बिजली संकट: भीषण गर्मी के बीच कोयले की कमी ने बढ़ाई परेशानी, यहां जानें यूपी से पंजाब तक का ताजा हाल


सार

गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही देश में हर बार की तरह बिजली कटौती की समस्या भी विकराल होती जा रही है। देश में कोयले की कमी को बिजली संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं सरकार की ओर से साफ किया गया है कि इस समस्या के लिए कोयले की कती को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, देश में पर्याप्त कोयला मौजूद है। 

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अप्रैल का महीना खत्म होने वाला है और सूरज ने अपने कड़े तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। लोग लू के थपेड़ों से बचने के लिए घर के अंदर ज्यादा समय बिताना चाहते हैं, लेकिन यहां भी उनके लिए मुश्किलें कम नहीं हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बिजली संकट, देशभर से आ रही खबरों के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में बिजली कटौती या अन्य तकनीकी समस्या के चलते कूलर-एसी शेपीस बनकर रह गए हैं। इस समस्या की सबसे बड़ी वजह कोयले की कमी को माना जा रहा है। आइए जानते हैं फिलहाल यूपी से लेकर पंजाब तक क्या है हाल…

उत्तर प्रदेश
मौसम का तापमान बढ़ने के साथ ही प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है। राजधानी लखनऊ समेत अन्य बड़े शहरों, जिला मुख्यालयों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रात और दिन में अघोषित बिजली कटौती से हाल-बेहाल है। वास्तविक स्थिति सामने न आए इसलिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने आपूर्ति की दैनिक रिपोर्ट तक अपनी वेबसाइट से हटा ली है। बता दें कि प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियों से भी दिक्कत बढ़ती जा रही है। 

उत्तराखंड 
प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है। प्रदेशवासियों को हो रही परेशानी के बीच मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। बता दें कि यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया है, लेकिन देखा जाए तो यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है।

राजस्थान
कोयला संकट अब राजस्थान में भी बुरा असर दिखने लगा है। गर्मी के मौसम में राज्य में बिजली की मांग में करीब 31 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि कोयले के रैक आने की संख्या घट गई है। इससे बिजली कटौती में इजाफा हो रहा है और प्रदेशवासियों की परेशानी बढ़ रही है। राजस्थान में 27 रैक की रोज जरूरत होती है, जबकि 18 से 20 ही मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में कोयले की कमी की वजह से परेशानियां बढ़ सकती हैं। बिजली कटौती भी बढ़ सकती है। 

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में बिजली समस्या गहराने के बाद लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं कोयले की कमी और बिजली संकट को लेकर राज्य में सियासी घमासान भी तेज हो चुका है। इस बीच प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ओर से सरकार का बचाव करते हुए कहा गया कि कुछ परेशानियां हैं जिनका समाधान हम युद्ध स्तर पर कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कोयले कोई कोई कमी नहीं है। गर्मी अधिक बढ़ गई है ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ी है तो उत्पादन भी बढ़ाने की आवश्यकता है।

हरियाणा-पंजाब
हरियाणा में बिजली संकट के बीच घोषित कटों से उद्योगों में उत्पादन 40 प्रतिशत तक कम हो गया है। ऐसे में उद्योगपतियों के पहले के करार टूटने की कगार पर हैं। जनरेटर से उद्योगों को चलाने से उत्पादन लागत बढ़ गई है। इससे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल पंजाब का है जहां कई थर्मल प्लांट कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इस विकराल हो चुके कोयला संकट के चलते बिजली की कमी ने झुलसाने वाले मौसम में लोगों को और भी बेहाल कर दिया है। 

कोयला सचिव ने ऐसे किया बचाव
रविवार को कोयला सचिव एके जैन ने देश में गहराए बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को वजह मानने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बिजली संकट की प्रमुख वजह विभिन्न ईंधन स्त्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई बड़ी गिरावट है। उन्होंने कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। कोविड-19 के प्रकोप में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई और बिजली की मांग बढ़ी, इसके अलावा इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो जाना, गैस और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि होना और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों के बिजली उत्पादन का तेजी से गिरना जैसे कारक बिजली संकट के लिए जिम्मेदार हैं। 

कोयला मंत्री ने किया ये बड़ा दावा 
एक ओर जहां देश में बिजली संकट गहराया हुआ है, तो सरकार के मंत्री आंकड़े पेश करते हुए सरकार का बचाव कर रहे हैं। जहां कोयला सविव ने बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को वजह मानने से इनकार कर दिया। वहीं कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी के बीते शनिवार को दिए बयान के मुताबिक, वर्तमान में 7.250 करोड़ टन कोयला सीआईएल, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोल वाशरीज के विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने ताप विद्युत संयंत्रों के पास 2.201 करोड़ टन कोयला उपलब्ध होने का भी दावा किया है। 

