President Election 2022: राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? यहां आसान भाषा में जानें सब कुछ…


देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो जाएगा और 18 जुलाई को देश को नया मुखिया देने के लिए इलेक्शन कराया जाएगा। चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर कहा है कि 29 जून तक नॉमिनेशन भर सकते हैं। विपक्ष की ओर से भी और सरकार की ओर से भी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है। विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा और सरकार की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में राष्ट्रपति के लिए चुनाव (President Election 2022) कैसे कराया जाता है और क्या होती है इसकी पूरी प्रक्रिया, आइए जानते हैं इस लेख के माध्यम से।

कैसे होता है देश में राष्ट्रपति का चुनाव?

देश में होने वाला राष्ट्रपति का चुनाव अन्य चुनावों के मुकाबले थोड़ा अलग और जटिल है। देश में राष्ट्रपति के चुनाव (How President Is Elected in India) में सीधे जनता की भागीदारी नहीं होती, इसके विपरीत जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले यानी सांसद और विधायक राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। लेकिन जो सांसद या विधायक नॉमिनेटेड होते हैं वे इस चुनाव में भाग लेने के योग्य नहीं माने जाते क्योंकि वे नॉमिनेटेड होते हैं और सीधे जनता द्वारा नहीं चुने जाते। इसी तरह विधानसभाओं के सदस्य भी इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते।

कौन चुनता है देश का राष्ट्रपति?

संविधान के अनुच्छेद 54 में भारत में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। प्रेसिडेंट के चुनाव के लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज का गठन किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के चुने हुए सदस्यों और राज्यों के विधानसभा में चुने गए सदस्य वोट देते हैं। इसी कारण इसे इनडायरेक्ट इलेक्शन भी कहा जाता है। इलेक्टोरल कॉलेज में संसद के 776 सदस्य और 4,809 विधानसभा के सदस्य शामिल होते हैं। कॉलेज में कुल 10,86,431 वोट होते हैं। प्रत्येक वोट की एक कीमत होती है। हर संसद के सदस्य के वोट की कीमत 700 होती है। ये कीमत राज्य की जनसंख्या के अनुसार तय होता है। नॉमिनेशन होने के बाद इलेक्शन प्रोसेस में शामिल होने वाले एमपी और एमएलए को वोट देने के लिए बैलेट पेपर दिए जाते हैं।

कैसे होती है वोटिंग?
प्रेसिडेंट के इलेक्शन में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट का इस्तेमाल किया जाता है। वोटर एक ही वोट देता है पर वह सभी कैंडिडेट्स में से अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है यानी वह बैलट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। बैलेट पेपर पर कोई इलेक्शन प्रतीक नहीं मौजूद होता। जबकि पेपर पर दो कॉलम होते हैं और पहले कॉलम में कैंडिडेट का नाम लिखा होता है और दूसरे कॉलम में प्रिफरेंस ऑर्डर लिखा होता है।

कौन बन सकता है प्रेसिडेंट?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 में प्रेसिडेंट के इलेक्शन में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की योग्यता के विषय में जानकारी दी गई है। योग्यता के अनुसार उम्मीदवार भारत का एक नागरिक होना चाहिए और न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रेसिडेंट के इलेक्शन में भाग लेने वाले उम्मीदवार के लिए यह आवश्यक है कि वह किसी लाभ के पद पर ना हो अन्यथा उसे डिसक्वालीफाई कर दिया जाएगा।

जीतने के लिए चाहिए इतने वोट
राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता नहीं घोषित किया जाता। बल्कि वही प्रेसिडेंट बनता है जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा प्राप्त कर लेता है। इस चुनाव में पहले से ही यह तय होता है कि जीतने के लिए कितने वोटों की आवश्यकता होगी। इस बार इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है यानी जीतने के लिए उम्मीदवार को 5,49,442 वोट प्राप्त करने होंगे। जो उम्मीदवार सबसे पहले वोटों की इस संख्या को प्राप्त कर लेता है वहीं प्रेसिडेंट के रूप में चुना जाता है।

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