तो मंदी का जोखिम अब नहीं लग रहा.
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भारत पर रुपये का कितना पड़ेगा असर
एड्रियन ने कहा, भारत की बात करें तो यहां महंगाई उतनी बड़ी समस्या नहीं है जितना अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में है. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे रुपये पर दबाव जल्द ही खत्म हो जाएगा. भारत की तेज विकास दर जारी रहेगी, जिससे हर मोर्चे पर उसे राहत मिल सकती है. टेक कंपनियों की बढ़ती कमाई से भारत को काफी लाभ मिलेगा और उसके लिए कारोबार विस्तार के नए रास्ते खुलेंगे.
महंगाई के मामले में चीन सबसे बेहतर स्थिति में है. वहां फिलहाल अन्य देशों की तरह महंगाई कोई मुद्दा नहीं है. बावजूद इसके चालू वित्तवर्ष में भारत की विकास दर से कहीं ज्यादा रहने का अनुमान है.
क्या भारत में अभी है मंदी का जोखिम
फाइनेंशियल सेवा पोर्टल तेजीमंदी के सीईओ वैभव अग्रवाल का कहना है कि किसी देश में मंदी आने का जोखिम कुछ सूचकांकों के जरिये पहचाना जा सकता है. अगर वहां बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है और विकास दर शून्य से नीचे की ओर जा रही है. इन दोनों ही मानकों में भारत कहीं आगे जा चुका है. यहां बेरोजगारी दर पहले के मुकाबले काफी कम है और विकास दर इस साल दुनिया में सबसे ज्यादा रहने वाली है.
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उन्होंने कहा, महामारी के दौरान भारत की बेरोजगारी दर 7.5 फीसदी पहुंच गई थी, जो साल 2008 में आई मंदी से भी ज्यादा थी. तब भारत की बेरोजगारी दर 5 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रही थी.
अमेरिका के मुकाबले भारत की विकास दर जबरदस्त
अगर भारत और अमेरिका की विकास दर की तुलना करें तो वित्तवर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में भारत कहीं आगे था. इस दौरान अमेरिका की विकास दर जहां शून्य से भी 1.8 फीसदी नीचे रही थी, वहीं भारत ने 4 फीसदी की तेज रफ्तार हासिल की थी. ऐसे में देखा जाए तो भारत पर फिलहाल मंदी का कोई जोखिम नहीं है. अगर अमेरिका में मंदी आती भी है तो भारत पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के साथ उत्पादन की मजबूत व्यवस्था भी कायम हो चुकी है.
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Tags: Business news in hindi, GDP growth, Indian economy, Inflation
FIRST PUBLISHED : July 12, 2022, 15:25 IST