LIC IPO: वो महत्वपूर्ण बातें, जो सबसे बड़े पब्लिक इश्यू के लिए ठीक नहीं, पढ़ें पूरी डिटेल


-एस. मुरलीधरन, एक्सपर्ट

आईपीओ के जरिये एलआईसी की हिस्सेदारी बिक्री का आकार घटाने का सरकार का नया फैसला निश्चित रूप से उत्साहवर्द्धक खबर नहीं है. पहले सरकार ने इस जीवन बीमा कंपनी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बिक्री का प्रस्ताव दिया था, जिसे घटाकर अब 3.5 फीसदी कर दिया गया है. आकार घटाने का फैसला कथित तौर पर एंकर निवेशकों के इशारे पर किया गया है.

युद्ध और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों से पूंजी निकलने की वजह से एंकर निवेशकों ने पाया कि कंपनी का मूल्यांकन वास्तविक स्थिति में पहुंच गया है. इसलिए उन्होंने सरकार को आकार घटाने की सलाह दी. मौजूदा आकार पर अब एलाआईसी के आईपीओ से 21,257 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. पिछले कुछ महीनों से देशभर में इस सबसे बड़े आईपीओ को लेकर जबरदस्त चर्चा है. मगर इस तरह की छोटी-छोटी कवायद निवेशकों, खासकर खुदरा निवेशकों का उत्साह तोड़ने वाली है.

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विनिवेश बनाम निजीकरण

सरकार की विनिवेश नीति की बात करें तो केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों (सीपीएसई) का रणनीतिक विनिवेश इसके केंद्र में है. रणनीतिक विनिवेश का अर्थ है सीपीएसई में सरकार की 50 फीसदी या ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी बिक्री के साथ प्रबंधन का हस्तांतरण करना. सरकार बात तो सीपीएसई में विनिवेश की करती है, जबकि उसकी पसंद विनिवेश की बजाय निजीकरण करना ज्यादा है. बाल्को, हिंदुस्तान जिंक और एयर इंडिया के विनिवेश मामले में यह बात साबित हो चुकी है.

विनिवेश बजटीय अंतर को पाटने के लिए धन जुटाने की कवायद है. जबकि निजीकरण सरकारी कंपनी को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप देने की प्रक्रिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि इस महत्वपूर्ण अंतर को भुलाकर दोनों के लिए एक ही शब्द विनिवेश का ही प्रयोग किया जा रहा है. सरकार ने कभी भी एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री का प्रस्ताव नहीं दिया. शुरू से ही विनिवेश की बात करती रही. नतीजा सबके सामने है.

एलआईसी में एफडीआई की मंजूरी

लगता है कि ऐसा ही कुछ एलआईसी के मामले में भी किया जा रहा है. सरकार द्वारा एलआईसी में 20 फीसदी विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने से इस बात के संकेत मिलते हैं. एफडीआई की अनुमति के जरिये यह सुनिश्चित किया गया कि एलआईसी के आईपीओ में निवेश करने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का रास्ता साफ हो जाए. ऐसा करने की बजाय इसे सीधे तौर पर किया जाना चाहिए था.

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एलआईसी एक ऐसा पीएसयू है, जिसने ऐसे समय में अपनी पहचान बनाई जब जीवनबीमा के बाजार में उसका एकाधिकार था. फिलहाल यह सबसे बड़ा घरेलू संस्थागत निवेशक है और ऐसे निवेशकों का नेतृत्व करता है. इससे पहले कि सरकार इसके निजीकरण के बारे में सोचे, सरकार को इसकी अचल संपत्ति को सुरक्षित रखना पड़ सकता है. एयर इंडिया के काफी कम रियल एस्टेट पोर्टफोलियो के साथ ऐसा किया गया था.

सीएनबीसी टीवी18 पर प्रकाशित मूल लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

(डिस्क्लेमर: यह लेख CNBC TV18 की वेबसाइट पर एक्सपर्ट एस. मुरलीधरन द्वारा लिखा गया है और यहां दिए गए विचार उनके निजी हैं.)

 

Tags: Insurance Company, LIC IPO, Life Insurance, Life Insurance Corporation of India (LIC)

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