27 साल से Lata Mangeshkar की सेवा कर रहे थे महेश राठौड़, अब बेसुध होकर लगा रहे हैं ‘दीदी’ को आवाज


लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन से जितना बड़ा सदमा देशवासियों को लगा है, उससे बड़ा सदमा उनके परिवार और उस शख्स को लगा है, जो सालों से लता मंगेशकर की देखभाल कर रहा था। यह शख्स हैं महेश राठौड़ (Mahesh Rathod), जिन्होंने अपनी जिंदगी के 27 साल लता मंगेशकर की सेवा में लगा दिए। महेश राठौड़ को जैसे ही खबर मिली कि उनकी लता दीदी अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो उन्हें संभाल पाना भी मुश्किल हो गया। महेश राठौड़ का रो-रोकर बुरा हाल है और वह लगातार लता दीदी को याद कर रहे हैं।

महेश का रो-रोकर बुरा हाल, बोले-मैं अकेला रह गया

महेश राठौड़ ने कहा कि वह बुरी तरह टूट गए हैं। ऐसा लग रहा है कि वह इस दुनिया में अकेले पड़ गए हैं। महेश राठौड़ अमरेली के मोरंगी गांव के रहने वाले हैं। लता मंगेशकर, महेश राठौड़ को भाई मानती थीं और 2001 से उन्हें राखी बांधती आ रही थीं। महेश यह सोचकर रोए जा रहे हैं कि अब उनकी दीदी कभी वापस नहीं आएंगी। उनकी कलाई सूनी ही रह जाएगी। अब उन्हें कभी भी अपनी लता दीदी को देखने का मौका नहीं मिलेगा।

पढ़ें: रहें ना रहें हम, महका करेंगे: लता मंगेशकर की अंतिम विदाई की सारी तस्वीरें यहां देखिए

1995 में घर छोड़कर मुंबई आए, लता जी के घर नौकरी मिली
महेश राठौड़ 1995 में अपना घर छोड़कर आंखों में हजारों सपने लिए मुंबई आ गए थे। यहां वह अपने लिए काम की तलाश करने लगे। एक रोज जब वह मुंबई में महालक्ष्मी के पास एक मंदिर में बैठे थे तो एक आदमी ने आकर उनसे कहा, ‘लता मंगेशकर के घर में एक वेकेंसी है।’ यह सुनकर महेश राठौड़ को लगा कि उनके ग्रामीण परिवेश से होने का मजाक उड़ाया जा रहा है।

अपना आख‍िरी वादा पूरा नहीं कर पाईं लता मंगेशकर, डायरेक्टर विवेक अग्‍न‍िहोत्री बोले- अब यह सपना ही रहेगा
लता मंगेशकर के फाइनैंस से लेकर दवाई तक का रखा ध्यान
खैर, महेश राठौड़ लता मंगेशकर के घर जैसे-तैसे पहुंच गए और फिर यहीं के होकर रह गए। धीरे-धीरे महेश राठौड़ ने लता मंगेशकर के दिल में भी अपनी जगह बना ली। उन्होंने उनकी देखरेख की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। महेश राठौड़ लता मंगेशकर के सिर्फ केयरटेकर ही नहीं रहे हैं, बल्कि वह उनके फाइनैंस तक देखते थे। वह लता मंगेशकर के प्रोग्राम भी अरेंज करवाते और इस बात का भी खास ख्याल रखते कि लता समय पर दवाई लें।
मैं अगले जन्म में लता मंगेशकर नहीं बनना चाहती… आखिर सुर सरस्वती ने क्यों कहा था ऐसा?
Lata Mangeshkar Last Days: एक साल से किसी से नहीं मिल रही थीं लता मंगेशकर, कुछ ऐसे बीता आख‍िरी महीना
ऐसे मिला था लता मंगेशकर के घर में काम
महेश राठौड़ ने हमारे सहयोगी TOI को बताया कि उनकी लता मंगेशकर के घर में कैसे एंट्री हुई। उन्होंने कहा, ‘एक पुलिसवाला मुझे राधाकृष्ण देशपांडे के पास ले गया, जो सालों से लता दीदी का काम देख रहे थे। उन्होंने मेरा फोन नंबर लिया और 3 दिन बाद मुझे फोन करके प्रभु कुंज आने को बोला। एक छोटे से इंटरव्यू के बाद मुझे लता दीदी के काम के लिए रख लिया गया। शुरुआत में मुझे ड्राइवर की नौकरी दी गई। मुझे ड्राइव करना नहीं आता, लेकिन फिर भी हां।’

दिन में लता जी के लिए काम, रात को पढ़ाई

महेश राठौड़ दिन में लता दीदी के घर में काम करते और रात को बैठकर पढ़ाई करते। इस तरह उन्होंने कॉमर्स से अपनी ग्रैजुएशन पूरी की। वहीं राधाकृष्ण देशपांडे ने महेश राठौड़ के लिए कहा कि जब वह उनके पास काम की तलाश में तो उन्होंने उनकी आंखों में सच्चाई देखी थी। वह बोले, ‘ऐसा भी वक्त आया जब महेश राठौड़ नौकरी छोड़ना चाहते थे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि लता ताई को तुमसे अच्छा आदमी नहीं मिलेगा।’

Lata Mangeshkar Death : पीएम मोदी ने ‘लता दीदी’ को याद करते हुए क्या कहा?

महेश राठौड़ मान गए और फिर वहीं रुक गए। महेश लता मंगेशकर के यहां काम करते हैं, इस बात पर परिवार को विश्वास दिलाने में 4 साल लग गए। महेश के मुताबिक, जब उन्होंने परिवार को लता दीदी के साथ अपनी तस्वीरें दिखाईं, तब जाकर उन्हें विश्वास हुआ।
वहीदा रहमान: लता दीदी उस दिन मेरे लिए कई बाल्‍टी पानी भरकर लाईं, नरगिस ये देखकर अवाक थीं
लता जी ने रखे थे महेश की तीनों बेटियों के नाम

वहीं महेश राठौड़ की वाइफ मनीषा ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया, ‘साल 2001 में लता दीदी ने अचानक ही महेश के अंकल को फोन किया। महेश वहां रक्षा बंधन मनाने गए थे। लता दीदी ने महेश को ‘प्रभु कुंज’ बुलाया। वहां जाकर देखा तो लता दीदी राखी के साथ इंतजार कर रही थीं।’ मनीषा ने बताया कि लता दीदी ने ही उनकी तीनों बेटियों के नाम रखे थे।
शब्‍दों से परे थीं लता मंगेशकर, वह एक करिश्मा थीं जो फिर कभी न होगी: गुलजार

किसी ने गाया ऐ मेरे वतन, कोई ना रोक सका आंसू…लता मंगेशकर को ऐसे किया जा रहा याद

हमारे सहयोगी ईटाइम्स के मुताबिक, महेश राठौड़ रोते-रोते लता मंगेशकर के बारे में करीबी दोस्त निकुंज पंडित को बता रहे थे। निंकुज का भी गला रूंध गया था। निकुंज ने कहा कि उन्होंने महेश राठौड़ से हिम्मत रखने और खुद को संभालने के लिए कहा है क्योंकि भारी संख्या में लोग लता दीदी को अंतिम विदाई देने आ रहे हैं। ऐसे में महेश को ही सब संभालना है।

Mahesh Rathod with Lata Mangeshkar and family

लता मंगेशकर और परिवार के साथ महेश राठौड़

image Source

Enable Notifications OK No thanks