विस्तार

अप्रैल का महीना खत्म होने वाला है और सूरज ने अपने कड़े तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। लोग लू के थपेड़ों से बचने के लिए घर के अंदर ज्यादा समय बिताना चाहते हैं, लेकिन यहां भी उनके लिए मुश्किलें कम नहीं हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बिजली संकट, देशभर से आ रही खबरों के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में बिजली कटौती या अन्य तकनीकी समस्या के चलते कूलर-एसी शेपीस बनकर रह गए हैं। इस समस्या की सबसे बड़ी वजह कोयले की कमी को माना जा रहा है। आइए जानते हैं फिलहाल यूपी से लेकर पंजाब तक क्या है हाल…

उत्तर प्रदेश

मौसम का तापमान बढ़ने के साथ ही प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है। राजधानी लखनऊ समेत अन्य बड़े शहरों, जिला मुख्यालयों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रात और दिन में अघोषित बिजली कटौती से हाल-बेहाल है। वास्तविक स्थिति सामने न आए इसलिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने आपूर्ति की दैनिक रिपोर्ट तक अपनी वेबसाइट से हटा ली है। बता दें कि प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियों से भी दिक्कत बढ़ती जा रही है। 

उत्तराखंड 

प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है। प्रदेशवासियों को हो रही परेशानी के बीच मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। बता दें कि यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम किया है, लेकिन देखा जाए तो यह प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है। प्रदेश को फिलवक्त 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है।

राजस्थान

कोयला संकट अब राजस्थान में भी बुरा असर दिखने लगा है। गर्मी के मौसम में राज्य में बिजली की मांग में करीब 31 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि कोयले के रैक आने की संख्या घट गई है। इससे बिजली कटौती में इजाफा हो रहा है और प्रदेशवासियों की परेशानी बढ़ रही है। राजस्थान में 27 रैक की रोज जरूरत होती है, जबकि 18 से 20 ही मिल रहे हैं। आने वाले दिनों में कोयले की कमी की वजह से परेशानियां बढ़ सकती हैं। बिजली कटौती भी बढ़ सकती है। 

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में बिजली समस्या गहराने के बाद लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं कोयले की कमी और बिजली संकट को लेकर राज्य में सियासी घमासान भी तेज हो चुका है। इस बीच प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ओर से सरकार का बचाव करते हुए कहा गया कि कुछ परेशानियां हैं जिनका समाधान हम युद्ध स्तर पर कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कोयले कोई कोई कमी नहीं है। गर्मी अधिक बढ़ गई है ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ी है तो उत्पादन भी बढ़ाने की आवश्यकता है।

हरियाणा-पंजाब

हरियाणा में बिजली संकट के बीच घोषित कटों से उद्योगों में उत्पादन 40 प्रतिशत तक कम हो गया है। ऐसे में उद्योगपतियों के पहले के करार टूटने की कगार पर हैं। जनरेटर से उद्योगों को चलाने से उत्पादन लागत बढ़ गई है। इससे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल पंजाब का है जहां कई थर्मल प्लांट कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इस विकराल हो चुके कोयला संकट के चलते बिजली की कमी ने झुलसाने वाले मौसम में लोगों को और भी बेहाल कर दिया है। 

कोयला सचिव ने ऐसे किया बचाव

रविवार को कोयला सचिव एके जैन ने देश में गहराए बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को वजह मानने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बिजली संकट की प्रमुख वजह विभिन्न ईंधन स्त्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई बड़ी गिरावट है। उन्होंने कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। कोविड-19 के प्रकोप में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई और बिजली की मांग बढ़ी, इसके अलावा इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो जाना, गैस और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि होना और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों के बिजली उत्पादन का तेजी से गिरना जैसे कारक बिजली संकट के लिए जिम्मेदार हैं। 

कोयला मंत्री ने किया ये बड़ा दावा 

एक ओर जहां देश में बिजली संकट गहराया हुआ है, तो सरकार के मंत्री आंकड़े पेश करते हुए सरकार का बचाव कर रहे हैं। जहां कोयला सविव ने बिजली संकट के लिए कोयले की कमी को वजह मानने से इनकार कर दिया। वहीं कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी के बीते शनिवार को दिए बयान के मुताबिक, वर्तमान में 7.250 करोड़ टन कोयला सीआईएल, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कोल वाशरीज के विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने ताप विद्युत संयंत्रों के पास 2.201 करोड़ टन कोयला उपलब्ध होने का भी दावा किया है। 



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